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बिहार में अब 17 जिलों में होगी पान की खेती, राज्य सरकार देगी अनुदान

जिलों में कुल 100 पान शेडनेट इकाई योजनाओं को विकसित किया जाएगा, जिसमें प्रति इकाई 500 वर्ग मीटर क्षेत्र में पान की खेती का लक्ष्य रखा गया है.

Updated on: 22 Feb 2020, 02:39 PM

highlights

  • 13 जिलों में पान शेडनेट की योजना चलाई जाएगी.
  • 100 पान शेडनेट इकाई योजनाएं विकसित होंगी.
  • दो वित्तीय वर्षो में कुल 339.66 लाख रुपये खर्च होंगे.

नई दिल्ली:

बिहार (Bihar) में अब मिथिलांचल और मगध (Magadh) इलाके के अलावा भी पान (Betle Leaf) की खेती होगी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की घोषणा के बाद कृषि विभाग (Agriculture Deparment) ने मगही पान की खेती के विकास की कार्ययोजना तैयार की है. कृषि विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि पहले से चल रहे नवादा, नालंदा, गया और मधुबनी जिलों के अलावा अन्य 13 जिलों वैशाली, खगड़िया, दरभंगा, भागलपुर, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, औरंगाबाद, शेखपुरा, बेगूसराय, सारण, सीवान और मुंगेर में पान शेडनेट की योजना चलाई जाएगी.

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100 पान शेडनेट होंगे विकसित
इन जिलों में कुल 100 पान शेडनेट इकाई योजनाओं को विकसित किया जाएगा, जिसमें प्रति इकाई 500 वर्ग मीटर क्षेत्र में पान की खेती का लक्ष्य रखा गया है. इस हिसाब से राज्य के 15 जिलों में 50 हजार वर्ग मीटर में मगही पान की खेती होगी. पान की खेती में प्रति इकाई (500 वर्ग मीटर) शेडनेट में इकाई लागत 4. 25 लाख पर 75 प्रतिशत अनुदान का प्रावधान किया गया है. वित्तीय वर्ष 2020-21 में कृषकों की आकर्षक योजना के तहत तैयार शेडनेट में पान की खेती वैज्ञानिक तरीके से कराई जाएगी.

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मिश्रित खेती भी हो सकेगी
कृषि मंत्री डॉ. प्रेम कुमार ने बताया कि कृषि विभाग की ओर से शेडनेट में पान की खेती का प्रत्यक्षण कार्यक्रम तैयार किया गया है. इस योजना में संरक्षित कृषि के तहत शेडनेट के स्थायी संरचना का निर्माण, शेडनेट में ड्रिप व फगर से पटवन की व्यवस्था की जाएगी. उन्होंने कहा, 'इससे पान की गुणवत्तायुक्त पत्तियों के उत्पादन में वृद्घि होगी तथा पान में लगने वाली कीट-व्याधि के प्रकोप से बचाव भी होगा. शेडनेट के भीतर परवल, पोई, पपीता, अरबी, मिर्च, लौकी, ककड़ी, पालक, अदरक इत्यादि की सफलतापूर्वक मिश्रित खेती से किसानों की अतिरिक्त आमदनी का लाभ होगा.'

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मगही पान होता है निर्यात
उन्होंने कहा कि दो वित्तीय वर्षो में कुल 339.66 लाख रुपये व्यय होंगे, जिनमें वित्तीय वर्ष 2019-20 में 286.46 लाख और वित्तीय वर्ष 2020-21 में 53.2 लाख रुपये खर्च किए जाएंगे. उल्लेखनीय है कि उत्तर बिहार में पान की बंगाल किस्म तथा दक्षिण बिहार में बंगाल और मगही किस्म की खेती की जाती है. मगही पान अन्य देशों को निर्यात भी किया जाता है.