प्रधानमंत्री महोदय, क्या ऐसे ही होगा हर शख्स का घर खरीदने का सपना साकार
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रॉपर्टी बाजार में सुस्ती है जिसकी वजह से नए प्रोजेक्ट भी बनने बंद हो गए हैं
नई दिल्ली:
पिछले चार सालों में लोगों के लिए घर खरीदना काफी महंगा हो गया है. भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी आवास ऋण पर निगरानी सर्वे में इस बात का पता चला है. भारत के जिन प्रमुख शहरों में घर खरीदना मंहगा हुआ है उसमें दिल्ली एनसीआर भी शामिल है. रिपोर्ट के मुताबिक, लोगों की आय की तुलना में मकानों की कीमत बढ़ गई है जिसकी वजह से लोन सुविधा होने के बावजूद लोग मकान खरीदने का अपना सपना पूरा नही कर पा रहे. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रॉपर्टी बाजार में सुस्ती है जिसकी वजह से नए प्रोजेक्ट भी बनने बंद हो गए हैं.
वहीं दूसरी तरफ बताया ये भी जा रहा है कि रेरा और जीएसटी के चलते रियल एस्टेट एस्टेट मार्केट में लोगों का भरोसा फिर से बढ़ा है. ऐसे में घर खरीदने वालों के लिए समय सही है. बताया जा रहा है कि आने वाले समय में मकानों की कीमत और तेजी से बढ़ेगी.
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क्या है रेरा (RERA)?
रेरा यानी रियल एस्टेट रेग्युलेशंस एक्ट (RERA) साल 2016 में लागू किया गया था. घर खरीदने वालों के हितों को ध्यान में रखते हुए सरकार 2016 में रियल एस्टेट रेग्युलेशंस एक्ट (RERA) लेकर आई. इस एक्ट के जरिए होम बायर्स को काफी फायदा मिला है. वहीं इससे बिल्डर्स की मनमानी पर लगाम भी लगी है. मौजूदा समय में 2018 अंत तक इस एक्ट के दायरे में 34,600 प्रोजेक्ट और 26,800 रियल एस्टेट एजेंट्स थे. रेरा 1 मई 2017 से देशभर में लागू हो गया है. RERA के जरिए होम बायर्स को क्या फायदे मिले हैं. आइये इस पर नजर डाल लेते हैं.
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कारपेट एरिया को लेकर उलझन कम हुई
RERA के आने से पहले बिल्डर्स अपनी मनमर्जी से कारपेट एरिया को तय करते थे. सभी बिल्डर्स का कारपेट एरिया तय करने का अपना अलग-अलग तरीका होता था. RERA आने के बाद होम बायर्स को कारपेट एरिया के मामले में काफी सहूलियत हुई है. एक्ट के तहत सभी बिल्डर्स को एक ही फार्मूला इस्तेमाल करना होगा. एक्ट के मुताबिक कारपेट एरिया का मतलब इस्तेमाल किए जाने वाले फ्लोर एरिया से हैं. इसमें बाहरी दीवार, बाहरी बालकनी, बरामदा और खुली छत शामिल नहीं है.
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बिल्डर्स के झूठे वादों से होम बायर्स को सुरक्षा
घर खरीदते समय बिल्डर जो वादे करता है और उसके बाद वह उन वादों से मुकर जाता है तो RERA बायर्स को उस प्रोजेक्ट से बाहर होने का अधिकार देता है. ऐसी स्थिति में बिल्डर्स को जमा की गई पूरी रकम होम बायर्स को वापस मिलेगी. अगर बिल्डर पैसे वापस करने में देरी करता है तो उसे ब्याज के साथ उस पैसे को लौटाना पड़ेगा.
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