तिमाही नतीजों, मुद्रास्फीति के आंकड़ों, वैश्विक रुख से तय होगी बाजार की दिशा
सोमवार को खुदरा मुद्रास्फीति तथा मंगलवार को थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति के आंकड़े आने वाले हैं.
दिल्ली:
शेयर बाजारों की दिशा इस सप्ताह कंपनियों के तिमाही नतीजों, मुद्रास्फीति के आंकड़ों तथा अमेरिका-चीन के बीच व्यापार शुरुआती व्यापार करार जैसे घटनाक्रमों से तय होगी. विश्लेषकों ने यह राय व्यक्त की है. ट्रेडिंगबेल्स के वरिष्ठ शोध विश्लेषक संतोष मीणा ने कहा, 'इस सप्ताह तीसरी तिमाही के परिणाम तथा बजट-पूर्व गतिविधियों से बाजार प्रभावित होगा. इस दौरान विप्रो, इंडसइंड बैंक, रिलायंस इंडस्ट्रीज, एचसीएल टेक्नोलॉजीज और एचडीएफसी बैंक जैसी बड़ी कंपनियों के परिणाम आने वाले हैं.'
इन्फोसिस भी बाजार को प्रभावित करेगा
उन्होंने कहा कि सोमवार को इन्फोसिस भी बाजार को प्रभावित कर सकती है. कंपनी की ऑडिट समिति को जांच के बाद वित्तीय अनियमितता या कार्यकारियों के कदाचार के कोई सबूत नहीं मिले हैं. कंपनी ने पिछले सप्ताह शुक्रवार को इसकी जानकारी दी थी. इसके अलावा कंपनी ने शुक्रवार को बाजार बंद होने के बाद बताया था कि उसका एकीकृत शुद्ध लाभ दिसंबर तिमाही में 23.7 प्रतिशत बढ़कर 4,466 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है. रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड के उपाध्यक्ष (शोध) अजीत मिश्रा ने कहा, 'सोमवार को शुरुआती कारोबार में बाजार सबसे पहले इन्फोसिस के परिणाम पर प्रतिक्रिया देगा. इस सप्ताह कंपनियों के तिमाही परिणाम के सत्र तथा वैश्विक अनिश्चितताओं के कारण विशेष कंपनियों के शेयरों में उथल-पुथल देखने को मिल सकती है.'
तीसरी तिमाही के परिणामों का भी असर
इस सप्ताह सोमवार को खुदरा मुद्रास्फीति तथा मंगलवार को थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति के आंकड़े आने वाले हैं. वैश्विक मोर्चे पर अमेरिका और ईरान के तनाव में कमी आने लगी है और अब मुख्य ध्यान अमेरिका और चीन के बीच शुरुआती व्यापार करार के लिए हस्ताक्षर पर रहेगा. कोटक महिंद्रा एसेट मैनेजमेंट कंपनी की वरिष्ठ उपाध्यक्ष एवं इक्विटी शोध प्रमुख शिबानी कुरियन ने कहा, 'यहां से आगे शेयर बाजार आगामी बजट और फरवरी में रिजर्व बैंक की नीतिगत बैठक पर ध्यान देगा. बाजार पर तीसरी तिमाही के परिणामों का भी असर दिख सकता है.' सोमवार को बाजार औद्योगिक उत्पादन के आंकड़ों पर भी प्रतिक्रिया दे सकता है. ये आंकड़े भी शुक्रवार को बाजार बंद होने के बाद जारी हुए थे. औद्योगिक उत्पादन लगातार तीन महीने सिकुड़ने के बाद नवंबर में वापस वृद्धि की राह पर लौट आया है. नवंबर में इसमें 1.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी है.
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