कोरोना (Coronavirus) का कहर: मोदी सरकार (Modi Government) ने मास्क और सेनिटाइजर की सप्लाई बढ़ाने के लिए लिया ये बड़ा फैसला
कोरोना का कहर: केंद्रीय उपभोक्ता मामले मंत्रालय के बयान में कहा गया कि विगत कुछ सप्ताहों के दौरान कोविड-19 (कोरोना वायरस) के मौजूदा प्रकोप और कोविड-19 प्रबंधन के लिए लॉजिस्टिक संबंधी चिंताओं को देखते हुए सरकार ने यह फैसला लिया है.
नई दिल्ली:
कोरोना वायरस (Coronavirus) के प्रकोप के चलते बाजार में मास्क (Mask) और सेनिटाइजर (Sanitizer) की अनुपलब्धता को देखते हुए सरकार ने इन दोनों वस्तुओं को आवश्यक वस्तु अधिनियम (Essential Commodities Act-ECA) में शामिल करने का फैसला लिया है. केंद्रीय उपभोक्ता मामले मंत्रालय द्वारा शुक्रवार को जारी एक बयान में कहा गया कि विगत कुछ सप्ताहों के दौरान कोविड-19 (कोरोना वायरस) के मौजूदा प्रकोप और कोविड-19 प्रबंधन के लिए लॉजिस्टिक संबंधी चिंताओं को देखते हुए सरकार ने यह फैसला लिया है क्योंकि मास्क (2 प्लाई एवं 3 प्लाई सर्जिकल मास्क, एन95 मास्क) और हैंड सैनिटाइजर या तो बाजार में अधिकांश विक्रेताओं के पास उपलब्ध नहीं है या बहुत अधिक कीमतों पर बमुश्किल से उपलब्ध हो रहे हैं.
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30 जून आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत आवश्यक वस्तु के रूप में घोषित करने का आदेश
मंत्रालय के बयान के अनुसार , सरकार ने आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 की अनुसूची में संशोधन करते हुए, मास्क और सनिटाइजर को दिनांक 30 जून, 2020 तक आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत आवश्यक वस्तु के रूप में घोषित करने का आदेश दिया है. सरकार ने विधिक माप विज्ञान अधिनियम के तहत एक एडवाइजरी भी जारी की है. आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत, राज्य, विनिर्माताओं के साथ विचार-विमर्श करके उनसे इन वस्तुओं की उत्पादन क्षमता बढ़ाने, आपूर्ति श्रृंखला को सुचारु बनाने के लिए कह सकते हैं जबकि विधिक माप विज्ञान अधिनियम के तहत राज्य इन दोनों वस्तुओं की अधिकतम खुदरा मूल्य (एम.आर.पी.) पर बिक्री सुनिश्चित कर सकते हैं.
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मंत्रालय ने कहा कि इन दोनों वस्तुओं के संबंध में, राज्य अपने शासकीय राजपत्र में अब केंद्रीय आदेश को अधिसूचित कर सकते हैं और इसके लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत अपने स्वयं के आदेश भी जारी कर सकते हैं और संबंधित राज्यों में व्याप्त परिस्थितियों के अनुसार कार्रवाई कर सकते हैं. आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत, केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 1972 से 1978 के आदेशों के माध्यम से राज्यों को शक्ति प्रदान की गई हैं. अत: राज्य/संघ राज्य क्षेत्र आवश्यक वस्तु अधिनियम और चोरबाजारी निवारण एवं आवश्यक वस्तु प्रदाय अधिनियम का उल्लंघन करने वालों के विरूद्ध कार्रवाई कर सकते हैं.
अधिनियम का उल्लंघन करने वालों को सात साल कारावास की सजा
आवश्यक वस्तु अधिनियम का उल्लंघन करने वालों को सात साल कारावास की सजा भुगतना पड़ सकता है यानी उन्हें जुर्माना भरना पड़ सकता है या जेल व जुर्माना दोनों से उन्हें दंडित किया जा सकता है. बता दें कि कोरोना वायरस के प्रकोप को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने विश्वव्यापी महामारी घोषित किया है. इसकी रोकथाम के मद्देनजर फेस्क मास्क और हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल करने की सलाह दी गई है.
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