Coronavirus (Covid-19): फैक्टरियों में फिर से बढ़ रही है रौनक, 60 फीसदी श्रमिक काम पर लौटे

Coronavirus (Covid-19): दिल्ली के मायापुरी इंडस्ट्रियल वेलफेयर एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी नीरज सहगल ने बताया कि तकरीबन फैक्टरियों में काम करने वाले तकरीबन 60 फीसदी मजदूर जो लॉकडाउन के कारण गांव चले गए थे वे अब वापस आ गए हैं.

Coronavirus (Covid-19): दिल्ली के मायापुरी इंडस्ट्रियल वेलफेयर एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी नीरज सहगल ने बताया कि तकरीबन फैक्टरियों में काम करने वाले तकरीबन 60 फीसदी मजदूर जो लॉकडाउन के कारण गांव चले गए थे वे अब वापस आ गए हैं.

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Dhirendra Kumar
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Migrant Labourers( Photo Credit : IANS)

Coronavirus (Covid-19): कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus Epidemic) के गहराते प्रकोप और बाढ़ की विभीषिका के बीच गांवों से मजदूरों (Migrant Labourers) का शहरों की तरफ पलायन शुरू हो चुका है. दिल्ली और आसपास के इलाके की फैक्टरियों में काम करने वाले तकरीबन 60 फीसदी मजदूर गांवों से लौट चुके हैं और बाकी लोग भी वापस काम पर लौटने को आतुर हैं, लेकिन कोरोना (Corona) के प्रकोप और बाढ़ के कारण आवागमन के साधन सुगम नहीं होने कारण वे लौट नहीं पा रहे हैं. दिल्ली के मायापुरी इंडस्ट्रियल वेलफेयर एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी नीरज सहगल ने बताया कि तकरीबन फैक्टरियों में काम करने वाले तकरीबन 60 फीसदी मजदूर जो लॉकडाउन के कारण गांव चले गए थे वे अब वापस आ गए हैं.

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आवागमन के साधन नहीं मिल पाने से नहीं लौट पा रहे हैं श्रमिक
सहगल ने कहा कि बिहार में कोरोना के प्रकोप और बाढ़ के कारण आवागमन के साधन नहीं मिल रहे हैं इसलिए मजदूर नहीं लौट पा रहे हैं, लेकिन उनके फोन आ रहे हैं और वे लौटने को आतुर हैं. उन्होंने कहा कि जो मजदूर नहीं लौटे हैं वे भी जल्द ही लौट जाएंगे. उन्होंने कहा कि फैक्टरियों में काम करने वाले ये प्रशिक्षित मजदूर हैं और फैक्टरी मालिकों को इन्हें प्रशिक्षित करने पर इन्वेस्टमेंट करना पड़ा है, इसलिए वे इन्हें वापस लाना चाहते हैं. हालांकि दिल्ली के ओखला चैंबर ऑफ इंडस्ट्रीज के चेयरमैन अरुण पोपली ने कहा कि फैक्टरियों में अभी ज्यादा काम नहीं है. अनेक फैक्टरियां महज 30 फीसदी क्षमता के साथ काम कर रही हैं, लेकिन फैक्टरी मजदूरों की वापसी लगातार जारी है। उन्होंने भी कहा कि बसें और ट्रेनें नहीं चल रही हैं, इसलिए मजदूर नहीं आ पा रहे हैं, लेकिन वे वापस लौटना चाहते हैं.

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गांवों में इन दिनों प्रवासी मजदूरों को आजीविका का साधन मुहैया करवाने के लिए गरीब कल्याण रोजगार अभियान, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम यानी मनरेगा समेत कई अन्य योजनाओं पर सरकार ने विशेष जोर दिया है, लेकिन कारोबारी बताते हैं कि फैक्टरियों में काम करने वाले मजदूरों को फैक्टरियों के अलावा अन्य जगहों पर काम करना पसंद नहीं है, इसलिए वे गांवों से वापस आना चाहते हैं. कोरोनावायरस संक्रमण की रोकथाम के मद्देनजर 25 मार्च को जब देश में पूर्णबंदी हुई थी तब अधिकांश कल-कारखाने बंद होने के साथ-साथ रेल और बस सेवा समेत यात्रियों के लिए तमाम सार्वजनिक परिवहन सेवा ठप होने के कारण प्रवासी श्रमिक पैदल ही घर वापसी करने लगे थे, जिसके बाद केंद्र और राज्यों की सरकारों ने उनकी वापसी के लिए विशेष व्यवस्था की और श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई गईं. कारोबारी बताते हैं कि अगर इसी प्रकार मजदूरों को गांवों से वापस लाने के लिए कोई विशेष व्यवस्था की जाए तो भारी तादाद में उनकी वापसी शुरू हो जाएगी.

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