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निवेशक पैसे डबल होने के झांसे से बच सकेंगे, सेबी ने उठाया ये बड़ा कदम

सलाहकार गतिविधियों के मामले में बेहतर पारदर्शिता के लिये संशोधन में कहा गया है कि निवेश सलाहकार और ग्राहक के बीच अनिवार्य रूप से समझौता करना होगा.

Updated on: 04 Jul 2020, 08:12 AM

दिल्ली:

बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने निवेश सलाहकार (Investment Advisor) नियमों में संशोधन को अधिसूचित किया. यह तीन महीने बाद प्रभाव में आएगा और यह अन्य बातों के अलावा कंपनियों के परामर्श तथा उत्पाद वितरण गतिविधियों को अलग करेगा. नियामक ने सेबी (निवेश सलाहकार) नियमन, 2013 में संशोधन को अधिसूचित करते हुए कहा कि इस कदम का मकसद निवेश सलाहकारों के लिये नियामकीय रूपरेखा को सुदृढ़ करना है. भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने कहा कि ये संशोधन राजपत्र में प्रकाशित होने के 90वें दिन अमल में आएगा.

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गैर-व्यक्तिगत निवेश परामर्शदाता के रूप में पंजीकरण के लिये नेटवर्थ आवश्यकता को बढ़ाकर 50 लाख रुपये किया गया
इसमें किये गये संशोधन के तहत अब निवेश सलाहकारों को ग्राहकों के स्तर पर परामर्श और वितरण गतिविधियों को अलग करना होगा ताकि हितों का टकराव नहीं हो. नियामक के अनुसार इसके अलावा कंपनी स्तर पर निवेश परामर्श और वितरण सेवाएं देने वाली इकाइयां पूरी तरह से स्वतंत्र तरीके से काम करेंगी. संशोधन के तहत गैर-व्यक्तिगत यानी कंपनी स्तर पर निवेश परामर्शदाता के रूप में पंजीकरण के लिये नेटवर्थ आवश्यकता को बढ़ाकर 50 लाख रुपये और व्यक्तियों के मामले में 5 लाख रुपये कर दिया गया है. वर्तमान में यह व्यक्तियों के मामले में निवेश सलाहकार के रूप में पंजीकरण के लिये एक लाख रुपये का नेटवर्थ होना चाहिए जबकि कंपनी के स्तर पर 25 लाख रुपये.

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सलाहकार गतिविधियों के मामले में बेहतर पारदर्शिता के लिये संशोधन में कहा गया है कि निवेश सलाहकार और ग्राहक के बीच अनिवार्य रूप से समझौता करना होगा. व्यक्तिगत तौर पर किसी को भी एक निवेश सलाहकार के तौर पर पंजीकृत होने और वितरक के तौर पर वितरण सेवायें देने का विकल्प होगा. (इनपुट भाषा)