Air India के बिकने के बाद छोटी सरकारी विमान कंपनियों का क्या होगा?, पढ़ें पूरी खबर
कोविड महामारी के दौरान केंद्र सरकार को Air India के बिकने के बाद नकदी को बचाने में काफी मदद मिलने वाली है. दरअसल, मौजूदा समय में एयर इंडिया को रोजाना 20 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है.
highlights
- एलायंस एयर निजीकरण की प्रक्रिया का हिस्सा नहीं थी
- जुलाई के दौरान एलायंस एयर ने कुल 2,185 उड़ानें संचालित की थीं
नई दिल्ली:
एयर इंडिया (Air India) के विनिवेश को लेकर हर तरफ होने वाली चर्चा को लेकर बना उत्साह अब कम हो गया है. टाटा (Tata) ने बोली जीतने के बाद अब एयरलाइन को चलाने पर ध्यान केंद्रित कर दिया है. दूसरी ओर विनिवेश को लेकर सरकार की ओर से गठित टीम भी अब राहत की सांस ले रही है. बता दें कि कोविड महामारी के दौरान केंद्र सरकार को एयर इंडिया के बिकने के बाद नकदी को बचाने में काफी मदद मिलने वाली है. दरअसल, मौजूदा समय में एयर इंडिया को रोजाना 20 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है. वहीं अब सरकार को दूसरे विनिवेश कार्यक्रमों को भी आगे बढ़ाने में मदद मिलने की संभावना है.
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बता दें कि सरकार के मौजूदा कदम से ऐसा लग रहा है कि उसका मुख्य ध्यान आतिथ्य या विमानन के व्यवसाय में नहीं है. हालांकि अभी भी एक छोटी एयरलाइन सरकारी पोर्टफोलियो का हिस्सा बनी रहेगी. बता दें कि एयर इंडिया की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी एलायंस एयर (Alliance Air) निजीकरण की प्रक्रिया का हिस्सा नहीं थी. एलायंस एयर के पास 18 एटीआर 72-600 विमानों का बेड़ा है. नियामक बाजार हिस्सेदारी की गणना के लिए एलायंस एयर के आंकड़े को एयर इंडिया के साथ जोड़ता है. जुलाई के दौरान एलायंस एयर ने रोजाना औसतन 70 उड़ान के साथ कुल 2,185 उड़ानें संचालित की थीं. एलायंस एयर की क्षेत्रीय कंपनियों Trujet और Star Air के बीच बाजार हिस्सेदारी 1.4 फीसदी है.
एलायंस एयर के लिए क्या हैं चुनौतियां
एलायंस एयर या एयर इंडिया क्षेत्रीय वर्तमान में देशभर में एक ऑल-एटीआर ऑपरेटर परिचालन उड़ाने संचालित करती है. इनमें अधिकांश उड़ाने क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना उड़ान (उड़े देश का आम नागरिक-UDAN) के तहत संचालित होती हैं. बता दें कि पिछले साल एयरलाइन ने दावा किया था कि वह पहली बार ब्रेक ईवन पर पहुंची है. एयरलाइन का एयर इंडिया के साथ घनिष्ठ संबंध रहा है, भले ही उसके पास एक अलग एयर ऑपरेटिंग परमिट (एओपी) है. एयर इंडिया के बिकने के बाद एलायंस एयर को अब अपनी अलग बुकिंग इंजन, रिजर्वेशन सिस्टम और पूरी तरह से अलग आईटी इन्फ्रास्ट्रक्चर की आवश्यकता होगी. बता दें कि मौजूदा सिस्टम को तीन महीनों में टाटा समूह द्वारा अधिग्रहित कर लिया जाएगा.
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