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बैंक अकाउंट में जमा कैश की नहीं दी है जानकारी, तो देना पड़ सकता है भारी इनकम टैक्स

आयकर अधिनियम (Income Tax Act) की धारा 69 ए के अनुसार पिछले वर्ष में किसी भी तरह के धन, सोना, आभूषण या अन्य मूल्यवान वस्तुओं के मालिक पाए जाने और जानकारी साझा नहीं करने पर भारी टैक्स देना पड़ सकता है.

Updated on: 24 Aug 2020, 11:23 AM

नई दिल्ली:

अगर आपने पिछले साल अपने बैंक अकाउंट (Bank Account) में बगैर जानकारी वाले कैश को जमा किया था तो आपके लिए मुसीबत खड़ी हो सकती है. आयकर विभाग (Income Tax Department) के द्वारा जांच में पाए जाने पर आपको इस पैसे पर भारी टैक्स देना पड़ सकता है. आयकर अधिनियम (Income Tax Act) की धारा 69 ए (Section 69A) के अनुसार अगर आप पिछले वर्ष में किसी भी तरह के धन, सोना, आभूषण या अन्य मूल्यवान वस्तुओं के मालिक पाए जाते हैं और जिसकी जानकारी आपने साझा नहीं की है.

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जानकारी से संतुष्ट नहीं होने पर आय के तौर पर माना जाएंगी कैश, ज्वैलरी और मूल्यवान वस्तुएं

इसके अलावा अगर आयकर दाता इसके बारे में कोई स्पष्टीकरण नहीं देता है और इनकम टैक्स का आकलन अधिकारी आपके द्वारा दी गई जानकारी से संतुष्ट नहीं है तो ऐसा धन, सर्राफा, आभूषण या अन्य मूल्यवान वस्तुओं को उस साल के लिए करदाता की आय के तौर पर माना जा सकता है. जानकारी के मुताबिक इस तरह के आय के ऊपर 83.25 फीसदी का इनकम टैक्स लग सकता है. इस 83.25 फीसदी टैक्स में 60 फीसदी टैक्स, 25 फीसदी सरचार्ज और 6 फीसदी जुर्माना शामिल है. हालांकि 6 फीसदी जुर्माना लागू नहीं किया जाएगा अगर जमा कैश को पहले ही इनकम टैक्स रिटर्न में शामिल किया गया है और उस पर टैक्स का भुगतान किया जा चुका हो.

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पैसे, सोने और अन्य मूल्यवान वस्तुओं के अलाव, किसी भी नकदी को करदाता की पुस्तकों में जमा किया जाता है, जिसके लिए वह प्रकृति और स्रोत के बारे में कोई स्पष्टीकरण नहीं देता है या आयकर अधिकारी करदाता द्वारा पेश किए गए स्पष्टीकरण से संतुष्ट नहीं हैं. ऐसे में इसके ऊपर भी उपर्युक्त दर पर भारी कर लगाया जाएगा. ऐसी नकदी प्रविष्टि को आयकर अधिनियम की धारा 68 के तहत अस्पष्टीकृत नकद क्रेडिट कहा जाता है. बता दें कि 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी के बाद जब सरकार ने रातों रात 500 और 1,000 रुपये के करेंसी नोटों पर प्रतिबंध लगा दिया था. उस समय कई करदाताओं ने अपने बैंक खातों में भारी नकदी जमा की जो आयकर विभाग की जांच के दायरे में आ गए. आईटी विभाग ने तब कर दाताओं को ऐसे अघोषित आय पर बिना किसी पूछताछ के अपने कर का भुगतान करके मुकदमे को निपटाने के लिए एक डील की पेश की थी.