Coronavirus (Covid-19): रेस्टोरेंट, ऑटो और रियल एस्टेट सेक्टर को उबरने में 1-2 साल लग जाएगा: रिपोर्ट

Coronavirus (Covid-19): उद्योग संगठन फिक्की (FICCI) की ओर से 'कोविड-19: आर्थिक प्रभाव और नुकसान कम करने के प्रयास' नाम से किए गए एक सर्वेक्षण की रिपोर्ट में किया गया है.

Coronavirus (Covid-19): उद्योग संगठन फिक्की (FICCI) की ओर से 'कोविड-19: आर्थिक प्रभाव और नुकसान कम करने के प्रयास' नाम से किए गए एक सर्वेक्षण की रिपोर्ट में किया गया है.

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Dhirendra Kumar
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Coronavirus (Covid-19)( Photo Credit : IANS)

Coronavirus (Covid-19): कोरोना वायरस (Corona Virus) के प्रकोप के बाद लगाए गए देशव्यापी लॉकडाउन (Lockdoqn) से भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) पर पड़ने वाले प्रभावों की वजह से रेस्तरां (Restaurant), ऑटो (Auto) और रियल एस्टेट (Real Estate) जैसे सेक्टरों को उबरने में एक से दो साल का समय लगेगा. यह दावा उद्योग संगठन फिक्की (FICCI) की ओर से 'कोविड-19: आर्थिक प्रभाव और नुकसान कम करने के प्रयास' नाम से किए गए एक सर्वेक्षण की रिपोर्ट में किया गया है.

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परिवहन, लॉजिस्टिक्स और कंज्यूमर ड्यरेबल्स सेक्टर को उबरने में लगेगा समय

फिक्की के सर्वेक्षण में कहा गया है कि बुरी तरह से प्रभावित परिवहन एवं पर्यटन, मनोरंजन, लॉजिस्टिक्स और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स समेत कई अन्य सेक्टर्स को भी उबरने में इतना ही समय लग सकता है. सर्वे में कहा गया है कि कारोबार को दोबारा से पटरी पर लाना मांग की परिस्थितियों और कारोबार के टिकने पर निर्भर करता है. इसमें कहा गया है कि परिधान और सौंदर्य उत्पाद, पेय पदार्थ, मादक पेय, बीमा, कृषि, रसायन, धातु एवं खनन, सेवा, उद्योग, ऑफलाइन खुदरा और स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्र कोरोनावायरस महामारी (Coronavirus Epidemic) के प्रकोप से उबरने में नौ से 12 महीने का समय लेंगे.

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नौ से 10 लाख करोड़ रुपये के प्रोत्साहन पैकेज की आवश्यकता

रिपोर्ट में उद्योग संगठन ने कहा है कि भारतीय उद्योग को इस संकट से उबरने के लिए तत्काल नौ से 10 लाख करोड़ रुपये के प्रोत्साहन पैकेज की आवश्यकता है, जो देश के कुल सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का चार से पांच फीसदी हिस्सा हो सकता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि अन्य देश भी इसी प्रकार के कदम उठा रहे हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि राहत और पुनर्वास के लिए प्रोत्साहन पैकेज की राशि अर्थव्यवस्था के सभी स्तरों तक पहुंचाई जाए. इसमें सबसे निचले पायदान पर रहने वाले लोग, असंगठित क्षेत्र के कामगार, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम और बड़े कॉर्पोरेट शामिल हैं.

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इसके साथ ही उद्योग संगठन ने दो लाख करोड़ रुपये की राशि से 'भारत आत्मनिर्भरता फंड' के गठन का भी सुझाव दिया है. उद्योग संगठन ने कहा है कि इस फंड का इस्तेमाल वैज्ञानिक अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए किया जा सकता है, ताकि एक मजबूत और लचीले राष्ट्र का निर्माण किया जा सके. रिपोर्ट में कहा गया है कि खाद्य खुदरा, दूरसंचार, उपयोगिता सेवाओं और फार्मास्यूटिकल्स जैसी सेवाओं में अल्पावधि में वृद्धि देखी जाएगी, जो छह से नौ महीने की लंबी अवधि तक के लिए बनी रहेगी. इसके अलावा रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रतिबंधों और लॉकडाउन अवधि के दौरान ऑनलाइन स्वास्थ्य सेवा, व्यक्तिगत देखभाल, ऑनलाइन मनोरंजन और शिक्षा क्षेत्र में भी उछाल रहेगा.

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