Stock Market: भारतीय बाजार में सोमवार को हुई भारी गिरावट के बाद निफ्टी के मंदी की चपेट में आने का खतरा मंडराने लगा है. सोमवार (7 अप्रैल) को बाजार का प्रमुख इंडेक्स सेंसेक्स 4000 अंक की गिरावट के साथ 71,500 के लेवल पर आ गया. जबकि निफ्टी में 4 फीसदी की गिरावट देखने को मिली. उसके बाद ये 21,744 अंक पर कारोबार करता दिखा. भारतीय बाजार में आई गिरावट की वजह वॉल स्ट्रीट के क्रैश और वैश्विक बाज़ार से मिल रहे नकारात्मम संकेतों को माना जा रहा है. जो ट्रंप के टैरिफ के चलते खौफ में हैं.
दरअसल, घरेलू स्टॉक्स में सोमवार को अमेरिकी बाजार में आई गिरावट का असर देखने को मिल रहा है. जो ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ के चलते फिसल गया. गिरावट के चलते अमेरिकी बाजार में मंडी की आशंका जताई जा रही है. जिससे निवेशकों में हड़कंप मचा हुआ है. बता दें कि ट्रंप के पारस्परिक टैरिफ के एलान के बाद जेपी मॉर्गन ने मंदी की संभावना का अपना पूर्वानुमान भी 60 फीसदी तक बढ़ा दिया है. जिसे बैंक 1968 के बाद से सबसे महत्वपूर्ण अमेरिकी टैरिफ वृद्धि मान रहा है.
23 फीसदी से ज्यादा टूटा नैस्डैक
इस बीच अमेरिकी बाजारों में भारी गिरावट देखने को मिल रही है. नैस्डैक अब मंदी के दौर में प्रवेश कर चुका है. क्योंकि नैस्डैक दिसंबर के बाद से अब तक अपने उच्चतर स्तर से लगभग 23 प्रतिशत नीचे आ गया है. डॉउ जोन्स में भी काफी गिरावट देखने को मिली है. जो 15 प्रतिशत टूट चुका है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस वैश्विक रुझानों के चलते निफ्टी50 बीते साल सितंबर के अपने उच्चतम स्तर से अब तक लगभग 17 प्रतिशत गिरकर कारोबार कर रहा है. जो अब 21,022 के मंदी के बाजार की सीमा के काफी करीब आ गया है.
कब मानी जाती है बाजार में मंदी?
बता दें कि किसी भी बाजार में तब मंदी की का एलान किया जाता है जब बाजार का प्रमुख इंडेक्स अपने उच्चतर स्तर से 20 फीसदी या उससे अधिक गिर जाए. अगर भारतीय बाजार का निफ्टी50 सूचकांक सितंबर 2024 के बाद से 20 फीसदी टूटता है तो वह भी मंदी के दौर में प्रवेश कर जाएगा. क्योंकि पिछले साल सितंबर में अपने सर्वोच्च स्तर पर पहुंचने के बाद निफ्टी लगातार टूट रहा है और ये अब तक 17 प्रतिशत तक गिर चुका है. ऐसे में अगर ये तीन प्रतिशत और टूटा तो ये मंदी में प्रवेश कर जाएगा.