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निर्यात में 6 महीने से जारी गिरावट पर लगा विराम, सितंबर में 5.27 फीसदी बढ़ा एक्सपोर्ट

केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड भारतीय माल का निर्यात पिछले साल की तुलना में 20 सितंबर को 5.27 प्रतिशत बढ़ा है.

Updated on: 02 Oct 2020, 12:21 PM

नई दिल्ली:

एक आत्मनिर्भर भारत और घरेलू उद्योगों के विकास पर जोर देने के बीच, देश के माल निर्यात ने सितंबर में साल-दर-साल के आधार पर 5.27 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की. केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने यह जानकारी दी. भारत का कुल माल निर्यात सिंतबर 2019 के 26.02 अरब डॉलर के मुकाबले पिछले महीने 27.40 अरब डॉलर रहा. एक ट्वीट में, मंत्री ने महामारी के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था की रिकवरी के रूप में एक और संकेत के तौर पर निर्यात में वृद्धि का हवाला दिया.

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पिछले साल की तुलना में एक्सपोर्ट 20 सितंबर को 5.27 प्रतिशत बढ़ा
उन्होंने कहा कि मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड भारतीय माल का निर्यात पिछले साल की तुलना में 20 सितंबर को 5.27 प्रतिशत बढ़ा है. उन्होंने कहा कि सितंबर 2019 में 26.02 अरब डॉलर का निर्यात किया गया था. यह भारतीय अर्थव्यवस्था की तेजी से रिकवरी का एक और संकेत है क्योंकि इसने कोविड पूर्व के स्तर के पैरामीटर को पार किया है. उन्होंने कहा कि यह भारतीय अर्थव्यवस्था में तीव्र गति से पुनरूद्धार का संकेत है क्योंकि निर्यात का यह स्तर कोविड-19 पूर्व के स्तर से ऊपर निकल गया है.

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कोविड-19 महामारी और इसके कारण वैश्विक स्तर पर मांग में कमी से इस साल मार्च से ही निर्यात में गिरावट जारी थी. पेट्रोलियम, चर्म उत्पाद, इंजीनियरंग सामान और रत्न एवं आभूषण जैसे प्रमुख क्षेत्रों के निर्यात में गिरावट थी. सितंबर महीने के आंकड़े पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए भारतीय व्यापार संवर्धन परिषद (टीपीसीआई) के चेयरमैन मोहित सिंगला ने कहा कि निर्यात पुनरूद्धार के रास्ते पर है क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय बाजार अब खुल रहा है और खरीदारों ने आर्डर देने शुरू कर दिये हैं.

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उन्होंने कहा कि खाद्य एवं कृषि क्षेत्र का निर्यात पहले की तरह जारी रहेगा क्योंकि इनका प्रदर्शन खराब दौर में भी बेहतर रहा. निर्यातकों का शीर्ष संगठन फियो के अध्यक्ष शरद कुमारा सर्राफ ने कहा कि यह उम्मीद के अनुरूप है। इसका कारण चीन विरोधी धारणा से काफी आर्डर मिले हैं. उन्होंने कहा कि अगर भारत वस्तु निर्यात योजना (एमईआईएस), जोखिम निर्यात और आरओडीटीईपी (निर्यात उत्पादों पर शुल्कों तथा करों में छूट) से जुड़े मसलों का समाधान हो जाता है, निर्यातक और अच्छा कर सकते हैं.