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Jet Airways Crisis: छूटी नौकरी, टूटा मन, रूठी उम्मीदें, फीकी रसोई कल क्या होगा फिक्र ही फिक्र

जेट एयरवेज ने बुधवार को अपनी विमान सेवा परिचालन को अस्थायी तौर पर बंद कर दिया. अस्थायी तौर पर विमान सेवा परिचालन बंद होने से हजारों कर्मचारियों के परिवार सड़क पर आने को मजबूर हो गए हैं.

Updated on: 18 Apr 2019, 10:28 AM

नई दिल्ली:

जेट एयरवेज ने बुधवार को अपनी विमान सेवा परिचालन को अस्थायी तौर पर बंद कर दिया. कंपनी की इस घोषणा के बाद कर्मचारियों की रही सही उम्मीद भी टूट गई. बता दें कि कंपनी के कर्मचारियों की जनवरी से मार्च तक की सैलरी बकाया है. ऐसी स्थिति पिछले साल अगस्त 2018 से शुरू हो गई थी. उस समय से ही पायलट्स और इंजीनियर्स को कई हिस्सों में सैलरी मिल रही थी. वहीं अब अस्थायी तौर पर विमान सेवा परिचालन बंद होने से हजारों कर्मचारियों के परिवार सड़क पर आने को मजबूर हो गए हैं.

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गौरतलब है कि जेट के पायलटों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी अपनी नौकरियां बचाने की गुहार लगाई थी. वहीं स्टेट बैंक (SBI) से भी फंड जारी करने की अपील की गई थी. कंपनी के कई कर्मचारी 25 से 50 फीसदी कम सैलरी पर दूसरी एयरलाइंस ज्वॉइन करने को भी तैयार हैं. वहीं जेट संकट शुरू होने के साथ ही कई पायलट पहले ही नौकरी छोड़कर जा चुके हैं.

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जेट एयरवेज के पायलटों के यूनियन नेशनल एविएटर गिल्ड (NAG) के प्रेसिडेंट करन चोपड़ा के मुताबिक हम आज जो भी देख रहे हैं वो दुर्भाग्यपूर्ण है. हमे आशा है कि कंपनी का परिचालन अस्थायी तौर पर बंद किया गया है और जब बोलियां आएंगी जैसा कि मुझे उम्मीद है. कंपनी का परिचालन फिर से शुरू हो जाएगा. नेशनल एविएटर गिल्ड पायलटों की सैलरी ना देने के लिए कंपनी के मैनेजमेंट के खिलाफ कानूनी प्रक्रिया शुरू करने की घोषणा कर चुका है. उन्होंने कहा कि हमें पिछले 3 महीने से सैलरी नहीं मिली है.

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जेट एयरवेज का भविष्य क्या है?
उड़ान सेवा बंद होने के बाद अब इस कंपनी की बोली लगेगी. बैंकों की ओर से चार बोलीदाताओं की पहचान की गई है. एतिहाद एयरवेज (Etihad), राष्ट्रीय निवेश कोष NIIF, निजी क्षेत्र के TPG और इंडिगो पार्टनर है. नरेश गोयल खुद को पहले ही बोली की प्रक्रिया से अलग कर चुके हैं. चारों बोली दाताओं के पास अंतिम बोली सौंपने के लिए 10 मई तक का समय है. आपको बता दें अप्रैल की शुरुआत में कर्जदाता बैंकों के ग्रुप की तरफ से एसबीआई कैप ने जेट एयरवेज की 32.1 से लेकर 75 प्रतिशत तक हिस्सेदारी की बिक्री के लिये बोलियां मंगाई थी.

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