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Patanjali
Patanjali: पतंजलि आयुर्वेद सिर्फ एक व्यावसायिक ईकाई नहीं है, बल्कि ग्रामीण भारत को बदलने के उद्देश्य से शुरू किया गया एक आंदोलन है, जिससे बाबा रामदेव (Baba Ramdev) और आचार्य बालकृष्ण (Acharya Balkrishna) द्वारा शुरू किया गया है. पतंजलि आयुर्वेद सामाजिक पहलों के माध्यम से रोजगार का सृजन कर रहा है. खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में इसका व्यापाक असर दिख रहा है.
ग्रामीण क्षेत्रों में प्रोडक्शन यूनिट स्थापित करने से स्थानीय कारीगरों, किसानों को लाभ मिल रहा है. लोगों को अब नौकरी की तलाश में पलायन करने की जरूरत महसूस नहीं होती. गांव में आर्थिक स्थिरता आ रही है. पतंजलि किसानों को केमिकल मुक्त कृषि पद्धतियों के बारे में शिक्षित कर रही है. इससे किसानों को सीधे बाजार में पहुंच बनाने में मदद करती है. पतंजलि ग्रामीण भारत में निशुल्क स्वास्थ्य शिविर और आयुर्वेदिक कल्याण केंद्र चलाता है.
आचार्यकुलम और पतंजलि गुरुकुलम जैसी संस्थाएं भारतीय परंपराओं के साथ आधुनिक ज्ञान को मूल्य आधारित शिक्षा प्रदान करती है. पतंजलि व्यवसायिक ट्रेनिंग कार्यक्रम भी आयोजित करता है, जो उद्यमिता और कृषि के माध्यम से युवाओं को आत्मनिर्भर बनाता है. पतंजलि रयासन मुक्त और टिकाऊ कृषि पद्धतियों को अपनाने में मदद करता है. इससे सिर्फ उनकी आय ही नहीं बल्कि पर्यावरण को स्थिरता भी मिलती है. पतंजलि बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण अभियान चलाता है, जो पर्यावरण के अनुसार, पैकेजिंग और टिकाऊ उत्पादन सुनिश्चित करता है.
शिक्षा जगत में पतंजलि का अहम योगदान
पतंजलि आयुर्वेद सिर्फ स्वास्थ्य सेवा में क्रांति नहीं ला रहा है. बल्कि शिक्षा के लिए अहम काम कर रहा है. खासतौर पर वंचित बच्चों के लिए. पतंजलि ने आचार्यकुलम और पतंजिल गुरुकुलम जैसे शैक्षणिक संस्थाएं स्थापित की हैं. छात्रों को यहां आधुनिक वैज्ञानिक शिक्षा और पारंपरिक वैदिक ज्ञान का मिश्रण मिलता है. स्कूलों में अनुशासन, आत्मनिर्भरता और कैरेक्टर बिल्डिंग पर जोर दिया जाता है.
पतंजलि कई सारी छात्रवृत्ति प्रोग्राम्स चलाता है. आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों को वित्तीय सहायता दी जाती है. कई छात्रों को यहां फ्री एजुकेशन के साथ-साथ फ्री में किताबें, यूनिफॉर्म्स और भोजन मिलता है. पतंजलि सुनिश्चित करता है कि वित्तीय बाधाएं उनकी सीखने की यात्रा में बाधा न बनें. पतंजलि के शिक्षा कार्यक्रम योग, नैतिक शिक्षा और ध्यान पर जोर देती है. इससे बच्चों को मानसिक, शारीरिक और इमोशनली स्वस्थ्य रहने में मदद होती है.
आत्मनिर्भर भारत और स्वदेशी मूवमेंट को बढ़ाने का मौका
स्वदेशी आंदोलन भारत के इतिहास का अभिन्न अंग रहा है, जिसमें आत्मनिर्भरता और आर्थिक स्वतंत्रता पर जोर दिया गया है। बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण द्वारा स्थापित पतंजलि आयुर्वेद स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देकर, स्थानीय उद्योगों को सशक्त बनाकर और विदेशी ब्रांडों पर निर्भरता कम करके इस आंदोलन के आधुनिक पथप्रदर्शक के रूप में उभरा है।
पतंजलि भारतीय किसानें से कच्चा माल लेता है और घरेलू स्तर पर उत्पाद बनाता है. रोजगार के अवसर इससे पैदा होते हैं. एमएसएमई भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत होती है. स्वदेशी सामान पर खर्च होने वाला हर एक पैसा अब विदेशी निगमों को लाभ पहुंचाने के बजाए राष्ट्रीय विकास में योगदान देगा. पतंजलि ने उचित मूल्य देकर, सीधा किसानों से संवाद स्थापित करके और बिचौलियों को खत्म करके कृषि क्षेत्र में क्रांति ला दी है. किसानों की आय में अब इससे सुधार होगा.