ICICI Bank के बाद इन 2 सरकारी बैंकों ने भी दिया ग्राहकों को बड़ा तोहफा
ICICI Bank के बाद पंजाब नेशनल बैंक (PNB) और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (CBI) ने लोन की दरों (MCLR) को कम कर दिया है. PNB और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने MCLR में 0.05 फीसदी की कटौती की है.
highlights
- पंजाब नेशनल बैंक (PNB) ने विभिन्न अवधि के कर्ज पर MCLR में 0.05 फीसदी की कटौती की
- सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने विभिन्न अवधि के कर्ज के लिए MCLR में 0.05 फीसदी की कटौती की
- आईसीआईसीआई बैंक ने भी विभिन्न अवधि के लिए MCLR में 0.10 फीसदी की कटौती की थी
नई दिल्ली:
आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) के बाद देश के 2 बड़े सरकारी बैंक पंजाब नेशनल बैंक (PNB) और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (CBI) की ओर से ग्राहकों को खुशखबरी मिली है. दरअसल, ICICI Bank की ही तरह दोनों ने बैंकों ने लोन की दरों (MCLR) को कम कर दिया है. PNB और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने MCLR में 0.05 फीसदी की कटौती की है.
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दोनों बैंकों के नए ग्राहकों को मिलेगा फायदा
पंजाब नेशनल बैंक (PNB) और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (CBI) के इस कदम के बाद ग्राहकों को अब सस्ते होम, ऑटो और पर्सनल लोन मिलेंगे. गौरतलब है कि MCLR के घटने या बढ़ने का असर नए कर्ज लेने वालों पर पड़ता है. मतलब यह है कि अगर आपने अप्रैल 2016 के बाद कर्ज लिया है तो MCLR के घटने या बढ़ने के अनुसार ही आपकी EMI भी कम या ज्यादा हो जाती है. वहीं अप्रैल 2016 से पहले RBI द्वारा लोन देने के लिए तय नियम मिनिमम बेस रेट से कम पर बैंक ग्राहकों को कर्ज नहीं दे सकते थे.
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PNB-CBI ने MCLR में 0.05 फीसदी की कटौती की
पंजाब नेशनल बैंक (PNB) ने विभिन्न अवधि के कर्ज पर MCLR में 0.05 फीसदी की कटौती की है. PNB के 1 साल की अवधि वाले कर्ज के लिए MCLR 8.40 फीसदी हो गया है. वहीं सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने भी विभिन्न अवधि के कर्ज के लिए MCLR में 0.05 फीसदी की कटौती कर दी है. बैंक के 1 साल अवधि वाले कर्ज के लिए MCLR घटकर 8.50 फीसदी हो गया है.
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1 अप्रैल 2016 से लागू हुआ MCLR
1 अप्रैल 2016 से MCLR लागू हुआ. MCLR को कर्ज के लिए न्यूनतम दर माना जाता है. बैंक अब MCLR के आधार पर ही लोन देते हैं.
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MCLR क्या है - What Is MCLR
MCLR को मार्जिनल कॉस्ट ऑफ लेंडिंग रेट भी कहते हैं. इसके तहत बैंक अपने फंड की लागत के हिसाब से लोन की दरें तय करते हैं. ये बेंचमार्क दर होती है. इसके बढ़ने से आपके बैंक से लिए गए सभी तरह के लोन महंगे हो जाते हैं. साथ ही MCLR घटने पर लोन की EMI सस्ती हो जाती है.
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