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भारत को 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था बनाने में सहयोग के लिए बाजार तैयार: सेबी चेयरमैन

अजय त्यागी ने फिक्की के 17वें वार्षिक कैपिटल मार्केट कॉन्फ्रेंस 'सीएपीएएम2020' को संबोधित करते हुए कहा कि इक्विटी मार्केट (Share Market) प्रणाली मौजूदा चुनौतियों से निपटने के लिए अच्छी तरह तैयार है.

Updated on: 22 Jul 2020, 02:35 PM

मुंबई:

सेबी (SEBIके अध्यक्ष अजय त्यागी (SEBI Chairman Ajay Tyagi) ने बुधवार को कहा कि भारत का इक्विटी बाजार (Equity Market) देश को पांच ट्रिलियन अर्थव्यवस्था का लक्ष्य हासिल करने में मदद के लिए तैयार है. त्यागी ने फिक्की (FICCI) के 17वें वार्षिक कैपिटल मार्केट कॉन्फ्रेंस 'सीएपीएएम2020' को संबोधित करते हुए कहा कि इक्विटी मार्केट (Share Market) प्रणाली मौजूदा चुनौतियों से निपटने के लिए अच्छी तरह तैयार है. सम्मेलन का थीम 'आत्मनिर्भर भारत : पूंजी बाजार की भूमिका' है. उन्होंने माना कि कोविड-19 के प्रकोप के कारण देश एक कठिन, तनावपूर्ण और चुनौतीपूर्ण समय से गुजर रहा है.

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त्यागी ने इसके अलावा देश के कॉरपोरेट बॉन्ड मार्केट के विकास का भी आह्वान किया. इस सेगमेंट को महत्वपूर्ण बताते हुए उन्होंने इस संबंध में उठाए गए कुछ कदमों का जिक्र किया, लेकिन कहा कि अभी और सुधार की जरूरत है.

लॉकडाउन से शेयर बाजारों में खुदरा निवेशकों की भागीदारी बढ़ी: सेबी
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने कहा है कि कोरोना वायरस महामारी पर अंकुश के लिए लागू लॉकडाउन के दौरान शेयर बाजारों में खुदरा निवेशकों की भागीदारी बढ़ी है। सेबी के चेयरमैन अजय त्यागी ने बुधवार को उद्योग मंडल फिक्की के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि इस दौरान डीमैट खातों की संख्या में अच्छा-खासा इजाफा हुआ है. इसकी वजह बाजार में नए निवेशकों की भागीदारी बढ़ना है. त्यागी ने कहा कि इसके अलावा नियामक ने कंपनियों द्वारा धन जुटाने की प्रक्रिया को भी आसान किया है.

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महामारी की वजह से कंपनियों को कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिसके चलते ये कदम उठाए गए हैं. इन उपायों में राइट्स इश्यू, अनुवर्ती सार्वजनिक निर्गम (एफपीओ), पात्र संस्थागत नियोजन से संबंधित नियम और तरजीही निर्गम के जरिये शेयरों के आवंटन के लिए सुगम मूल्य ढांचा आदि शामिल है। दबाव वाली संपत्तियों की समस्या से जूझ रही कंपनियों को सुगमता से तरजीही आवंटन के जरिये धन जुटाने की सुविधा को सेबी ने इस तरह के निर्गमों के लिए मूल्य तय करने के तरीकों में ढील दी और आवंटियों को खुली पेशकश की प्रतिबद्धताओं से छूट दी है.