वित्त मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के तहत संचालित तेल विपणन कंपनियां (ओएमसी) अपनी कार्यगत पूंजी की जरूरतों के लिए 10 अरब डॉलर विदेशी मुद्रा के रूप में कर्ज जुटा सकती है।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि तेल कंपनियां चरणबद्ध ढंग से पांच साल अवधि में परिपक्व ता वाली वाणिज्यिक उधारी (ईसीबी) के जरिए 10 अरब डॉलर जुटा सकती है, जिसकी आरंभिक किस्त चार अरब डॉलर और इसके बाद तीन-तीन अरब डॉलर की दो किस्तों में एक साल के भीरत धन जुटा सकती है।
मंत्रालय के इस बयान से पहले भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने तेल कंपनियों की कार्यशील पूंजी के लिए बुधवार को ईसीबी के मानदंडों में ढील देने का फैसला लिया। आरबीआई ने कंपनी विशेष के तय सीमा 75 करोड़ डॉलर या समतुल्य और हेजिंग की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया।
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आरबीआई ने यह कदम रुपये की गिरावट को थामने के मकसद से उठाया है।
आरबीआई ने तेल कंपनियों को उनकी डॉलर की जरूरतों की पूर्ति विदेशों से करने के लिए उत्साहित करने की कोशिश की है ताकि डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरावट रोकी जाए।
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भारत अपनी तकरीबन 80 फीसदी तेल की जरूरतों की पूर्ति आयात से करता है। ऐसे में तेल के दाम में वृद्धि से डॉलर की मांग बढ़ती जा रही है जिसके फलस्वरूप घरेलू मुद्रा पर दबाव देखा जा रहा है। डॉलर के मुकाबले रुपया गुरुवार को रिकॉर्ड 73.77 के निचले स्तर तक लुढ़का।
Source : IANS