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31 मार्च से पहले उठा लें इस स्कीम का फायदा, नहीं तो देनी पड़ेगी मोटी पेनाल्टी

विवाद से विश्वास योजना 30 जून 2020 तक खुली रहेगी लेकिन जो लोग 31 मार्च के बाद कर का भुगतान करेंगे उन्हें कर राशि पर 10 प्रतिशत अतिरिक्त भुगतान करना होगा.

Updated on: 07 Feb 2020, 12:52 PM

दिल्ली:

Tax News: केंद्र की नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सरकार ने करदाताओं की सुविधा के लिए बजट में ‘विवाद से विश्वास’ योजना की घोषणा की थी. इस योजना के तहत कई वर्षों से लंबित टैक्स मामलों को खत्म करने और निपटारे की कोशिश की जाएगी. हालांकि करदाताओं (Tax Payers) को इस योजना का लाभ 31 मार्च से पहले उठाना होगा. उसके बाद योजना का लाभ उठाने के लिए उन्हें 10 फीसदी अतिरिक्त भुगतान करना होगा.

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30 जून 2020 तक खुली रहेगी योजना
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) के चेयरमैन प्रमोद चंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि ‘विवाद से विश्वास’ योजना लंबित प्रत्यक्ष कर विवादों को निपटाने के लिये एक बेहतर अवसर पेश करती है. उन्होंने लोगों से आगे आकर इस योजना का लाभ उठाने का आग्रह किया. वर्तमान में आयुक्त (अपील), आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (आईटीएटी), उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय के स्तर पर कुल मिलाकर 4.83 लाख कर विवाद लंबित हैं. ‘विवाद से विश्वास योजना’ के तहत करदाता को 31 मार्च, 2020 तक बकाये की केवल विवादित कर राशि ही जमा करानी होगी. जुर्माना और ब्याज माफ होगा.

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हालांकि, यह योजना 30 जून 2020 तक खुली रहेगी लेकिन जो लोग 31 मार्च के बाद कर का भुगतान करेंगे उन्हें कर राशि पर 10 प्रतिशत अतिरिक्त भुगतान करना होगा. वहीं जो विवाद ब्याज या जुर्माना राशि से ही जुड़े हैं, वहां करदाता को 31 मार्च तक विवादित राशित का 25 प्रतिशत और उसके बाद 30 जून तक 30 प्रतिशत ही भुगतान करना होगा.

बजट बाद एसोचैम की एक परिचर्चा में मोदी ने कहा कि मेरा मानना है कि यह एक उचित पेशकश है. मैं लोगों से आग्रह करता हूं कि वह लंबित मामलों के बारे में फिर से विचार करें और आगे आकर इस योजना का लाभ उठाएं. आयकर की नयी व्यवस्था के बारे में उन्होंने कहा कि इसका मकसद आयकर प्रणाली को आसान बनाना है. नयी व्यवस्था के तहत करदाता को विभिन्न मदों में मिलने वाली छूट समाप्त करके कम दर पर आयकर की गणना करना है. मोदी ने कहा कि अभी तक हम छूट और कटौतियों से लाभ उठाते रहे हैं. हम सावधानी पूर्वक इस व्यवस्था से दूर होने की कोशिश कर रहे हैं ताकि कर ढांचे को आसान बनाया जा सके. यह जितना सीधा हो सके उसे उतना स्पष्ट बनाया जाए ताकि कर दाता को इसे अपनाने में दिक्कत ना हो.

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नई कर व्यवस्था में ढाई से पांच लाख रुपये की वार्षिक कर योग्य आय पर पांच प्रतिशत कर का प्रावधान है. इसके बाद हर ढाई लाख रुपये की कर योग्य आय पर यह क्रमश: 10, 15, 20, 25 प्रतिशत है और 15 लाख रुपये से ऊपर की कर योग्य आय पर यह 30 प्रतिशत है. मोदी ने कहा कि अब समय आ गया है कि हम पूरी प्रणाली पर फिर से गौर करें। मुझे लगता है युवा और नए लोग छूट या कटौती को बहुत ज्यादा आकर्षक नहीं पाते हैं इसलिए कम दर वाले कर का चुनाव करेंगे.

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आंकड़ों के अनुसार कुल करदाताओं में से करीब 90 प्रतिशत वास्तव में दो लाख रुपये से कम की कटौती का लाभ लेते हैं. इसका मतलब यह है कि कुल 5.78 करोड़ करदाताओं में से 5.3 करोड़ करदाता कर रिटर्न दाखिल करते वक्त दो लाख रुपये से कम कटौती (मानक कटौती, भविष्य निधि, आवास ऋण पर ब्याज, राष्ट्रीय पेंशन योजना में योगदान और स्वास्थ्य बीमा इत्यादि) का लाभ लेते हैं. (इनपुट भाषा)