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लॉकडाउन में धनकुबेरों पर बरसीं 'लक्ष्मीजी', मुकेश अंबानी ने हर घंटे बनाए इतने करोड़ रुपये 

कोविड महामारी (Covid Epidemic) के प्रकोप से दुनिया अभी भी पूरी तरह से उबर नहीं पाई है. इस कारोना काल (Corona Era) में आर्थिक मोर्चे पर वैश्विक स्तर पर कई विसंगतियां भी देखने को मिलीं.

Updated on: 25 Jan 2021, 03:49 PM

नई दिल्ली:

कोविड महामारी (Covid Epidemic) के प्रकोप से दुनिया अभी भी पूरी तरह से उबर नहीं पाई है. इस काेरोना काल (Corona Era) में आर्थिक मोर्चे पर वैश्विक स्तर पर कई विसंगतियां भी देखने को मिलीं. एक ओर जहां दैनिक मजदूरी से गुजारा करने वाली गरीब जनता दो वक्त की रोटी जुटाने के लिए जद्दोजेहद करती नजर आई, वहीं धन-कुबेरों के खजाने और भरते चले गए. इसी दौरान अमेरिका में जहां एक ओर जेफ बेजोस, एलन मस्क सरीखे उद्योगपतियों में विश्व के सबसे धनाढ्य व्यक्ति बनने की होड़ लगी रही, वहीं दूसरी ओर लाखों लोग अपनी नौकरी खोने के डर से अनइम्प्लॉयमेंट बीमा क्लेम भरते नजर आए. यह विसंगति केवल वहीं तक सीमित नहीं रही. भारत भी इससे अछूता नहीं रहा और 'ऑक्सफैम' की ताजा रिपोर्ट भी इस बात की तस्दीक कर रही है.

'ऑक्सफैम' की इस 'इनइक्वलिटी रिपोर्ट' को कोविड के कारण ''दि इनइक्वलिटी वायरस रिपोर्ट'' नाम दिया गया है. इसमें कहा गया है कि कोविड महामारी के परिणामस्वरूप आर्थिक दृष्टि से समाज में असमानता में वृद्धि हुई. इस कोरोना काल में जाने-माने उद्योगपति मुकेश अंबानी ने जहां 90 करोड़ रुपये प्रति घंटे के हिसाब से धन कमाया, वहीं 24 प्रतिशत लोगों की एक महीने की आमदनी तीन हजार रुपये से भी कम रही.

इसका तात्पर्य यह कि कोरोना काल में मुकेश अंबानी ने एक घंटे में जितनी राशि कमाई, उसे कमाने में एक अकुशल मजदूर को 10,000 साल लगेंगे. इस दर से मुकेश अंबानी ने एक सेकंड में जितना कमाया, उतना कमाने के लिए एक आम इंसान को तीन साल लगेंगे.

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इस महामारी ने मौजूदा सामाजिक, आर्थिक और लिंग आधारित असमानता की खाई और चौड़ी कर दी है. इस महामारी के गंभीर दुष्परिणामों से धनाढ्य वर्ग बिल्कुल अछूता रहा है, जबकि मध्यमवर्गीय लोग पृथकावास में रहते हुए घर से ऑफिस का काम कर रहे हैं. लेकिन, दुखद पहलू यह है कि देश में अधिकतर लोगों को अपनी नौकरी/आजीविका से हाथ धोना पड़ा.

कोरोना काल में जिस दिन मुकेश अंबानी दुनिया के चौथे सबसे अमीर आदमी बने, उसी दिन राजेश रजक नामक एक व्यक्ति ने नौकरी चले जाने के कारण अपनी तीन बेटियों सहित खुदकुशी कर ली.

रिपोर्ट में कहा गया है कि लॉकडाउन के दौरान भारतीय अरबपतियों की सम्पत्ति में 35 प्रतिशत की वृद्धि हुई. वर्ष 2009 से उनकी सम्पत्ति में 90 फीसदी तक की वृद्धि हुई जो 422.9 बिलियन डॉलर तक पहुंच गई. इसके परिणामस्वरूप भारत विश्व में अमेरिका, चीन, जर्मनी, रूस और फ्रांस के बाद छठे स्थान पर आ गया.