Patanjali यूनिवर्सिटी में शास्त्रोत्सव स्पर्धा का समापन, बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने इन विषयों पर रखे विचार

पतंजलि यूनिवर्सिटी में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भारतीय शास्त्रों को विज्ञान और ज्ञान का स्रोत बताया. वहीं, बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने संस्कृत के प्रचार पर जोर दिया.

author-image
Jalaj Kumar Mishra
New Update
Patanjali University Shastrotsav Spardha Baba Ramdev Acharya Balkrishna

Patanjali University (Photo: Social Media)

भारतीय शास्त्र सिर्फ ग्रंथ नहीं हैं, ये संपूर्ण सृष्टि के रहस्यों को जानने का माध्यम है. ये कहना है कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का. उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति और परंपरा का आधार हमारे प्राचीन शास्त्र हैं. इनमें विज्ञान, चिकित्सा, गणित, योग और दर्शन के गूढ़ रहस्य शामिल हैं.  

Advertisment

दरअसल, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पतंजलि विश्वविद्याल (Patanjali University) पहुंचे थे. यहां 62वें अखिल भारतीय शास्त्रोत्सव स्पर्धा के समापन कार्यक्रम का आयोजन हो रहा था. कार्यक्रम को धामी ने संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि ऋषि-मुनियों द्वारा किए गए अनुसंधान को सिर्फ विरासत के रूप में संजोने की जगह, आधुनिक परिपेक्ष्य में विकसित करने की जरूरत है. सीएम ने वेदों और शास्त्रों को व्यवहारिक रूप से प्रस्तुत करने और नई पीढ़ी में रुचि विकसित करने की आवश्यकता पर जोर दिया. 

स्वामी रामदेव ने भी संबोधित किया कार्यक्रम

कार्यक्रम में योगऋषि स्वामी रामदेव (Baba Ramdev) ने कहा कि संस्कृत केवल भाषा नहीं है. ये तो विश्व का नेतृत्व करने की सामर्थ्य रखने वाली भाषा है. सनातन धर्म और भारतीय शास्त्रों में विश्व का समस्त ज्ञान सम्मिलित है. उन्होंने संस्कृत के प्रचार-प्रसार को बढ़ावा देने और भारतीय ज्ञान को दोबारा स्थापित करने की आवश्यकता पर जोर दिया. 

ये बोले आचार्य बालकृष्ण

विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य बालकृष्ण (Acharya Balkrishna) भी कार्यक्रम में उपस्थित थे. इस दौरान, उन्होंने संस्कृत को संस्कृति का गौरव बताया. उन्होंने जीवन में भारतीय शास्त्रों के महत्व को उजागर किया. विद्वानों और शोधार्थियों से उन्होंने आग्रह किया कि वेद और शास्त्र के महत्व को हर एक आदमी तक पहुंचाने के लिए लगातार कोशिश करते रहें.

संस्कृत के वैश्विक विस्तार पर जोर

कार्यक्रम में पूर्व शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि संस्कृत कोई थकी-हारी हुई भाषा नहीं है. संस्कृृत में पूरे विश्व में अपना परचम लहराने की ताकत है. कार्यक्रम में केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के कुलपति प्रो. श्रीनिवास वरखेड़ी ने भी संस्कृत, शास्त्र और भारतीय ज्ञान पर अपने विचार व्यक्त किए. 

सम्मान और पुरस्कार वितरण

कार्यक्रम में महामंडलेश्वर स्वामी पुण्यानंदगिरीजी महाराज, पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद जी महाराज, प्रो. सुकांत कुमार सेनापति, डॉ. मुरली मनोहर पाठक, प्रो प्रह्लाद आर जोशी सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए.

 

BABA RAMDEV Patanjali Acharya Balkrishna
      
Advertisment