केंद्र की नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सरकार को घरेलू शेयर बाजार (Share Market) में स्थिरता लाने के लिये कुछ सूचीबद्ध और गैर सूचीबद्ध सार्वजनिक उपक्रमों के अपने शेयर हस्तांतरित कर एक सरकारी संपत्ति कोष का गठन करना चाहिए और विनिवेश कार्यक्रम को फिर से तैयार करना चाहिए. कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी के बीच पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने यह कहा है.
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तीन हफ्ते में घरेलू शेयर बाजार का मार्केट कैप 35 फीसदी नीचे आया
गर्ग ने बुधवार को अपने ब्लाग पर लिखे लेख में कहा है कि घरेलू शेयर बाजारों का बाजार पूंजीकरण पिछले तीन सप्ताह में 35 प्रतिशत से अधिक नीचे आ गया है. यह 40 लाख करोड़ रुपये के बराबर है. यह भारत सरकार के 2020-21 के पूरे बजट से अधिक है. उन्होंने कहा कि बाजार में उठा-पटक से सरकार का विनिवेश कार्यक्रम भी प्रभावित होगा. पूर्व वित्त सचिव ने कहा कि विनिवेश कार्यक्रम के छह महीने से पहले शुरू होने की संभावना नहीं है. बीपीसीएल, कॉनकार और एससीआई में रणनीतिक बिक्री भी कम-से-कम कुछ समय के लिये प्रभावित होगी. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार के एलआईसी में हाल-फिलहाल हिस्सेदारी बिक्री शुरू करने की संभावना भी कम है...एयर इंडिया की बिक्री भी प्रभावित होगी.
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गर्ग ने कहा कि सरकार के पास दो बड़े काम है. पहला बाजार में जो अफरातफरी है, उसको रोकना ताकि सही कंपनियों और भारतीय कंपनियों मूल्य को संरक्षित किया जा सके. दूसरा, स्थिति को ध्यान में रखते हुए विनिवेश कार्यक्रम की रूपरेखा फिर से तैयार करना. उन्होंने कहा कि अगर सरकार भारतीय इक्विटी मूल्य संरक्षित सरकारी संपत्ति कोष बनाती है, इन लक्ष्यों को हासिल किया जा सकता है. यह कोष सरकार की सभी सूचीबद्ध कंपनियों में हिस्सेदारी और कुछ मूल्यवान गैर-सूचीबद्ध कंपनियों की हिस्सेदारी हस्तांतरित कर की जा सकती है. इन कंपनियों का सम्मिलित बाजार मूल्य करीब 15 लाख करोड़ रुपये का हो सकता है.
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गर्ग ने कहा कि कोष में इतनी बड़ी पूंजी से यह बाजार से पर्याप्त राशि कर्ज ले सकेगा. यह आसानी से 10 लाख करेाड़ रुपये से अधिक हो सकता है. इसका उपयोग बुनियादी रूप से मजबूत कंपनियों के शेयर खरीदने में किया जा सकता है जो अभी अपने मूल्य से कम भाव पर आ गए हैं. उन्होंने कहा कि एक बार बाजार के स्थिर होने पर कोष खरीदे गये शेयरों को बेच सकता है ओर लिये गये कर्ज का भुगतान कर सकता है. गर्ग ने कहा कि सरकारी संपत्ति कोष बनाने के बाद लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग की भी जरूरत नहीं होगी.