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ऐतिहासिक ऊंचाई पर शेयर बाजार (Share Market), जानिए क्या है तेजी की वजह

Share Market Update: पिछले हफ्ते शुक्रवार को सेंसेक्स ने पहली बार 60 हजार के ऐतिहासिक आंकड़े को पार किया था. बता दें कि सेंसेक्स को 50 हजार से 60 हजार का सफर तय करने में 246 दिन यानी करीब 8 महीने लगे हैं.

Updated on: 27 Sep 2021, 10:58 AM

highlights

  • सेंसेक्स को 50 हजार से 60 हजार का सफर तय करने में 246 दिन यानी करीब 8 महीने लगे
  • 27 सितंबर को सेंसेक्स ने 60,412.32 और निफ्टी ने 17,947.65 की रिकॉर्ड ऊंचाई को छू लिया

मुंबई:

Share Market Update: भारतीय शेयर बाजार (Stock Market) ऐतिहासिक ऊंचाई पर पहुंच गया है और वह लगातार नए रिकॉर्ड बना रहा है. 2020 से इस साल तक शेयर मार्केट ने कई रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. बता दें कि पिछले हफ्ते शुक्रवार को सेंसेक्स ने पहली बार 60 हजार के ऐतिहासिक आंकड़े को पार किया था. बता दें कि सेंसेक्स को 50 हजार से 60 हजार का सफर तय करने में 246 दिन यानी करीब 8 महीने लगे हैं. लार्ज कैप शेयरों में आए उछाल से शेयर बाजार उच्च स्तर को छू रहा है. वहीं दूसरी ओर निफ्टी भी नई ऐतिहासिक ऊंचाई पर पहुंच गया है. सोमवार यानी 27 सितंबर को सेंसेक्स ने 60,412.32 और निफ्टी ने 17,947.65 की रिकॉर्ड ऊंचाई को छू लिया है. सभी लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप मिलाकर 250 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया है. ऐसे में शेयर बाजार में आई इस तेजी के पीछे क्या बड़ी वजहे हैं इसको इस रिपोर्ट में जानने की कोशिश करते हैं. 

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2022 से ब्याज दरों में बढ़ोतरी किए जाने के संकेत
अमेरिकी फेडरल रिजर्व (Federal Reserve) ने  2022 से ब्याज दरों में बढ़ोतरी किए जाने के संकेत दिए हैं. वहीं दूसरी ओर इस साल के अंत से बॉन्ड खरीद कार्यक्रम को कम किए जाने के भी संकेत दिए हैं. फेडरल रिजर्व का कहना है कि ब्याज दरों में अचानक बढ़ोतरी नहीं की जाएगी. ब्याज दरों में बढ़ोतरी नहीं होने की वजह से निवेशकों को काफी फायदा हो रहा है. फेडरल रिजर्व के इस फैसले के बाद भारत समेत दुनियाभर के शेयर बाजारों में तेजी देखने को मिली है. 

Evergrande 
चीन की सबसे बड़ी रियल एस्टेट कंपनियों में से एक एवरग्रांड के भारी कर्ज में डूबने की वजह से संकट पैदा हो गया है जिसकी वजह से दुनियाभर में कारोबारी माहौल को चिंता में डाल दिया था. हालांकि हाल के दिनों में आए सकारात्मक खबरों से निवेशकों के सेंटीमेंट में बदलाव आया है. चीन के के सेंट्रल बैंक पीपल्स रिपब्लिक बैंक ऑफ चाइना ने बैंकिंग सिस्टम में 17 बिलियन डॉलर डाल दिया है जिसकी वजह से चिंता कुछ कम हुई है. 

टेक्सटाइल सेक्टर (Textile Sector) के लिए कैबिनेट से प्रोडक्शन लिंक्ड इन्सेंटिव स्कीम (PLI-Production Linked Incentive) को मंजूरी दी है. टेलिकॉम इंडस्ट्री के लिए राहत पैकेज जैसे कदम से भी शेयर बाजार में कैश इनफ्लो बढ़ा है. टेलिकॉम इंडस्ट्री के लिए राहत पैकेज के ऐलान के बाद टेलिकॉम शेयरों में जोरदार तेजी देखने को मिली है. जानकारों का कहना है कि लॉकडाउन के बाद से करीब 1 करोड़ नए रिटेल निवेशकों ने डीमैट अकाउंट को खोला है. शेयर बाजार में रिटेल निवेशकों के द्वारा निवेश बढ़ाने की वजह से शेयर बाजार में तेजी देखने को मिली है. जानकारों का कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में घरेलू और विदेशी निवेशकों के भरोसे में बढ़ोतरी हुई है. विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) और घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) लगातार भारतीय शेयर बाजार में निवेश कर रहे हैं.

क्या कहते हैं जानकार
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के हेड रिटेल रिसर्च सिद्धार्थ खेमका का कहना है कि घरेलू बाजार में पॉजिटिव वैश्विक संकेतों, एफआईआई या डीआईआई द्वारा मजबूत प्रवाह, अच्छी कॉरपोरेट आय, गिरते कोविड -19 मामलों, उत्साहित कॉरपोरेट टिप्पणियों और पूंजी की कम लागत से प्रेरित है. उत्साहजनक भावना और बढ़ी हुई गतिविधि के बीच, निफ्टी वैल्यूएशन ऊंचे स्तर पर पहुंच गया और कमाई की उम्मीदों पर लगातार डिलीवरी की मांग की है. बढ़े मूल्यांकन को देखते हुए, कोई भी रुक-रुक कर अस्थिरता को नजरअंदाज नहीं कर सकता है. हालांकि, हम आर्थिक गतिविधियों में सुधार और कॉरपोरेट आय में सुधार के पीछे पॉजिटिव गति जारी रहने की उम्मीद करते हैं.

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कैपिटल वाया ग्लोबल रिसर्च के तकनीकी अनुसंधान प्रमुख आशीष बिस्वास के अनुसार अतिरिक्त तरलता और कम ब्याज दर व्यवस्था के कारण बाजार बढ़ रहा है. निवेशकों ने प्रोत्साहन को वापस लेने और ब्याज दरों को बढ़ाने पर फेडरल रिजर्व के रुख से राहत महसूस की. एफआईआई और डीआईआई ने बाजार में और अधिक निवेश किया है, जिससे यह और बढ़ गया है. तीसरी लहर का डर भी कम हो गया है और निवेशक अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभावों के बारे में चिंतित नहीं हैं क्योंकि ज्यादा से ज्यादा लोग टीकाकरण करवा रहे हैं. इसके अलावा, एचडीएफसी सिक्योरिटीज के एमडी और सीईओ, धीरज रेली ने कहा कि यह एफपीआई और स्थानीय निवेशकों की वापसी के प्रभाव को दर्शाता है, जो बार-बार सामने आने के बावजूद निवेश करना जारी रख रहे हैं. पिछले 18 महीनों में सूचकांकों में 10 प्रतिशत की गिरावट का अभाव स्थानीय निवेशकों की परिपक्वता को दर्शाता है, लेकिन अगले कुछ हफ्तों या महीनों में ऐसा होने की संभावना को भी बढ़ाता है.