एलोवेरा (aloe vera) के बिजनेस से कमाएं लाखों रुपये, जानें पूरा प्रोसेस
कॉस्मेटिक्स, ब्यूटी प्रोडक्ट्स से लेकर खाद्य पदार्थों के हर्बल प्रोडक्ट और टेक्सटाइल इंडस्ट्री में भी इसकी डिमांड बढ़ी है. डिमांड बढ़ने के साथ ही एलोवेरा की खेती को लेकर किसानों में भी जागरुकता बढ़ी है.
नई दिल्ली:
एलोवेरा-घृत कुमारी (aloe vera) को लेकर लोगों में काफी दिलचस्पी बढ़ी है. यही वजह है कि उसके उत्पादों की रेंज में भी काफी बढ़ोतरी देखने को मिली है. कॉस्मेटिक्स, ब्यूटी प्रोडक्ट्स से लेकर खाद्य पदार्थों के हर्बल प्रोडक्ट और टेक्सटाइल इंडस्ट्री में भी इसकी डिमांड बढ़ी है. डिमांड बढ़ने के साथ ही एलोवेरा की खेती को लेकर किसानों में भी जागरुकता बढ़ी है. जानकारों के मुताबिक एलोवेरा की खेती और उसके बिजनेस से लाखों की कमाई की जा सकती है.
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एलोवेरा (aloe vera) की खेती से फायदा -Advantage of cultivating aloe vera
जो किसान एलोवेरा की खेती कर रहे हैं. उन्होंने पहले से ही किसी कंपनी से समझौता कर लिया होता है. कंपनियां पैदावार के बाद किसानों से एलोवेरा की पत्तियां खरीद लेती हैं. वहीं कुछ किसान हैं जिन्होंने एलोवेरा की प्रोसेसिंग यूनिट लगा ली है. ऐसे किसान एलोवेरा का पल्प निकाल कर कंपनियों को बतौर कच्चा माल बेच रहे हैं. एलोवेरा की 1 एकड़ खेती से आसानी से सालाना 5 से 7 लाख रुपये कमाए जा सकते हैं. वहीं प्रोसेसिंग यूनिट में 6 लाख रुपये से 7 लाख रुपये का निवेश करके 20 लाख रुपये से 1 करोड़ रुपये तक की कमाई भी होने की पूरी संभावना है. पतंजलि सहित कई आयुर्वेदिक कंपनियां एलोवेरा खरीदती हैं.
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एलोवेरा की खेती के लिए अहम सावधानियां
केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीमैप) Central Institute of Medicinal and Aromatic Plants के मुताबिक किसान एलोवेरा की खेती कर और इसके प्रोडक्ट बनाकर दोनों तरह से अच्छी कमाई कर सकते हैं. हालांकि किसानों को एलोवेरा की खेती के लिए थोड़ी सावधानी बरतनी जरूरी है. किसानों को कंपनियों से समझौता करने के बाद खेती करनी चाहिए ताकि पैदावार के बाद उन्हें मार्केट ढूंढना नहीं पड़े. साथ ही किसानों को चाहिए कि वे पत्तियों की जगह उसका पल्प ही कंपनियों को बेचें. बरसात और ठंड के मौसम में एलोवेरा के खेती में अधिक पानी के आवश्यकता नहीं होती. हालांकि गर्मी में 15 दिन में एक बार पानी जरूर देना चाहिए. जानकार 8 से 18 महीने में पहली कटाई करने की सलाह देते हैं. वहीं एलोवेरा की कटी पत्तियों को 4-5 घंटे में प्रोसेसिंग यूनिट तक पहुंचना जरूरी है.
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एलोवेरा की प्रोसेसिंग यूनिट के लिए CIMAP देता है ट्रेनिंग
Central Institute of Medicinal and Aromatic Plants (CIMAP) एलोवेरा की प्रोसेसिंग यूनिट लगाने के लिए ट्रेनिंग देता है. CIMAP में इसके लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन होता है. साथ ही निर्धारित फीस जमा करने के बाद ट्रेनिंग लिया जा सकता है.
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एलोवेरा की खेती की अहम बातें
- कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के जरिए खेती करना किसानों के लिए फायदेमंद
- हेल्थकेयर, कॉस्मेटिक्स और टेक्सटाइल में एलोवेरा का उपयोग
- हर्बल दवा बनाने वाली कंपनियों में होता है सबसे ज्यादा इस्तेमाल
- डाबर, पतंजलि और बैद्यनाथ जैसी कई कंपनियां हैं ग्राहक
- किसानों से पल्प और पत्तियां खरीदती हैं कंपनियां
- FCCI से लाइसेंस लेकर शुरू कर सकते हैं बिजनेस
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