ऐसा कानून जिससे लाखों फ्लैट बायर्स को हुआ फायदा, बिल्डरों के लिए बना जी का जंजाल

सरकार 2016 में रियल एस्टेट रेग्युलेशंस एक्ट (RERA) लेकर आई. इस एक्ट के जरिए होम बायर्स को काफी फायदा मिला है. वहीं इससे बिल्डर्स की मनमानी पर लगाम भी लगी है

author-image
Dhirendra Kumar
एडिट
New Update
ऐसा कानून जिससे लाखों फ्लैट बायर्स को हुआ फायदा, बिल्डरों के लिए बना जी का जंजाल

फाइल फोटो

अगले महीने रियल एस्टेट रेग्युलेशंस एक्ट (RERA) के लागू हुए 2 साल पूरे होने वाले हैं. घर खरीदने वालों के हितों को ध्यान में रखते हुए सरकार 2016 में रियल एस्टेट रेग्युलेशंस एक्ट (RERA) लेकर आई. इस एक्ट के जरिए होम बायर्स को काफी फायदा मिला है. वहीं इससे बिल्डर्स की मनमानी पर लगाम भी लगी है. मौजूदा समय में 2018 अंत तक इस एक्ट के दायरे में 34,600 प्रोजेक्ट और 26,800 रियल एस्टेट एजेंट्स थे. रेरा 1 मई 2017 से देशभर में लागू हो गया है. RERA के जरिए होम बायर्स को क्या फायदे मिले हैं. आइये इस पर नजर डाल लेते हैं.

Advertisment

यह भी पढ़ें: यूपी रेरा वेबसाइट हुई लॉन्च, सीएम योगी बोले- बिल्डर्स की मनमानी पर लगेगी रोक

कारपेट एरिया को लेकर उलझन कम हुई
RERA के आने से पहले बिल्डर्स अपनी मनमर्जी से कारपेट एरिया को तय करते थे. सभी बिल्डर्स का कारपेट एरिया तय करने का अपना अलग-अलग तरीका होता था. RERA आने के बाद होम बायर्स को कारपेट एरिया के मामले में काफी सहूलियत हुई है. एक्ट के तहत सभी बिल्डर्स को एक ही फार्मूला इस्तेमाल करना होगा. एक्ट के मुताबिक कारपेट एरिया का मतलब इस्तेमाल किए जाने वाले फ्लोर एरिया से हैं. इसमें बाहरी दीवार, बाहरी बालकनी, बरामदा और खुली छत शामिल नहीं है.

डिफॉल्ट के मामले में भी होम बायर्स को राहत
प्रोजेक्ट के समय पर पूरा नहीं करने पर बिल्डर्स को अब होम बायर्स को ब्याज चुकाना होगा. हालांकि होम बायर्स के डिफॉल्ट की स्थिति में होम बायर्स को भी ब्याज देना होगा. हालांकि प्रोजेक्ट में देरी के मामले आम है. इसलिए बिल्डर्स को रेरा से काफी परेशानी हो रही है.

यह भी पढ़ें: रेरा पर बॉम्बे हाईकोर्ट लेगा फैसला, सुप्रीम कोर्ट ने सौंपा मामला

बिल्डर्स के दिवालिया होने की आशंका घटी
रेरा से बिल्डर्स के दिवालिया होने की आशंका घट गई है. एक्ट के तहत बिल्डर्स प्रोजेक्ट का 70 फीसदी रकम अलग बैंक अकाउंट में रखने के लिए बाध्य होगा. वह केवल प्रोजेक्ट के पूरा करने के लिए उस रकम का इस्तेमाल कर पाएगा.

बिल्डर्स के झूठे वादों से होम बायर्स को सुरक्षा
घर खरीदते समय बिल्डर जो वादे करता है और उसके बाद वह उन वादों से मुकर जाता है तो RERA बायर्स को उस प्रोजेक्ट से बाहर होने का अधिकार देता है. ऐसी स्थिति में बिल्डर्स को जमा की गई पूरी रकम होम बायर्स को वापस मिलेगी. अगर बिल्डर पैसे वापस करने में देरी करता है तो उसे ब्याज के साथ उस पैसे को लौटाना पड़ेगा.

यह भी पढ़ें: बिल्डर्स पर सख्त सीएम योगी, न्यूज़ नेशन के खास कार्यक्रम 'मेरा घर' में बोले- सरकार रखेगी नज़र

निवेशकों से अब धोखाधड़ी संभव नहीं
बिल्डर को बुकिंग के समय निवेशक के साथ पंजीकृत एग्रीमेंट होता है. निवेशक को संपत्ति के खरीद मूल्य का ढाई फीसदी स्टांप एग्रीमेंट पंजीकरण के वक्त देना होता है. यह धनराशि संपत्ति के पंजीकरण के समय समायोजित हो जाती है. पंजीकृत एग्रीमेंट में बिल्डर को सभी शर्तों को सामने रखना होगा. एग्रीमेंट पंजीकरण होने के बाद बिल्डर उसमें मनमाने तरीके से बदलाव नहीं कर सकता. इसका सीधा फायदा निवेशकों को होगा.

यह भी पढ़ें: #Year end 2017: इस साल मोदी सरकार ने इन 5 बड़े फैसलों को दी मंज़ूरी

बता दें कि RERA के तहत बिल्डरों का पंजीकरण होना अनिवार्य है. प्रोजेक्ट को लांच करने से पहले बिल्डर्स को रेरा एक्ट की धारा तीन एक के तहत प्रोजेक्ट को पंजीकृत कराना होगा. इसके बाद ही बिल्डर प्रोजेक्ट के लिए विज्ञापन, बुकिंग आदि शुरू कर सकता है. रजिस्ट्रेशन नहीं कराने पर बिल्डर्स पर भारी जुर्माना लगाया जा सकता है. RERA लागू होने के बाद जहां एक ओर होम बायर्स को काफी फायदा हुआ है तो वहीं दूसरी ओर अभी भी इसे पूरी तरह से लागू करने में काफी दिक्कतें आ रही हैं. RERA लागू होने के बावजूद कुछ प्रोजेक्ट्स को लेकर अभी भी देरी बनी हुई है. हाउसिंग प्रॉजेक्ट्स पर रिपोर्ट जारी करने वाली कंपनी ऐनारॉक प्रॉपर्टीज के मुताबिक कई नियामकीय उपायों के बावजूद डेवलपर प्रोजेक्ट पूरा करने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं. रिपोर्ट के अनुसार देश के 7 बड़े शहरों में 2013 या उसके पहले लॉन्च हुए 5 लाख 61 हजार 100 रेजिडेंशियल यूनिटें अभी तक पूरी नहीं हो सकी हैं. सबसे ज्यादा 2 लाख 10 हजार 200 यूनिटें एनसीआर में हैं.

Source : News Nation Bureau

Flat Buyers Law project Property real estate RERA Builders govt act
      
Advertisment