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Investment: टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड (ELSS) क्या है. इससे कैसे बचा सकते हैं टैक्स, जानिए पूरा गणित

Equity Linked Saving Scheme (ELSS) इक्विटी म्यूचुअल फंड स्कीम होती हैं. शेयर्स में निवेश की वजह से Tax Deduction का फायदा मिलता है

Updated on: 22 Apr 2019, 07:30 AM

नई दिल्ली:

मार्केट में टैक्स बचाने के लिए कई ऑप्शन मौजूद हैं. टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड या ELSS (Equity Linked Saving Scheme) उन्हीं में से एक है. लोगों को टैक्स सेविंग के इस ऑप्शन के बारे में सटीक जानकारी थोड़ी मुश्किल से मिल पाती है. आम लोगों के लिए तो पहले म्यूचुअल फंड (MF) के बारे में समझना ही बड़ा मुश्किल काम है. उसके बाद म्यूचुअल फंड में भी Tax Saving Mutual Fund के गणित को समझना और भी मुश्किल है. ऐसे में हम अपनी इस रिपोर्ट में टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड के पूरे गणित को समझने की कोशिश करेंगे कि आखिर ये है क्या.

क्या है टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड
टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड भी एक तरह का म्यूचुअल फंड ही है. इसे Equity Linked Saving Scheme या ELSS भी कहते हैं. इसलिए इसके नाम को लेकर भ्रमित नहीं हों. देश में अलग-अलग कंपनियां इस कैटेगरी की Mutual Fund Schemes चला रही हैं. आप अपनी पसंद की स्कीम में निवेश करके टैक्स को बचा सकते हैं.

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Equity म्यूचुअल फंड है ELSS
ELSS भी एक तरह का म्यूचुअल फंड ही है. म्यूचुअल फंड में निवेशका का पैसा सरकारी बॉन्ड, कंपनियों के फिक्स्ड डिपॉजिट, शेयर बाज़ार या सोने में निवेश किया जाता है. सभी म्यूचुअल फंड स्कीम का एक फंड मैनेजर होता है. फंड मैनेजर यह तय करता है कि इस फंड का इस्तेमाल कहां करना है. जब किसी म्यूचुअल फंड स्कीम का पैसा शेयरों में निवेश किया जाता है तो उसे Equity Mutual Fund माना जाता है. Tax Saving Mutual Fund भी ऐसी ही इक्विटी म्यूचुअल फंड स्कीम होती हैं. शेयर्स में निवेश की वजह से Tax Deduction का फायदा मिलता है. हालांकि शेयर बाज़ार में उतार-चढ़ाव का जोखिम रहता है. फंड मैनेजर का काम गिरावट के समय निवेश करे और तेज़ी के दौर में उसका फ़ायदा उठाए. जानकारों के मुताबिक लॉन्ग टर्म में म्यूचुअल फंड में निवेशित रहने से काफी फायदा होने की संभावना रहती है.

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सेक्शन 80C के तहत टैक्स छूट
टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड में टैक्स की सबसे बड़ी छूट Section 80C के तहत मिलती है. IT ACT के इस सेक्शन में उन निवेश और खर्चों का उल्लेख है जिनमें पैसा लगाकर आप टैक्स बचा सकते हैं. नियम के मुताबिक आप इन स्कीमों में जितना पैसा लगाएंगे उतना पैसा आपकी Taxable Income से घटा दिया जाता है. सेक्शन 80C के तहत आप कुल 1.50 लाख रुपये तक टैक्स छूट हासिल कर सकते हैं. ELSS के जरिए टैक्स छूट एक सीमा तक पाई जा सकती है. हालांकि इस फंड में निवेश करने की अधिकतम सीमा नहीं है.

3 साल तक नहीं निकाल सकते फंड
टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड के फायदे होने के साथ-साथ कुछ दिक्कतें भी हैं. दरअसल सरकार ने टैक्स डिडक्शन बेनिफिट लेने के लिए एक शर्त लगाई है. इस शर्त के तहत ELSS में लगाए गए पैसे को आप 3 साल से पहले नहीं निकाल सकते. मतलब आप ये पैसा आप तीन साल से पहले किसी भी कीमत पर नहीं निकाल सकते हैं.

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पैसा निकालने पर टैक्स नहीं
सेक्शन 80C के तहत पैसा लगाने पर टैक्स कम करने का मौका तो मिलता ही है. साथ ही निवेशित रकम के बढ़ने पर बढ़ी हुई रकम पर टैक्स नहीं लगाया जाता. Tax Saving Mutual Fund में मैच्योरिटी की रकम को बेफिक्र होकर इस्तेमाल कर सकते हैं. बता दें कि शेयर्स में अगर एक साल से ज्यादा समय के लिए निवेश किया जाता है तो मुनाफे पर कैपिटल गेन टैक्स नहीं देना होता है, लेकिन अगर आपने फिक्स्ड डिपॉजिट या नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (NSC) में पैसा लगाया होता तो ब्याज की रकम पर टैक्स लग जाता.

SIP के जरिए करें निवेश
SIP यानि Systematic Investment Plan. SIP का तरीका चुनने पर पैसा आपके खाते से हर महीने अपने आप कट जाता है. इससे आपको और म्यूचुअल फंड कंपनी दोनों को सुविधा रहती है. वहीं सभी म्यूचुअल फंड स्कीम के दो प्लान होते हैं पहला रेग्युलर प्लान और डायरेक्ट प्लान. डायरेक्ट प्लान सेबी के निर्देश के बाद 2013 से शुरू हुए हैं. म्यूचुअल फंड स्कीम का डायरेक्ट प्लान डिस्ट्रीब्यूटर के जरिए नहीं बेचा जाता है. आप इन प्लान को म्यूचुअल फंड कंपनी की अपनी वेबसाइट या उनके ऑफिस से खरीद सकते हैं. डायरेक्ट प्लान लेने से आप कमीशन से बच जाते हैं. वहीं रेग्युलर प्लान में आपको कमीशन देना पड़ता है. इसलिए डायरेक्ट प्लान लेने की कोशिश करनी चाहिए.

मार्केट में मौजूद 4 बेस्ट टैक्स सेवर फंड

  • Mirae Asset Tax Saver
  • Axis Long Term Equity
  • Aditya Birla Sun Life Tax Relief 96
  • Motilal Oswal Long Term Equity

(Disclaimer: निवेशक निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की सलाह जरूर लें. न्यूज स्टेट की खबर को आधार मानकर निवेश करने पर हुए लाभ-हानि का न्यूज स्टेट से कोई लेना-देना नहीं होगा. निवेशक स्वयं के विवेक के आधार पर निवेश के फैसले लें)