Advertisment

टिकाऊ उपभोक्ता उद्योग की 2019 में अच्छी वृद्धि, अगले साल दिख सकता है आर्थिक नरमी का असर

उद्योग के प्रदर्शन के बारे में नंदी ने कहा, 'एसी, रेफ्रिजरेटर जैसे उत्पादों की मांग से 2019 की पहली छमाही अच्छी रही. लेकिन दूसरी छमाही में मांग में नरमी आयी. उद्योग इस साल 9 से 10 प्रतिशत वृद्धि की उम्मीद कर रही है.

author-image
Ravindra Singh
New Update
टिकाऊ उपभोक्ता उद्योग की 2019 में अच्छी वृद्धि, अगले साल दिख सकता है आर्थिक नरमी का असर

सांकेतिक चित्र( Photo Credit : न्‍यूज स्‍टेट)

Advertisment

टिकाऊ उपभोक्ता क्षेत्र के लिये यह साल कुल मिलाकर अच्छा रहा. वृद्धि के लिहाज से करीब दो साल स्थिर रहने के बाद 2019 में यह क्षेत्र वृद्धि के रास्ते पर लौटा है. हालांकि आर्थिक नरमी को देखते हुए अगला साल चुनौती भरा हो सकता है. टिकाऊ उपभोक्ता क्षेत्र 2018-19 में करीब 76,400 करोड़ रुपये का था और 2019 में इसमें लगभग 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई. इसकी वजह गर्मी की लंबी अवधि के कारण एसी और रेफ्रिजरेटर जैसे उत्पादों की मांग में वृद्धि है. हालांकि उद्योग के समक्ष टेलीविजन पैनल और माइक्रोवेव जैसे खंडों में चुनौतियां बनी हुई हैं. इन क्षेत्रों का 2019 के दौरान अच्छा प्रदर्शन नहीं हुआ. हालांकि, कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स एंड एप्लायंसेंस मैनुफैक्चरर्स एसोसिएशन (सीईएएमए) को उम्मीद है कि अगले साल भी चीजों को ठंडा रखने वाले (कूलिंग) उत्पादों की मांग अच्छी रहेगी.

सीईएएमए के अध्यक्ष और गोदरेज एप्लायंसेस बिजनेस के प्रमुख तथा कार्यकारी उपाध्यक्ष कमल नंदी ने पीटीआई भाषा से कहा, 'मौजूदा अनुमान को देखते हुए 2020 में अच्छी वृद्धि की संभावना नहीं है लेकिन मौसम महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. लंबे समय तक गर्मी रहने से ठंडा रखने वाले उत्पादों की मांग को गति मिल सकती है.' टिकाऊ उपभोक्ता उद्योग को 2019 में टी वी पैनल पर सीमा शुल्क में कटौती समेत अन्य कदमों से कई प्रोत्साहन मिले. कंपनियों का कहना है कि स्थानीय स्तर पर बनने वाले कल-पुर्जों का योगदान बढ़ने से ‘मेक इन इंडिया’ को गति मिलेगी.

यह भी पढ़ें-नागरिकता संशोधन अधिनियम किसी की नागरिकता नहीं छीनता है - रविशंकर

उन्होंने कहा, 'पिछले पांच साल में विनिर्माताओं ने करीब 7,500 करोड़ रुपये निवेश किये. ये निवेश मुख्य रूप से क्षमता विस्तार और नई क्षमता विकास के लिये किये गये. आगे भी यह प्रवृत्ति बनी रह सकती है.' इसी प्रकार की राय जाहिर करते हुए पैनासोनिक इंडिया तथा दक्षिण एशिया के अध्यक्ष और मुख्य कार्यपालक अधिकारी मनीष शर्मा ने कहा कि अंतिम रूप से उत्पाद तैयार करने में उपयोग कल-पुर्जों का स्थानीय उत्पादन बढ़ने जा रहा है. इसका कारण नया शुल्क ढांचा है. इसके कारण यहां उत्पादन में समझदारी है. फिलहाल, उपकरणों और उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स में स्थानीय उत्पादों का उपयोग औसतन 50 से 55 प्रतिशत है. एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया के उपाध्यक्ष (घरेलू उपकरण) विजय बाबू ने कहा कि दक्षिण कोरिया की कंपनी अपने उत्पादों में स्थानीय कल-पुर्जों का उपयोग बढ़ा रही है.

यह भी पढ़ें-कंगाल पाकिस्तान पर FTF का दबाव, पूछा- अब तक कितने प्रतिबंधित संगठनों पर की कार्रवाई

कंपनी एसी, माइक्रोवे, वाशिंग मशीन (फ्रंट लोड) जैसे उत्पादों में पूर्ण रूप से स्थानीय उत्पादों का उपयोग कर रही है. उद्योग के प्रदर्शन के बारे में नंदी ने कहा, 'एसी, रेफ्रिजरेटर जैसे उत्पादों की मांग से 2019 की पहली छमाही अच्छी रही. लेकिन दूसरी छमाही में मांग में नरमी आयी. उद्योग इस साल 9 से 10 प्रतिशत वृद्धि की उम्मीद कर रही है. देश के विभिन्न भागों में बाढ़ और कमजोर आर्थिक धारणा से 2019 पर असर पड़ा.' सीईएएमए और शोध एवं परामर्श कंपनी फ्रास्ट एंड सुलिवान के हाल के संयुक्त अध्ययन के अनुसार उपकरणों और उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग और बाजार का आकार 2024-25 तक दोगुना होकर 1.48 लाख करोड़ रुपये पहुंच जाने का अनुमान है. गांवों में खपत बढ़ने, खुदरा उत्पादों की पहुंच बढ़ने, व्यापक स्तर पर ब्रांड की उपलब्धता जैसे कारणों से बाजार में वृद्धि बढ़ने की उम्मीद है. 

Source : Bhasha

Refrigerator Microwave Consumer Industry ac Television
Advertisment
Advertisment
Advertisment