मई में गर्मी के साथ और बढ़ेंगी पेट्रोल-डीजल की कीमतें, वजह बनेगी यह
सऊदी अरामकों ने हाल ही में एशिया के लिए कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी की है. इससे एशिया के विभिन्न क्षेत्र में कच्चा तेल रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया है.
highlights
- मांग-आपूर्ति में संतुलन के लिए भारत ले रहा Aramco से कच्चा तेल
- सऊदी अरामको ने एशियाई बाजार के लिए कच्चे तेल की कीमतें बढ़ाईं
- फरवरी के 94.07 के मुकाबले मार्च में 113.40 डॉलर प्रति बैरल क्रूड
नई दिल्ली:
भले ही शुक्रवार को एक बार फिर ईंधन यानी पेट्रोल-डीजल (Petrol Diesel) के दाम नहीं बढ़े हों, लेकिन ताजा वैश्विक स्थितियों के मद्देनजर इतना तय है कि आगे ईंधन के दाम और बढ़ेंगे. यूक्रेन (Ukraine) पर हमले के बाद रूस पर थोपे गए अमेरिकी प्रतिबंधों (Sanctions) से कच्चे तेल की आपूर्ति पर गंभीर दबाव पड़ा है. भारत भी इससे अछूता नहीं है. हालांकि अमेरिकी प्रतिबंधों से भारत इस मामले में काफी हद तक बचा हुआ है. वह रूस (Russia) से रियायती दरों पर तेल ले रहा है, लेकिन प्रतिबंधों की वजह से तेल के ट्रांसपोर्टेशन में समस्या आ रही है. इस फेर में भारत सऊदी अरब (Saudi Arab) की दिग्गज कंपनी अरामको से तेल खरीदने जा रहा है. ऐसे में विशेषज्ञ आशंका जता रहे हैं कि मई में पेट्रोल-डीजल की कीमतें और रुला सकती हैं.
अरमाको ने एशियाई बाजार के लिए तेल किया महंगा
मांग-आपूर्ति के समीकरण से ही जाहिर है रूस पर प्रतिबंधों से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल खासा महंगा हो गया है. इसी वजह से घरेलू स्तर पर भी पेट्रोल-डीजल की कीमतें लगातार बढ़ रही है. अब यह बढ़ोतरी मई में भी जारी रह सकती है. इसकी एक प्रमुख वजह यही है कि देश की दो प्रमुख तेल विपणन कंपनी सऊदी की अरामको से कम कच्चा तेल खरीदेंगी. जब तेल मिल रहा है तो फिर कीमतें कैसे बढ़ेंगी... इसकी वजह यह है कि सऊदी अरामकों ने हाल ही में एशिया के लिए कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी की है. इससे एशिया के विभिन्न क्षेत्र में कच्चा तेल रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया है.
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तेजी से चढ़ रही है कच्चे तेल की कीमतें
हालांकि भारतीय कंपनियों ने अरामको की बढ़ी कीमतों को देखते हुए मई में सामान्य से कम तेल खरीदने का फैसला किया है. फिर भी समझौते के तहत भारतीय रिफाइनरी कंपनियों को निश्चित मात्रा में कच्चा तेल तो खरीदना ही पड़ेगा. इस कड़ी में वित्त मंत्रालय ने भी गुरुवार को संके दिए हैं केंद्र सरकार सस्ता कच्चा तेल खरीदने के लिए सभी संभावित विकल्पों की तलाश कर रही है. एक उच्च सरकारी अधिकारी के मुताबिक महंगे कच्चे तेल से आर्थिक विकास प्रभावित हो सकता है. यदि कच्चे तेल की कीमतें एक महीने तक 110 से 120 डॉलर के बीच रहती हैं तो महंगाई में तेज इजाफा होगा. फरवरी-मार्च में भारत ने औसतन 19.33 डॉलर प्रति बैरल महंगा कच्चा तेल खरीदा है. खरीदे जाने वाले कच्चे तेल की कीमत फरवरी में 94.07 डॉलर के मुकाबले मार्च में बढ़कर 113.40 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गईं. अब मई में इनके और बढ़ने की आशंका जताई जा रही है.
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