सस्ता हो सकता है पेट्रोल, कच्चे तेलों के कीमत में आयी भारी कमी
MCX पर अगस्त के लिए कच्चे तेल की डिलीवरी 73 रुपये या 1.32 प्रतिशत गिरकर 5,444 रुपये प्रति बैरल पर 6,313 लॉट के कारोबार कर रहा.
highlights
- कच्चे तेल में गिरावट का सीधा फायदा भारत को भी मिल सकता है.
- संभव है कि इससे तेल की कीमतों में 5 रुपए कटौती हो सकती है
- देशभर के कई शहरों में पेट्रोल 100 के पार बिक रहा है
नई दिल्ली:
चीन में कमजोर आर्थिक वृद्धि, कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों और ओपेक+ के उत्पादन में वृद्धि की चिंताओं के कारण कच्चे तेल (Crude oil) की कीमतों में गिरावट आई है. इसका असर भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतों देखी जा सकती है. अब माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में पेट्रोल के दाम 5 रुपये तक सस्ता हो सकता है. मार्केट जानकारों की मानें तो कच्चे तेल में गिरावट का सीधा फायदा भारत को भी मिल सकता है. बता दें कि इस समय देशभर के कई शहरों में पेट्रोल 100 के पार बिक रहा है. हालांकि, पिछले दो सप्ताह से तेल के दामों में बढ़ोतरी नहीं हुई है.
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MCX पर अगस्त के लिए कच्चे तेल की डिलीवरी 73 रुपये या 1.32 प्रतिशत गिरकर 5,444 रुपये प्रति बैरल पर 6,313 लॉट के कारोबार कर रहा. सितंबर डिलीवरी 307 लॉट के कारोबार के साथ 69 रुपये या 1.26 प्रतिशत की गिरावट के साथ 5,415 रुपये प्रति बैरल पर आ गई. कच्चे तेल की कीमतें $75 से $72 प्रति बैरल के साथ निचले कारोबार पर रहने की उम्मीद है. हालांकि, एक्सपर्ट का मानना है कि क्रूड ऑयल का उत्पादन बढ़ने से कच्चे तेल की कीमतें 65 डॉलर प्रति बैरल तक आ सकती है और अगर ऐसा होता तो पेट्रोल की कीमतें घटेंगी. संभव है कि इससे तेल की कीमतों में 5 रुपए कटौती हो सकती है.
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एंजेल ब्रोकिंग लिमिटेड के एवीपी रिसर्च नॉन-एग्री कमोडिटीज एंड करेंसीज, प्रथमेश माल्या ने कहा कि वैश्विक तेल मांग में निरंतर वृद्धि पर दांव और आने वाले सप्ताह में अमेरिकी डॉलर कम होने से तेल की कीमतों का समर्थन जारी रह सकता है. ओपेक द्वारा तेल उत्पादन में वृद्धि के बीच चीन के औद्योगिक क्षेत्र में धीमी वृद्धि तेल की कीमतों पर असर डाल सकती है. वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (डब्ल्यूटीआई) क्रूड 1.18 प्रतिशत गिरकर 73.08 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया, जबकि लंदन स्थित अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड 0.99 प्रतिशत फिसलकर 74.66 डॉलर प्रति बैरल हो गया. एचडीएफसी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ विश्लेषक (कमोडिटीज) तपन पटेल ने कहा, दुनिया के दूसरे सबसे बड़े तेल उपभोक्ता में कारखाने की गतिविधियों में गिरावट, चीन की आर्थिक सुधार की चिंताओं पर कच्चे तेल की कीमतों में सोमवार को गिरावट आई. इसके अलावा अमेरिका और चीन समेत दुनिया के अन्य हिस्सों में कोरोना के बढ़ते मामलों का असर साफ नजर आ रहा है. इसकी वजह से कच्चे तेल की कीमतों में भी दबाव रहा है.
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