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ONGC ने कच्चे तेल की गिरती कीमतों को देखते हुए मोदी सरकार से की ये बड़ी मांग

सूत्रों के अनुसार, ओएनजीसी प्रबंधन ने सरकार को बताया है कि अप्रैल में उसे 22 डॉलर प्रति बैरल के औसत भाव मिले हैं, जो कि उसकी परिचालन की लागत से भी कम है.

Updated on: 22 Apr 2020, 04:05 PM

दिल्ली:

सरकारी कंपनी ओएनजीसी (Oil and Natural Gas Corporation-ONGC) ने कच्चे तेल की कीमतों में लगातार आती गिरावट के मद्देनजर सरकार से उपकर और रॉयल्टी माफ करने की मांग की है. कंपनी का कहना है कि कच्चे तेल (Crude Oil) के अंतरराष्ट्रीय भाव इतने नीचे आ चुके हैं कि उनसे कंपनी की परिचालन लागत निकाल पाना भी मुश्किल हो रहा है. सूत्रों ने इसकी जानकारी दी है. कच्चे तेल की वैश्विक कीमतें दो दशक से भी अधिक समय के निचले स्तर पर आ गयी हैं. यह एक ओर उपभोक्ताओं के लिये अच्छी खबर है लेकिन तेल एवं गैस उत्पादकों पर इसके कारण भारी आर्थिक दबाव पड़ रहा है.

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कंपनी को सालाना करीब छह हजार करोड़ रुपये का घाटा
सूत्रों के अनुसार, ओएनजीसी प्रबंधन ने सरकार को बताया है कि अप्रैल में उसे 22 डॉलर प्रति बैरल के औसत भाव मिले हैं, जो कि उसकी परिचालन की लागत से भी कम है. इसके अलावा प्राकृतिक गैस की कीमतें 2.39 डॉलर प्रति मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट के एक दशक के निचले स्तर पर आ जाने से कंपनी को सालाना करीब छह हजार करोड़ रुपये का घाटा उठाना पड़ रहा है. सूत्रों के अनुसार, ओएनजीसी प्रबंधन ने सरकार से कहा है कि यदि उत्पादकों को मिलने वाला औसत भाव 45 डॉलर प्रति बैरल से कम हो तो ऐसी स्थिति में तेल खोज उपकर को समाप्त किया जाना चाहिये. इसके साथ ही प्रबंधन ने अपतटीय इलाकों से उत्पादित होने वाले तेल एवं गैस पर केंद्र सरकार द्वारा वसूली जाने वाली रॉयल्टी से भी छूट दिये जाने की मांग की है.

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सरकार तेल उत्पादकों को मिलने वाले भाव पर 20 प्रतिशत उपकर वसूलती है. इसके अलावा ओएनजीसी तथा ऑयल इंडिया लिमिटेड को जमीनी तेल खंडों से निकाले जाने वाले कच्चे तेल की एवज में राज्य सरकारों को 20 प्रतिशत रॉयल्टी का भुगतान करना पड़ता है. केंद्र सरकार अपतटीय इलाकों से निकाले जाने वाले तेल एवं गैस पर 10 से 12.5 प्रतिशत तक की रॉयल्टी वसूल करती है. सूत्रों के अनुसार, कंपनी चाहती है कि फिलहाल उसे केंद्र सरकार द्वारा वसूली जाने वाले रॉयल्टी से छूट दी जाये. कंपनी ने कहा है कि घरेलू तेल एवं गैस क्षेत्रों से उत्पादित प्राकृतिक गैस के लिये कीमत निर्धारण का वह तरीका अपनाया जाये जो रूस और अमेरिका जैसे गैस-सरप्लस देशों की कीमतों पर आधारित हो. यदि इस तरीके का इस्तेमाल किया जाये तो अप्रैल से प्राकृतिक गैस की दरें 2.39 डॉलर प्रति मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट पर आ सकतीं हैं.