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Russia America Currency war : रूस-यूक्रेन युद्ध से बढ़ा करेंसी वार, भारत की होगी चांदी

Russia America Currency war: रूस-य़ूक्रेन युद्ध की वजह से पूरी दुनिया दो गुटों में बटंती नजर आ रही है. इससे एक तरफ तीसरे विश्व युद्ध की आशंका जन्म लेने लगी है.

Updated on: 02 Apr 2022, 01:53 PM

highlights

  • Russia Ameri Currency war रूस का अमेरिका पर पलटवार
  • रूस ने डॉलर (Dollar) में व्यापार करने से किया तौबा
  • अपने सहयोगियों संग स्थानीय मुद्रा में करेगा व्यापार 

नई दिल्ली:

Russia America Currency war: रूस-य़ूक्रेन युद्ध की वजह से पूरी दुनिया दो गुटों में बटंती नजर आ रही है. इससे एक तरफ तीसरे विश्व युद्ध की आशंका जन्म लेने लगी है. वहीं, इस युद्ध ने अमेरिका और रूस के बीच एक नए किस्म की जंग को भी जन्म दिया है और वह है करेंसी वॉर. दरअसल, यूक्रेन पर हमले की वजह से अमेरिका और पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों ने रूस की आर्थिक रूस से कमर तोड़ दी है. रूस का विदेशी मुद्रा भंडार इस वक्त डॉलर की कमी से जूझ रहा है. ऐसे में रूस ने स्थानीय मुद्रा में व्यापार का ऐलान कर दिया है. 

भारत पर मेहरबान है रूस
रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से दोनों देशों के साथ-साथ दुनिया भर में कई तरह के संकट खड़े हो रहे हैं. रूस पर बढ़ते प्रतिबंधों के कारण व्यापार और भुगतान का संकट बढ़ता जा रहा है. चाहे मामला क्रूड ऑयल का हो या यूरोप को गैस सप्लाई और उसके भुगतान का. ऐसे में रूस ने इसकी काट के लिए अमेरिकी डॉलर को ही बाय-बाय करना शुरू कर दिया है. तेल और गैस से भरपुर रूस ने डॉलर की जगह अब स्थानीय करेंसी में व्यापार का ऐलान कर दिया है. लिहाजा, करेंसी को लेकर आगे और भी संघर्ष बढ़ेगा. इसका अंदाजा रूसी विदेश मंत्री के हालिया भारत दौरे से लगाया जा सकता है. भारत दौरे पर आए रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने शुक्रवार को कहा कि रूस ने पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों से जुड़ी बाधाओं को दूर करने के लिए भारत और अपने दूसरे सभी साझेदारों के साथ राष्ट्रीय मुद्राओं में व्यापार करने की दिशा में आगे बढ़ना शुरू कर दिया है. लावरोव ने कहा कि भारत और चीन जैसे देशों के साथ व्यापार के लिए ऐसी व्यवस्था कई साल पहले शुरू की गई थी और पश्चिमी (डॉलर और यूरो में) भुगतान प्रणालियों को दरकिनार करने के प्रयास अब तेज किए जाएंगे.  इसके साथ ही उन्होंने भारत को तेल, गैस, सैन्य साजो सामान और अन्य वस्तुओं की जरूरतों को भी पूरा करने का वादा किया है. लावरोव ने विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ व्यापक बातचीत के बाद यह टिप्पणी की.

यूरोपीय देशों को भी रूबल में भुगतान का अल्टीमेटम
रूस-यूक्रेन युद्ध में यूरोपीय देश अमेरिका के साथ है, लेकिन इन देशों में रूस बड़े पैमाने पर तेल और गैस की सप्लाई करता है. ऐसे में रूस ने अमेरिकी प्रतिबंधों को धता बताने के लिए इन देशों को 31 मार्च के बाद सभी तरह के लेनदेन रूबल में करने को कहा है. हालांकि, जर्मनी समेत कई यूरोपीय देशों ने रूबल में भुगतान करने से मना कर दिया था. इसके बाद रूस ने सख्त रुख अपनाते हुए साफ कर दिया था कि जो भी देश रूबल में भुगतान नहीं करेगा, उसकी गैस और तेल की आपूर्ति रोकने की चेतावनी दी है. 

सोना बन सकता एक्सचेंज का आधार
ऐसे में सवाल पैदा होता है कि डॉलर की बादशाहत खत्म होने के बाद दो देशों के बीच कैसे होगा, क्योंकि डॉलर अभी दुनिया की एक्सचेंज मनी है. यानी एक देश जब दूसरे देश के किसी भी प्रकार का लेन देन करता है तो उसे डॉलर में भुगतान करता है. हर देश की मुद्रा की अपने देश में खरीद शक्ति के आधार पर डॉलर की कीमत यहां निर्धारित होती है. यहीं वजह है कि दुनिया भर की अलग-अलग मुद्राओं में डॉलर की कीमत अलग-अलग होती है. ऐसे में सवाल पैदा होता है कि दो देश अपनी मुद्राओं में एक दूसरे से कैसे व्यापार कर पाएंगे. दरअसल, इसी समस्या का हल निकालने के लिए दोनों देशों ने विशेषज्ञों की टीम गठित करने का ऐलान किया है. इसका एक हल सोना भी हो सकता है. सोना को एक्सचेंज मनी यानी मुद्राओं के हस्तांतरण का आधार मानकर इस समस्या का हल किया जा सकता है.  

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अमेरिका बौखलाया
प्रतिबंध के बाद भी रूस के साथ व्यापार जारी रखने पर अमेरिका ने गुरुवार को आगाह किया था कि रूस के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंधों में गतिरोध पैदा करने वाले देशों को अंजाम भुगतने पड़ेंगे. साथ ही, यह भी कहा कि वह रूस से ऊर्जा एवं अन्य वस्तुओं का भारत के आयात में बढ़ोतरी को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेगा. अमेरिका के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (Deputy NSA) दलीप सिंह ने मास्को और बीजिंग के बीच गहरी साझेदारी का जिक्र कर भारत को डराते हुए कहा था कि भारत को यह उम्मीद नहीं रखनी चाहिए कि अगर चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) का उल्लंघन करता है तो रूस, भारत की रक्षा करने के लिए दौड़ा चला आएगा.

भारत को होगा फायदा
डॉलर के स्थान पर स्थानीय मुद्रा में सोने को आधार मानकर व्यापार करने पर भारत को काफी फायदा होने की संभावना है. दरअसल, इस वक्त मनमाने तरीके से बाजार से डॉलर कम कर इसके मुल्य को प्रभावित कर दिया जाता है. ऐसे विदेशी भुगतान काफी महंगा हो जाता है, जिसका देश की आर्थिक स्थिति प्रभावित होती है. ऐसे में सोना को आधार मानकर स्थानीय मुद्रा में भुगतान होने से रुपए की कीमत में स्थिरता रह सकती है.