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जेट एयरवेज संकट: जेट एयरवेज की फ्लाइट ही नहीं, शेयर भी जमीन पर

1 अप्रैल से अबतक जेट एयरवेज के शेयर में 50 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आ चुकी है. 22 अप्रैल को जेट एयरवेज का शेयर 126.65 रुपये के निचले स्तर पर पहुंच गया. यह भाव दस साल में सबसे कम है.

Updated on: 22 Apr 2019, 10:41 AM

नई दिल्ली:

जेट एयरवेज की फ्लाइट ही नहीं, कंपनी के शेयर भी जमीन पर आ गए हैं. आंकड़ों के मुताबिक जेट एयरवेज का शेयर 10 साल के निचले स्तर पर आ गया है. जानकारों का कहना है कि मौजूदा भाव पर जेट एयरवेज के शेयर में निवेश से बचना चाहिए.

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दस साल के निचले स्तर पर पहुंचा जेट एयरवेज का भाव
जेट एयरवेज का शेयर दस साल के निचले स्तर पर पहुंच गया है. आंकड़ों के मुताबिक 22 अप्रैल को जेट एयरवेज का शेयर 126.65 रुपये के निचले स्तर पर पहुंच गया. यह भाव दस साल में सबसे कम है. बता दें कि अप्रैल 2009 में जेट एयरवेज ने 136 रुपये का निचला स्तर छुआ था. 2009 के दौरान आई आर्थिक मंदी की वजह से जेट एयरवेज के शेयरों में गिरावट दर्ज की गई थी. वहीं 2009 के मार्च महीने में कंपनी का शेयर अपने लाइफ टाइम निचले स्तर 115.20 रुपये पर पहुंच गया था. जानकारों का मानना है कि जेट एयरवेज के शेयर में फ्री फाल देखने को मिल रहा है और यह जल्द ही अपने लाइफ टाइम निचले स्तर को भी तोड़ देगा.

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अप्रैल में 50 फीसदी से ज्यादा टूट चुका है भाव
1 अप्रैल से अबतक जेट एयरवेज के शेयर में 50 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आ चुकी है. 1 अप्रैल से कंपनी के शेयर में करीब 130 रुपये की गिरावट देखने को मिली है.

लाइफ टाइम हाई से 1,250 रुपये से ज्यादा टूट चुका है शेयर
जेट एयरवेज का शेयर अपने लाइफ टाइम हाई से 1,250 रुपये से ज्यादा टूट चुका है. आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल 2005 में जेट एयरवेज के शेयर ने 1,382.75 रुपये का लाइफ टाइम हाई बनाया था. उसके बाद कंपनी का शेयर दोबारा उस स्तर को नहीं छू सका. अप्रैल 2005 के लाइफटाइम हाई के मुकाबले अभी के भाव को देखें तो शेयर में 1,250 रुपये से ज्यादा की गिरावट आ चुकी है.

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केडिया कमोडिटी के मैनेजिंग डायरेक्टर अजय केडिया के मुताबिक निवेशकों को जेट एयरवेज में निवेश से बचना चाहिए. हालांकि उनका मानना है कि अगर सरकार कंपनी के सपोर्ट के लिए आगे आती है तो शेयर में कुछ उछाल आ सकता है, लेकिन लॉन्ग टर्म में कीमतों में तेजी टिकना मुश्किल है. उनका कहना है कि अमेरिका ने कुछ देशों को ईरान से ऑयल इंपोर्ट की रियायत दी थी, लेकिन अब वह इस रियायत को हटाने जा रहा है. उनका कहना है कि इस खबर के बाद क्रूड की कीमतों में तेजी देखने को मिल रही है. कच्चे तेल की कीमतों में आई तेजी से घरेलू बाजार में हवाई सेवा मुहैया कराने वाली कंपनियों को नुकसान की आशंका है.

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