अक्टूबर में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स यानी खुदरा महंगाई में लोगों का बड़ा झटका लगा है. सब्जियों की कीमत में अक्टूबर माह में तेजी से खुदरा महंगाई दर बढ़कर 4.62% हो गई है. सितंबर में यह दर 3.99 फीसदी थी. पिछले महीने खुदरा महंगाई दर 15 महीनों में सबसे ज्यादा रही है. यह आरबीआई के चार प्रतिशत मीडियम टर्म टारगेट से ज्यादा हो गया है.
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अक्टूबर में महीने दर महीने आधार पर सब्जियों की महंगाई दर 15.4 फीसदी से बढ़कर 26 फीसदी पर पहुंच गई है. वहीं, दालों की महंगाई दर बढ़कर 11.72 फीसदी हो गई, जो सितंबर 2019 में 8.34 फीसदी थी. बिजली और ईंधन की महंगाई दर सितंबर के -2.18 प्रतिशत के मुकाबले -2.02 फीसदी रही. हाउसिंग सेक्टर में खुदरा महंगाई सितंबर की 4.75 फीसदी से घटकर 4.58 फीसदी पर पहुंची. क्लोथिंग एंड फुटवियर की खुदरा महंगाई अक्टूबर में बढ़कर 1.65 फीसदी हो गई, जो सितंबर में 0.96 फीसदी पर थी.
सरकार ने खुदरा महंगाई पर काबू पाने के लिए एक मीडियम टर्म इनफ्लेशन टारगेट तय किया है. इसके तहत मार्च 2021 तक महंगाई दर की ग्रोथ को चार फीसदी बनाए रखने की कोशिश की जाएगी. अक्टूबर में फूड प्राइस की ग्रोथ 7.89 फीसदी रही. खाने-पीने की चीजों के दाम 3 साल में सबसे ज्यादा हो गए हैं. इससे खुदरा महंगाई दर बढ़ी है. सितंबर में महंगाई दर की ग्रोथ 3.99 फीसदी थी. पिछले साल जुलाई के बाद महंगाई दर सितंबर में सबसे ज्यादा थी, लेकिन अक्टूबर में अब खुदरा महंगाई दर और बढ़ गई है.
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सितंबर में इंडिया के फैक्ट्री आउटपुट में 4.3 फीसदी की कमी आई है. इससे पहले अगस्त में भी फैक्ट्री आउटपुट घटा था. फैक्ट्री आउटपुट का यह सिरीज अप्रैल 2012 में लॉन्च हुआ था. तब से लेकर अब तक की यह सबसे बड़ी गिरावट है.