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चीन से भारी तनाव के बीच भारतीय कपड़ा निर्यातकों ने मोदी सरकार से की ये बड़ी मांग

कपड़ा निर्यातकों के संगठन एईपीसी ने केंद्र की नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सरकार से चीन से आयातित खेप को शीघ्रता से मंजूरी दिलाने के मामले में हस्तक्षेप की मांग की है.

Updated on: 27 Jun 2020, 08:20 AM

नई दिल्ली:

कपड़ा निर्यातकों (Textile Exporters) ने सभी हवाईअड्डों और बंदरगाहों पर चीन और हांगकांग से आने वाले प्रत्येक कंटेनरों की गहन जांच को लेकर चिंता जतायी है. उनका कहना है कि इस कदम से आयातित माल को मंजूरी मिलने में अत्यधिक देरी हो रही है जिसका असर अंतत: निर्यात (Export) पर पड़ेगा. इस बारे में कपड़ा निर्यातकों के संगठन एईपीसी ने केंद्र की नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सरकार से चीन से आयातित खेप को शीघ्रता से मंजूरी दिलाने के मामले में हस्तक्षेप की मांग की है. कपड़ा निर्यात संवर्धन परिषद (एईपीसी) ने कहा कि भारतीय कपड़ा उद्योग का निर्यात अप्रैल और मई, 2020 में क्रमश: 91 प्रतिशत और 66 प्रतिशत कम हुआ है.

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ज्यादा जांच से आयातित कच्चे माल की मंजूरी मिलने में देरी
एईपीसी के चेयरमैन ए शक्तिवेल ने केंद्रीय अप्रत्यक्ष एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के चेयरमैन एम अजित कुमार को लिखे पत्र में कहा कि सीमा शुल्क अधिकारी कई बंदरगाहों पर चीन, हांगकांग और ताइवान से आने वाले सामानों की 100 प्रतिशत जांच कर रहे हैं. इसके कारण आयातित कच्चे माल की मंजूरी मिलने में बेवजह देरी हो रही है. ये कच्चे माल परिधान तैयार करने वाली कंपनियां निर्यात के लिये मंगाती हैं. उन्होंने कहा कि इससे कारखानों में कामकाज प्रभावित हो रहा है क्योंकि कच्चे माल बंदरगाहों पर अटके हुए हैं. निर्यातकों को अब इस बात की चिंता है कि वे समय पर तैयार माल की आपूर्ति नहीं कर पाएंगे. शक्तिवेल ने कहा कि भारत और दुनिया के अन्य देशों में कंपनियां ‘लॉकडाउन’ में ढील के बाद अब धीरे-धीरे रास्ते पर आ रही हैं.

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हालांकि, चीन से आयातित खेप को मंजूरी मिलने में हाल की देरी से संकट और बढ़ रहा है. एईपीसी ने पत्र में लिखा है कि कपड़ा उद्योग कई कच्चे माल के लिये आयात पर निर्भर हैं और ये घरेलू बाजार में उपलब्ध नहीं हैं. अब तक इन आयातित मालों के नमूनों की या उनकी आंशिक जांच होती थी. शक्तिवेल ने कहा कि मुंबई, दिल्ली, चेन्नई, बेंगलुरू, कोलकाता, तुतीकोरिन ओर अन्य जगहों पर सभी हवाईअड्डों और समुद्री बंदरगाहों पर स्थिति अनिश्चित बनी हुई है. इसका कारण आयात की खेप को मंजूरी मिलने में अत्यधिक देरी है. सीमा शुल्क अधिकारी चीन, हांगकांग और ताइवान से आने वाले कच्चे माल के लिये दस्तावेजों का निपटान नहीं कर रहे और सभी माल की 100 प्रतिशत जांच कर रहे हैं. परिषद ने सरकार से आयातित खेप के तेजी से मंजूरी के लिये मामले में तत्काल हस्तक्षेप का आग्रह किया है.