Coronavirus Epidemic: संकट बढ़ने की आशंका से एशियाई बाजारों में गिरावट का रुख जारी
Coronavirus Epidemic: दुनियाभर की सरकारों द्वारा दिए गए अरबों-खरबों रुपये के राहत पैकेज (Relief Package) के दो सप्ताह बाद कारोबारियों का ध्यान एक बार फिर महामारी के दीर्घकालिक प्रभाव पर लौट आया है.
हॉन्गकॉन्ग:
कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus Epidemic) के चलते पैदा हुई संकट के गहराने की आशंका के चलते एशियाई शेयर बाजारों (Asian Share Market) में गुरुवार को गिरावट का रुख जारी रहा. इस महामारी के आर्थिक असर को रोकने के लिए दुनियाभर की सरकारों द्वारा दिए गए अरबों-खरबों रुपये के राहत पैकेज (Relief Package) के दो सप्ताह बाद कारोबारियों का ध्यान एक बार फिर महामारी के दीर्घकालिक प्रभाव पर लौट आया है.
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गुरुवार को एशियाई बाजारों में बिकवाली का दबाव
कई देशों ने कहा है कि वे लॉकडाउन को आगे बढ़ाएंगे, जबकि इससे पहले ही दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाएं (Global Economies) प्रभावित हैं. इस खबरों के चलते एशियाई बाजारों में बिकवाली बढ़ी और सुबह के कारोबार में टोक्यो 0.8 प्रतिशत, हांगकांग 0.5 प्रतिशत और सिडनी दो प्रतिशत से अधिक गिरा. इसी तरह शंघाई में 0.1 प्रतिशत, सिंगापुर में एक प्रतिशत, जबकि मनीला और वेलिंगटन में दो प्रतिशत की गिरावट आई. हालांकि सियोल में 0.6 प्रतिशत की तेजी देखने को मिली। इससे पहले बुधवार को अमेरिकी और यूरोपीय बाजारों में करीब चार प्रतिशत की गिरावट हुई थी.
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मूडीज ने भारतीय बैंकों की रेटिंग निगेटिव की
मूडीज इंवेस्टर्स सर्विस (Moody's Investors Service) ने गुरुवार को भारतीय बैंकों के परिदृश्य को स्थिर से बदलकर नकारात्मक कर दिया है. मूडीज ने कहा है कि कोरोना वायरस महामारी के चलते आर्थिक गतिविधियों के बाधित हो जाने के कारण बैंकों की परिसंपत्तियों की गुणवत्ता में गिरावट होने का अनुमान है. मूडीज ने कहा कि ये गिरावट कॉरपोरेट, छोटे एवं मझोले उद्योग और खुदरा खंड में होगी, और इसका असर बैंकों के मुनाफे और पूंजी पर पड़ेगा.
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मूडीज ने कहा, ‘‘हमने भारतीय बैंकिंग प्रणाली के परिदृश्य को स्थिर से बदलकर नकारात्मक कर दिया है. कोरोना वायरस महामारी से आर्थिक गतिविधियों के बाधित होने से भारत की आर्थिक वृद्धि में कमी होगी।’’ मूडीज ने कहा कि आर्थिक गतिविधियों में तेज गिरावट और बेरोजगारी बढ़ने से आम आदमी और कॉरपोरेट की माली हालत खराब होगी, जिसके चलते बैंकों पर दबाव बढ़ेगा. इसमें कहा गया है कि गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों में दिवालियापन के बढ़ते दबावों से बैंकों की परिसंपत्तियों की गुणवत्ता भी प्रभावित होगी, क्योंकि बैंकों ने इन्हें काफी पैसा दे रखा है. मूडीज ने कहा है कि इससे मुनाफे और ऋण वृद्धि में कमी आने का अनुमान है.
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