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बढ़ सकती है 2017 में सोने की मांग, 650-750 टन खपत होने की संभावना: डब्ल्यूजीसी

वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के अनुसार 2017 में सोने की मांग बढ़कर 650-750 टन होने की संभावना है।

Updated on: 09 Mar 2017, 12:11 AM

नई दिल्ली:

वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (डब्ल्यूजीसी) की बुधवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में नोटबंदी और सोने पर उत्पाद शुल्क लगाए जाने के बाद इसकी मांग में थोड़ी कमी आई थी, लेकिन अब एक बार फिर यह जोर पकड़ने लगी है और इसके साल 2017 में बढ़कर 650-750 टन होने की संभावना है।

वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की रिपोर्ट में कहा गया है, "भारत की सोने की मांग अतीत में तेजी से गिर गई है, लेकिन फिर ठीक हो गई है। अधिकारियों द्वारा सोने की मांग में कमी लाने के पिछले प्रयास विफल हो गए हैं। स्वर्ण भारतीय समाज में बहुत ही गहराई से जुड़ा हुआ है। अब इसकी मांग में सुधार की संभावना है। हमारे विचार से 2017 में उपभोक्ता 650 टन और 750 टन के बीच सोने की खरीद करेंगे।"

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समय के साथ, परिषद ने अनुमान लगाया है कि आर्थिक वृद्धि और भारत के स्वर्ण बाजार के भीतर अधिक पारदर्शिता के कारण साल 2020 तक सोने की मांग और बढ़ेगी और भारतीय उपभोक्ता 850 टन से 950 टन के बीच खरीदारी करेंगे।

डब्ल्यूजीसी के मुताबिक, पिछले साल भारत का स्वर्ण उद्योग खराब रहा। पहली छमाही में आभूषण निर्माण पर एक प्रतिशत एक्साइज ड्यूटी से 42 दिन की हड़ताल हुई थी। इसके बाद आय की घोषणा योजना ने काला बाजार को बाधित कर दिया । आयकर अधिकारियों के डर से कई उपभोक्ताओं सोने की खरीद को स्थगित कर दिया।

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रिपोर्ट में कहा गया है, "नोटबंदी की वजह से पूरी अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई और इसका असर सोने की बिक्री पर भी पड़ा। ग्रामीण इलाकों में कमजोर मांग और सोने की कीमतों में आई उछाल ने सोने की मांग को 2009 के बाद से अपने निम्नतम स्तर तक पहुंचा दिया था।"

इसमें कहा गया है कि अप्रैल 2017 से 3 लाख रुपये से अधिक नकद लेनदेन पर प्रतिबंध ग्रामीण भारतीय मांग को नुकसान पहुंचा सकता है। साथ ही प्रस्तावित माल और सेवा कर भी अल्पावधि में उद्योग पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा। लेकिन डब्लूजीसी ने कहा कि एक समान अप्रत्यक्ष कर लागू (जीएसटी) होने से सोने की मूल्य श्रृंखला में पारदर्शिता आएगी, जिससे बिक्री बढ़ेगी।

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