एमएसपी से काफी कम भाव पर चना बेचने को मजबूर किसान

चुनावी मौसम में किसानों के हितों की बात सभी राजनीतिक दल कर रहे हैं, लेकिन किसानों की मजबूरी का आलम यह है कि उन्हें सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से काफी कम भाव पर चना बेचना पड़ रहा है

चुनावी मौसम में किसानों के हितों की बात सभी राजनीतिक दल कर रहे हैं, लेकिन किसानों की मजबूरी का आलम यह है कि उन्हें सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से काफी कम भाव पर चना बेचना पड़ रहा है

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kunal kaushal
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एमएसपी से काफी कम भाव पर चना बेचने को मजबूर किसान

चुनावी मौसम में किसानों के हितों की बात सभी राजनीतिक दल कर रहे हैं, लेकिन किसानों की मजबूरी का आलम यह है कि उन्हें सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से काफी कम भाव पर चना बेचना पड़ रहा है. देश के सबसे बड़े चना उत्पादक राज्य मध्यप्रदेश की दलहन मंडियों में चने का भाव मंगलवार को 3,700-4,150 रुपये प्रति कुंटल था. जबकि सरकार ने फसल वर्ष 2018-19 (जुलाई-जून) में उत्पादित चने का एमएसपी 4,620 रुपये प्रति कुंटल तय किया है.

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दलहन बाजार विश्लेषक बताते हैं कि चने की सरकारी खरीद सक्रियता से नहीं होने के कारण किसानों को मजबूरी में एमएसपी से कम भाव पर चना बेचना पड़ रहा है. सरकारी खरीद एजेंसी नैफेड ने चालू विपणन वर्ष में 15 अप्रैल तक महज 45,603 टन चना खरीदा है, जिसमें मध्यप्रदेश में सिर्फ 1,040 टन चने की खरीद हो पाई है.

नैफेड ने इस साल चने की खरीद का लक्ष्य करीब 22.50 लाख टन रखा है, जबकि पिछले साल 27.24 लाख टन चने की सरकारी खरीद हुई थी.

बाजार सूत्रों के अनुसार, बुधवार को ज्यादातर उत्पादक मंडियों में चने का कारोबार महावीर जयंती के अवकाश पर बंद था, लेकिन मंगलवार को मध्यप्रदेश की नीमच मंडी में चने का भाव 3,800-4,100 रुपये प्रति कुंटल, गंजबसौदा में 3,975-4,000 रुपये प्रति कुंटल था. वहीं, कटनी में चने का भाव 3,700-4,000 रुपये प्रति कुंटल और दमोह में 3,700-4,150 रुपये प्रति कुंटल था.

राजस्थान की बीकानेर मंडी में चने का भाव मंगलवार को 50 रुपये की तेजी के साथ 4,400 रुपये प्रति कुंटल था. देश की राजधानी दिल्ली की लारेंस रोड मंडी में बुधवार को राजस्थान लाइन चना पिछले सत्र के मुकाबले थोड़ी मजबूती के साथ 4,500 रुपये प्रति कुंटल और मध्यप्रदेश लाइन चना 4,375-4,000 रुपये प्रति कुंटल था.

बाजार सूत्रों ने बताया कि अभी भाव कम होने से मंडियों में चने की आवक भी कम हो रही है, क्योंकि जिन किसानों को पैसे की जरूरत है, वही मंडी में अपनी फसल लेकर आ रहे हैं.

Source : IANS

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