New Update
/newsnation/media/post_attachments/images/2019/07/12/petroleum-55.jpg)
सरकारी कंपनियों से हट जाएगा पीएसयू (PSU) टैग
0
By clicking the button, I accept the Terms of Use of the service and its Privacy Policy, as well as consent to the processing of personal data.
Don’t have an account? Signup
सरकारी कंपनियों से हट जाएगा पीएसयू (PSU) टैग
सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में सरकार की हिस्सेदारी 51 फीसदी से कम होने की सूरत में उनसे पीएसयू (PSU) का टैग हटाने का प्रस्ताव अगर लागू हुआ तो ओएनजीसी (ONGC), आईओसी (IOC), गेल (GAIL) और एनटीपीसी (NTPC) समेत कई महारत्न और नवरत्न कंपनियां जल्द ही स्वतंत्र बोर्ड द्वारा संचालित कंपनियां बन जाएंगी, जो कैग और सीवीसी की जांच के दायरे से बाहर होंगी.
यह भी पढ़ें: Rupee Open Today: अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया नरमी के साथ खुला, जानें Expert की राय
सूची तैयार करने को लेकर नीति आयोग से संपर्क कर सकती हैं वित्त मंत्री
सरकार के सूत्रों ने बताया कि वित्तमंत्री इस संबंध में अब पीएसयू कंपनियों की दूसरी सूची तैयार करने को लेकर नीति आयोग से संपर्क कर सकती हैं. इस सूची में ऐसी पीएसयू कंपनियां होंगी, जिनमें उनकी हिस्सेदारी 51 फीसदी से कम हो सकती है और यह भी बताया जाएगा कि इनमें से किनसे पीएसयू का टैग छिना जा सकता है और उन्हें स्वतंत्र रूप से बोर्ड द्वारा संचालित निजी कंपनियां बनाई जा सकती है. सरकार द्वारा नियंत्रित सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (पीएसयू) बने रहने के लिए किसी कंपनी सरकार (केंद्र या राज्य या दोनों सरकारों) की हिस्सेदारी 51 फीसदी या उससे अधिक होनी चाहिए.
यह भी पढ़ें: Gold-Silver Price Outlook: करेक्शन के बाद दोबारा रफ्तार पकड़ सकते हैं सोना-चांदी, जानिए विशेषज्ञों की राय
बजट में प्रस्ताव किया गया कि 51 फीसदी हिस्सेदारी में सरकार की प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष हिस्सेदारी हो सकती है. वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने बताया कि सरकारी कंपनी की परिभाषा के अनुसार, केंद्र और राज्य सरकार की सम्मिलित हिस्सेदारी 51 फीसदी होनी चाहिए. अगर इसमें कमी होती है तो यह वह सरकारी कंपनी नहीं रहती है. इसलिए यह फैसला जब लिया जाएगा तो हम सतर्कतापूर्वक निर्णय लेंगे कि क्या उस कंपनी विशेष के लिए सरकारी कंपनी का टैग आवश्यक है. हालांकि गर्ग ने इसे विस्तार से नहीं बताया लेकिन सूत्रों ने बताया कि तीन श्रेणियों की कंपनियां सरकारी कंपनियां रहेंगी.
यह भी पढ़ें: Petrol Diesel Price: 2 दिन में दिल्ली में 25 पैसे सस्ता हो गया डीजल, आपके शहर में कितना घटा रेट, देखें लिस्ट
एक तो वह जिसमें सरकार और इसके संस्थानों की हिस्सेदारी 51 फीसदी या उससे अधिक है. दूसरी वह कंपनी जिसमें सरकार की हिस्सेदारी 51 फीसदी से कम है लेकिन कानून में बदलाव के साथ कंपनी के पास पीएसयू का टैग बना रहता है और तीसरी श्रेणी की कंपनियां वे होंगी जो सरकार की हिस्सेदारी 26 या 40 फीसदी के साथ निजी कंपनियां बन जाएंगी और बोर्ड द्वारा संचालित होंगी. तीसरी श्रेणी में कई पेशेवर तरीके से संचालित महारत्न और नवरत्न पीएसयू कंपनियां आएंगी.
यह भी पढ़ें: 18 साल के इतिहास में पहली बार लोकसभा में आधी रात तक हुई बहस, जानें किस बात पर हुई चर्चा
सरकार का इरादा इन कंपनियों को पूरी स्वतंत्रता प्रदान करना है और इन्हें सीवीसी और कैग की जांच के दायरे से बाहर रखना है. वर्तमान में दो दर्जन से अधिक सीपीएसई हैं जिनमें सरकार की हिस्सेदारी 60 फीसदी से कम या उसके करीब है. इनमें इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड (ईआईएल-52 फीसी), इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी-52.18 फीसदी), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (बीपीसीएल-53.29 फीसदी), गेल इंडिया (52.64 फीसदी), ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन (ओएनजीसी-64.25 फीसदी) व अन्य शामिल हैं.
HIGHLIGHTS