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भारतीयों के लिए अब भी सोणा है सोना, श्रृंगार ही नहीं इसके लिए भी बढ़ा रुझान

WGC की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक शादी के सीजन की खरीदारी और सोने का भाव कम होने की वजह से पिछले साल की तुलना में इस साल की पहली तिमाही में सोने की मांग पांच फीसदी बढ़ी है.

Updated on: 10 May 2019, 08:06 AM

highlights

  • 2019 में शादी के 21 लग्न हैं, जो पिछले साल के मुकाबले तीन गुना अधिक हैं
  • पहली तिमाही में सोने की मांग पांच फीसदी बढ़कर 125.4 टन रही: WGC
  • भारत में सोने में निवेश तकरीबन 10-15 फीसदी होता है: IBJA

नई दिल्ली:

भारत तीज-त्योहार ही नहीं शादी समारोहों के लिए भी जाना जाता है. वर्ष 2019 में हिंदू पंचांग के अनुसार, शादी के 21 लग्न हैं, जोकि पिछले साल के मुकाबले तीन गुना अधिक हैं. वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) के मुताबिक शादी का सीजन दुनिया में पीली धातु की मांग में बढ़ोतरी का एक महत्वपूर्ण कारक रहा है.

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भारत में लगातार बढ़ रही सोने की मांग
पीली धातु के प्रति आकर्षण भारत में सदियों से रहा है और मांग की प्रवृत्ति को देखने पर लगता है कि यह आकर्षण बढ़ता ही जा रहा है. महानगरों के अधिकांश ज्वैलर्स का कहना है कि इस बार अक्षय तृतीया के शुभ-अवसर पर सात मई को सोने की खरीदारी जोरदार रही और बिक्री में 25 फीसदी का इजाफा हुआ है. देश में निवेश बाजार करीब दशकों पहले उभरा और निवेश के दर्जनों साधन बाजार में आए, लेकिन सोना लोगों की पसंद बना रहा.

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वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) ने जनवरी-मार्च 2019 की अपनी रिपोर्ट में कहा कि शादी के सीजन की खरीदारी और सोने का भाव कम होने की वजह से पिछले साल की तुलना में इस साल की पहली तिमाही में सोने की मांग पांच फीसदी बढ़कर 125.4 टन हो गई. अधिकांश भारतीयों के लिए सोना सामाजिक सुरक्षा का एक अंग माना जाता है. शादी के अवसर पर सोने का उपहार देने की परंपरा है और इस सीजन में कीमती धातुओं की मांग का योगदान करीब 50 फीसदी है.

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जानकारों का नजरिया
ग्रांट थॉरटन एडवाजरी के निदेशक रियाज थिंगना ने कहा कि सोना धन का पारंपरिक सूचक रहा है. इसका एक सांस्कृतिक पहलू तो है ही. इसके अलावा यह निवेश का भी साधन है जिसमें स्थायी रिटर्न मिलता है. उन्होंने कहा कि अगर आप इसकी तुलना मियादी जमा, ऋणपत्र जैसे निवेश के दूसरे साधनों से करें तो सोना निवेश का सुरक्षित साधन है.

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एचडीएफसी सिक्योरिटीज के इंस्टीट्यूशनल रिसर्च मामलों के प्रमुख दीपेन सेठ ने कहा कि परंपरागत रूप से सोना निवेश का पसंदीदा साधन है, लेकिन इसमें अब बदलाव देखा जा रहा है. उन्होंने कहा कि पिछले दिनों सोने में रिटर्न कम रहा है, इसलिए मुझे नहीं लगता है कि आधुनिक भारत के लोग सोने में ज्यादा निवेश कर रहे हैं. पिछले 15-20 साल में बहुत बदलाव हो चुका है. आंकड़ों से भी इस बात की पुष्टि होती है. इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन (IBJA) के सचिव सुरेंद्र मेहता के मुताबिक भारत में सोने में निवेश तकरीबन 10-15 फीसदी होता है.