यूरोपीय संघ ने गूगल पर 4.3 अरब यूरो का लगाया जुर्माना, एंड्रॉयड सिस्टम के वर्चस्व के दुरुपयोग का आरोप
यूरोपीय संघ की प्रतिस्पर्धा आयुक्त मार्गरेट वेस्टगर ने कहा कि गूगल ने अपने ब्राउजर और सर्च इंजन के बाजार के विस्तार के लिए एंड्रायड के दबदबे का दुरुपयोग किया है।
नई दिल्ली:
यूरोपीय संघ ने बाजार में एंड्रायड प्रणाली के वर्चस्व की स्थिति का दुरुपयोग करने को लेकर इंटरनेट सेवा देने वाली कंपनी गूगल पर बुधवार को 4.34 अरब यूरो (करीब पांच अरब डॉलर) का जुर्माना लगा दिया।
यह प्रतिस्पर्धा प्रावधानों के उल्लंघन को लेकर यूरोपीय संघ द्वारा किसी भी कंपनी पर लगाया गया अबतक का सबसे बड़ा जुर्माना है। यूरोपीय संघ की प्रतिस्पर्धा आयुक्त मार्गरेट वेस्टगर ने कहा कि गूगल ने अपने ब्राउजर और सर्च इंजन के बाजार के विस्तार के लिए एंड्रायड के दबदबे का दुरुपयोग किया है।
यह निर्णय तीन साल की जांच के बाद ऐसे समय में आया है जब अमेरिका द्वारा इस्पात एवं एल्युमिनीयम पर शुल्क लगाने के कारण अमेरिका के साथ यूरोपीय संघ का पहले ही विवाद चल रहा है। वेस्टगर ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'यूरोपीय संघ ने प्रतिस्पर्धा नियमों के उल्लंघन को लेकर गूगल पर 4.34 अरब यूरो का जुर्माना लगाने का निर्णय लिया है।'
उन्होंने कहा, 'गूगल इंटरनेट सर्च में अपनी हिस्सेदारी को मजबूत करने के लिए अवैध गतिविधियों में संलिप्त है। उसे 90 दिनों के भीतर या तो से गतिविधियां बंद करनी होगी वर्ना उसे औसत दैनिक राजस्व का पांच प्रतिशत जुर्माना के तौर पर भुगतान करना होगा।'
इससे पहले गूगल पर खरीदारी के एक मामले में 2017 में यूरोपीय संघ रिकॉर्ड 2.4 अरब डॉलर का जुर्माना लगा चुका है।
गूगल के प्रवक्ता अल वर्नी ने एक बयान में कहा कि कंपनी इस जुर्माने के खिलाफ अपील करेगी। उन्होंने कहा, 'एंड्रायड ने लोगों के लिए अधिक मौके सृजित किये हैं, कम नहीं किये।'
वर्नी ने कहा, 'मजबूत पारिस्थितिकी, तेज नवाचार और कम कीमतें शानदार प्रतिस्पर्धा के पारंपरिक सूचक है। हम यूरोपीय संघ के निर्णय के खिलाफ अपील करेंगे।'
वेस्टगर ने जुर्माने के निर्णय की अग्रिम सूचना देने के लिए मंगलवार की रात गूगल सीईओ सुंदर पिचाई से फोन पर बातें की थी। वेस्टगर ने कहा कि गूगल ने सैमसंग और हुआवे जैसी स्मार्टफोन निर्माता कंपनियों के साथ गठजोड़ कर स्मार्टफोनों में अपना ब्राउजर और सर्च इंजन प्रीइंस्टॉल करा प्रतिस्पर्धियों के मौके छीने।
उन्होंने कहा कि गूगल ने अपनी कई अन्य एप एवं सेवाओं के इस्तेमाल के बदले गूगल सर्च को डिफॉल्ट सर्चइंजन बनाने की बाध्यता रखी। इनके अलावा उसने गूगल सर्च को प्री - इंस्टॉल कराने के लिए स्मार्टफोन निर्माताओं एवं मोबाइल नेटवर्क कंपनियों को वित्तीय प्रोत्साहन भी दिये।
इस आदेश पर गूगल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुंदर पिचाई ने कहा कि कंपनी अयोग के फैसले के खिलाफ अपील करेगी।
पिचाई ने इस फैसले के तुरंत बाद एक ब्लॉग पोस्ट में लिखा, 'लगातार नवाचार, व्यापक पसंद, और गिरती कीमतें तेज प्रतिस्पर्धा का मजबूत सबूत है। एंड्रायड ने इसे सक्षम किया है और हर किसी के लिए व्यापक विकल्प और पसंद पैदा किया है। यही कारण है कि एंड्रायड के खिलाफ आज दिए गए फैसले के खिलाफ अपील करना चाहते हैं।'
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गूगल के सीईओ के मुताबिक, इस तथ्य की अनदेखी की गई है कि एंड्रायड फोन्स आईओएस फोन्स का मुकाबला करते हैं।
पिचाई ने लिखा, 'एंड्रायड ने हजारो फोन निर्माताओं और मोबाइल नेटवर्क प्रदाताओं को कितना अधिक च्वाइस दिया है, जो एंड्रायड फोन बनाते और बेचते हैं। दुनिया भर के लाखों एप डेवलपर्स ने एंड्रायड के साथ अपना उद्यम तैयार किया है और अरबों ग्राहक अब नवीनतम एंड्रायड स्मार्टफोन को खरीदने और उसका प्रयोग करने में सक्षम हैं।'
आयुक्त मार्गेट वेस्टेगर जो प्रतिस्पर्धा नीति की प्रभारी भी हैं। उनके मुताबिक यह मामला गूगल द्वारा लगाए गए तीन तरह के प्रतिबंधों का है, जो इसने एंड्रायड डिवाइस निर्माताओं और नेटवर्क ऑपरेटरों पर लगाए हैं, ताकि एंड्रायड डिवाइस का ट्रैफिक गूगल के सर्च इंजन को ही जाए और किसी अन्य को नहीं।
वेस्टेगर ने कहा, 'इस तरीके से गूगल ने एंड्रायड का इस्तेमाल सर्च इंजन में अपना प्रभुत्व बढ़ाने के लिए किया है। इसके कारण प्रतिद्वंद्वियों को नवाचार करने और प्रतिभा के आधार पर प्रतिस्पर्धा करने के मौके से वंचित कर दिया है। उन्होंने यूरोपीय उपभोगकर्ताओं को महत्वपूर्ण मोबाइल क्षेत्र में प्रभावी प्रतिस्पर्धा के लाभों से वंचित किया है। यह ईयू के एंटी-ट्रस्ट नियमों के तहत अवैध है।'
विशेष रूप से गूगल ने गूगल एप स्टोर (प्ले स्टोर) का लाइसेंस निर्माताओं को जारी करने के लिए यह पूर्व शर्त लगाई है कि वे गूगल के सर्च एप और ब्राउसर एप (क्रोम) को प्री-इंस्टाल करें। अपने एप को प्रीइंस्टाल करवाने के लिए गूगल ने बड़े निर्माताओं और मोबाइल नेटवर्क ऑपरेटरों को भुगतान भी किया है।
इससे पहले यूरोपीय संघ अमेरिका की दो अन्य बड़ी कंपनियों एप्पल और फेसबुक पर भी भारी-भरकम जुर्माना लगा चुका है। अमेरिका और यूरोपीय संघ के बीच व्यापार शुल्क को लेकर जारी तनाव के बीच इस निर्णय से तनाव नये उच्च स्तर तक पहुंच सकता है।
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