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Gold Market: सोने की चमक बढ़ेगी, ग्राहकों को होगा बड़ा फायदा, जानें कैसे

पैलेडियम का भाव घटने और राजनीतिक अस्थिरता, आर्थिक सुस्ती से भविष्य में सोने की कीमतों में तेजी जारी रहने की संभावना है

Updated on: 12 Apr 2019, 08:16 AM

नई दिल्ली:

सर्वाधिक महंगी धातु के रूप में शुमार रही पैलेडियम की कीमतों में पिछले कुछ दिनों से भारी उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है. बाजार में इस बात की अटकलें लगाई जाने लगी हैं कि क्या सोने के आगे अब पैलेडियम की चमक फीकी पड़ जाएगी. इसकी वजह भी है पिछले सप्ताह कारोबार के दौरान अंतर्राष्ट्रीय वायदा बाजार में सोना और पैलेडियम की कीमतों में महज 12 डॉलर प्रति औंस का फासला बच गया था.

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राजनीतिक अस्थिरता, आर्थिक सुस्ती से सोने में तेजी के संकेत
जानकारों के मुताबिक सोने को सुरक्षित निवेश का एक बेहतरीन जरिया माना जाता है. वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुस्ती रहने के संकेत से सोने में तेजी का रुख बना रहने की संभावना है. वहीं वाहन उद्योग में सुस्ती पैलेडियम की मांग कमजोर पड़ सकती है. पिछले साल जुलाई के बाद पैलेडियम के दाम में लगातार तेजी का रुख बना रहा और 21 मार्च 2019 को पैलेडियम का भाव रिकॉर्ड 1,576 डॉलर प्रति औंस की उंचाई पर पहुंच गया. जानकारों का कहना है कि मांग के मुकाबले सप्लाई कम रहने से कीमतों में तेजी आई थी और अब ऊपरी भाव पर बिकवाली का दबाव आने से नरमी देखने को मिल रही है.

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सोने के मुकाबले पैलेडियम की मांग घटी
बता दें कि पांच अप्रैल को विदेशी बाजार में सोने का निचला स्तर 1,283.60 डॉलर प्रति औंस था, जबकि पैलेडियम का निचला स्तर 1,295 डॉलर प्रति औंस रहा. दोनों के भाव में महज 12 डॉलर प्रति औंस का अंतर था. वहीं इस बीच यह कयास लगाए जाने लगे कि पैलेडियम के मुकाबले प्लैटिनम काफी सस्ती धातु होने के कारण पैलेडियम की औद्योगिक मांग प्लैटिनम की ओर जा सकती है. दरअसल, पेट्रोल और डीजल चालित वाहनों में कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए पैलेडियम और प्लैटिनम दोनों धातुओं का उपयोग कैटेलिटिक कन्वर्टर यानी उत्प्रेरण प्रदायी परिवर्तक के रूप में होता है. एंजेल ब्रोकिंग लिमिटेड के डिप्टी वाइस प्रेसिडेंट (कमोडिटी रिसर्च) अनुज गुप्ता ने बताया कि पैलेडियम का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता रूस है और रूसी कंपनी नोरिल्स्क की रिपोर्ट बताती है कि 2018 में पैलेडियम की आपूर्ति में जहां 6,00,000 औंस की कमी आई थी, वहीं 2019 में 8,00,000 औंस की कमी रह सकती है, जबकि प्लैटिनम का आधिक्य 2018 में जहां 4,00,000 औंस था वहां यह आधिक्य 2019 में बढ़कर 8,00,000 औंस रह सकता है।

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गुप्ता ने कहा कि पैलेडियम के भाव को आपूर्ति में कमी से सपोर्ट मिल रहा है, जबकि सोने को सुरक्षित निवेश मांग से सपोर्ट मिल रहा है।" उन्होंने कहा कि इस साल दिवाली तक सोने का भाव अंतर्राष्ट्रीय बाजार में 1,350 डॉलर प्रति औंस तक जा सकता है. ऑटो विनिर्माता आने वाले दिनों में पैलेडियम के बदले प्लैटिनम का उपयोग करेंगे तो जाहिर है कि पैलेडियम की चमक फीकी पड़ जाएगी और प्लैटिनम एक बार फिर अपनी पुरानी चाल पकड़ लेगी। वर्ष 2002 से लेकर 2017 तक प्लैटिनम की कीमतें पैलेडियम से उंची रहीं. प्लैटिनम सोने से भी महंगी धातु के रूप में शुमार थी और 2011 में प्लैटिनम का भाव 1,875 डॉलर प्रति औंस तक चला गया, हालांकि उसके बाद 2015 में प्लैटिनम 892.50 डॉलर प्रति औंस तक आ गई. अगस्त 2018 में उससे भी नीचे 787 डॉलर प्रति औंस तक भाव गिरा और अभी भी 900 डॉलर से नीचे बना हुआ है. 2011 में सोने का भाव भी 1,828 डॉलर प्रति औंस तक उछला, लेकिन उसके बाद 2015 में 1,060 डॉलर प्रति औंस तक फिसला.

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मौजूदा समय में सोना और पैलेडियम के भाव में इस समय करीब 52 डॉलर प्रति औंस का अंतर है और दोनों धातुएं 1,300 डॉलर प्रति औंस से ऊपर के भाव पर चल रही हैं. अनुज गुप्ता का अनुमान है कि सोने का भाव इस साल दिवाली के समय 1,350 डॉलर प्रति औंस तक जा सकता है. राजनीतिक अस्थिरता और आर्थिक सुस्ती के दौर में सुरक्षित निवेश के तौर पर सोने की मांग बनी रहेगी. हालांकि विश्लेषक यह भी बताते हैं कि पेट्रोल, डीजल चालित वाहनों की मांग अभी बनी रहेगी। ऐसे में ऑटो उद्योग में पैलेडियम और प्लेटिनम की खपत बनी रहेगी. अंतर्राष्ट्रीय वायदा बाजार न्यूयार्क मर्के टाइल एक्सचेंज (नायमैक्स) पर गुरुवार को पैलेडियम का जून कॉन्ट्रैक्ट नरमी के साथ 1,360.50 डॉलर प्रति औंस के स्तर पर कारोबार कर रहा है. वहीं, प्लैटिनम का जुलाई कॉन्ट्रैक्ट करीब आधा फीसदी की मजबूती के साथ 910 डॉलर प्रति औंस के पार कारोबार कर रहा है. कॉमैक्स पर सोने का जून कॉन्ट्रैक्ट हल्की नरमी के साथ 1,310 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार कर रहा है.