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New Consumer Protection Act 2019: नियम तोड़ने पर ई-कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ उपभोक्ता कानून के तहत होगी कार्रवाई

राम विलास पासवान (Ram Vilas Paswan) ने कहा कि नए उपभोक्ता कानून-2019 (New Consumer Protection Act 2019) के तहत ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए बनाए गए नियम लागू हो गए हैं.

Updated on: 28 Jul 2020, 08:46 AM

नई दिल्ली:

केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री राम विलास पासवान (Ram Vilas Paswan) ने कहा कि नए उपभोक्ता कानून-2019 (New Consumer Protection Act 2019) के तहत ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए बनाए गए नियम लागू हो गए हैं और इन नियमों का उल्लंघन करने की सूरत में कंपनियों के खिलाफ कानून के प्रावधानों के तहत कार्रवाई होगी. केंद्रीय मंत्री ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए यहां एक प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि उपभोक्ताओं के हितों को ध्यान में रखते हुए उपभोक्ता संरक्षण कानून (Consumer Protection Act 2019) में संशोधन करने के बजाए नया कानून बनाया गया है, जिसमें ई-कॉमर्स कंपनियों को भी शामिल कर लिया गया है.

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अपने प्लेटफार्म पर उत्पादों के मूल देश का नाम लिखना अनिवार्य
उन्होंने कहा कि ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए अपने प्लेटफार्म पर उत्पादों के मूल देश का नाम लिखना अनिवार्य है. इसके अलावा, एमआरपी, वनज, मैन्युफैक्च रिंग की तारीख, एक्सपायरी की तारीख समेत सभी आवश्यक जानकारियां देनी होंगी. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि किसी भी नियम का उल्लंघन करने पर ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए दंड व जुर्माना भी कानून के प्रावधानों के तहत होगा. पासवान ने कहा कि विक्रेता द्वारा कहीं भी अधिकतम अंकित मूल्य यानी एमआरपी से अधिक दाम लेने पर कार्रवाई की जा सकती है. उन्होंने कहा कि पुराने कानून के तहत उपभोक्ता किसी उत्पाद में गड़बड़ी की शिकायत उसी जगह के फोरम में शिकायत कर सकते थे, जहां उत्पाद बनाने वाली कंपनी के दफ्तर होते थे, लेकिन नए कानून में वे किसी भी जिला आयोग में कर सकते हैं.

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नए कानून में जिला फोरम को जिला आयोग कहा गया है. इसी प्रकार राज्य आयोग और राष्ट्रीय आयोग बनाए गए हैं. जिला आयोग में एक करोड़ रुपये तक के मामले दर्ज होंगे और राज्य आयोग के पास 10 करोड़ रुपये तक, जबकि राष्ट्रीय आयोग के पास 10 करोड़ रुपये से अधिक के मामले की सुनवाई होगी. पूर्व कानून में जिला फोरम में 20 लाख रुपये, राज्य स्तरीय उपभोक्ता अदालत में एक करोड़ रुपये, जबकि उससे अधिक रकम के मामले की शिकायत राष्ट्रीय स्तर पर की जाती थी. पासवान ने कहा कि नए कानून में भ्रामक विज्ञापन देने के मामले में विनिर्माता से लेकर मीडिया और सेलिब्रिटी तक की जिम्मेदारी तय की गई है. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 को 20 जुलाई, 2020 से देशभर में लागू कर दिया गया है. हालांकि ई-कॉमर्स से संबंधित नियम 24 जुलाई, 2020 से लागू हुए हैं.

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नए नियम डिजिटल या इलेक्ट्रॉनिक नेटवर्क, ई-कॉमर्स मार्केट प्लेस और तथा इवेंट्री मॉडल सहित ई-कॉमर्स के सभी मॉडलों पर लाई गई या बेची गई सभी वस्तुओं और सेवाओं पर लागू हैं. नियमों के अनुसार, ई-कॉमर्स इकाइयों द्वारा उनके प्लेटफार्म पर उनके विधिक नाम, उनके मुख्यालय/सभी शाखाओं के मुख्य भौगोलिक पते, उनकी वेबसाइट का नाम और ब्यौरे तथा ग्राहक सेवा केंद्र के साथ-साथ शिकायत अधिकारी का ई-मेल पता, फैक्स, फोन नंबर और मोबाईल नंबर जैसे संपर्क के संबंध में जानकारी देना जरूरी है. ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा उत्पाद वापसी, धनराशि वापसी, उत्पाद के एक्सचेंज, वारंटी और गारंटी, डिलीवरी और शिपमेंट, भुगतान के तरीकों, शिकायत निवारण तंत्र, भुगतान की पद्धति, भुगतान पद्धति की सुरक्षा, वापसीशुल्क विकल्प, आदि के संबंध में जानकारी देना भी आवश्यक है.

ई-कॉमर्स कंपनियां उपभोक्ताओं द्वारा ऑर्डर की पुष्टि किए जाने के बाद किसी ऑर्डर को उनके द्वारा एकतरफा रद्द किए जाने के मामले में ऑर्डर रद्द करने के लिए तब तक कोई रद्दीकरण शुल्क नहीं लगाएंगी जब तक कि उनके द्वारा सामान का शुल्क वहन नहीं किए जाते हैं. किसी ई-कॉमर्स इकाई द्वारा बिक्री के लिए आयातित वस्तुओं या सेवाओं की पेशकश किए जाने के मामले में, ई-कॉमर्स प्लेटफार्म की ओर से आयातक का नाम व उसका विवरण देना जरूरी है. ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर वस्तुओं और सेवाओं के संबंध में उसके विनिर्माण देश का नाम व अन्य आवश्यक जानकारी देना भी आवश्यक है.

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प्रत्येक ई-कॉमर्स कंपनी द्वारा एक शिकायत निवारण तंत्र स्थापित किया जाना और एक शिकायत अधिकारी को नियुक्त किया जाना आवश्यक है, जिसका नाम, पदनाम, संपर्क ब्यौरे इसके प्लेटफार्म पर देना होगा. ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा यह सुनिश्चित किया जाएगा कि शिकायत अधिकारी कोई उपभोक्ता शिकायत प्राप्त होने के 48 घंटों की अवधि के भीतर उस शिकायत पर स्वीकृति दे तथा शिकायत की प्राप्ति की तारीख से एक माह की अवधि के भीतर शिकायत का निस्तारण करे.