अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार जीत चुके अमर्त्य सेन ने कहा है कि नोटबंदी एक तानाशाही भरा रवैया है। उन्होंने कहा कि सरकार का ये कदम अर्थव्यवस्था, जिसकी बुनियाद भरोसा है, की जड़ों पर हमले की तरह है। नोटबंदी ने करेंसी को कमज़ोर किया, बैंक अकाउंट को कमज़ोर किया और भरोसे की बुनियाद पर टिके अर्थव्यवस्था को कमज़ोर कर दिया है। अमर्त्य सेन भारत रत्न से भी नवाज़े जा चुके हैं।
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उन्होंने कहा कि नोटबंदी पर उनकी राय पूरी तरह आर्थिक वजहों से है। इस अर्थव्यवस्था ने पिछले 20 सालों में तेजी से वृद्धि की है और यह वृद्धि एक-दूसरे पर भरोसा करने के कारण हुई है। नोटबंदी जैसा कदम इस भरोसे को तोड़ता है। अगर आप धारक को कुछ देने का वादा करते हैं और इसे पूरा नहीं करते तो परिणाम अच्छा नहीं होता है।
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8 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 और 1000 के नोट को बंद करने की घोषणा की थी। यह फैसला तीन तथ्यों को ध्यान में रखकर लिया गया था। काले धन, टेरर फंडिंग और देश के नकली भारतीय नोटों को रोकने के मिशन के साथ नोटबंदी लागू किया गया था। हालांकि दुनिया भर के कई अर्थशास्त्रियों ने इस फैसले की आलोचना की और कहा है कि इन तीन चीजों पर बहुत दिनों तक अंकुश नहीं रह पाएगा।
Source : News Nation Bureau