Coronavirus (Covid-19): भारत में 3 मई से लॉकडाउन खोलने को लेकर बायोकॉन की CMD किरण मजूमदार शॉ ने कही ये बड़ी बात
Coronavirus (Covid-19): किरण मजूमदार शॉ ने कहा कि सरकार को छोटे, मध्यम और बड़े उद्यमों में औद्योगिक उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए एक बड़ी वित्तीय प्रोत्साहन राशि भी प्रदान करनी होगी.
नई दिल्ली:
Coronavirus (Covid-19): बायोकॉन (Biocon) की कार्यकारी अध्यक्ष (CMD) किरण मजूमदार शॉ (Kiran Mazumdar Shaw) को लगता है कि भारत को तीन मई से लॉकडाउन (Lockdown) को खोलना शुरू कर देना चाहिए और जून के अंत से पूरी तरह से काम-काज शुरू कर देना चाहिए. शॉ ने कहा कि आंकड़े दर्शाते हैं कि भारत एक सुरक्षित जोन में प्रवेश कर रहा है और देश ने कोविड-19 को परास्त करने के लिए शानदार कार्य किया है. शॉ ने कहा कि सरकार को छोटे, मध्यम और बड़े उद्यमों में औद्योगिक उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए एक बड़ी वित्तीय प्रोत्साहन राशि भी प्रदान करनी होगी.
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उन्होंने कहा कि सरकार को निगरानी और सुरक्षा उपायों के साथ अर्थव्यवस्था को फिर से शुरू करनी होगी. लॉकडाउन को खोलने के लिए जीवनशैली में बदलाव करने की जरूरत है, जिसे हम सभी को अपनाना चाहिए. सरकार को सोशल डिस्टेंसिंग उपायों को जारी रखने चाहिए और किसी भी हाल में लोगों की भीड़ जमा नहीं होने देनी चाहिए. उन्होंने जोर देते हुए कहा कि कोरोनावायरस को लेकर भय का माहौल पश्चिमी मीडिया की बड़ी संख्या में मौतों को लेकर रिपोर्टिग की वजह से है. उन्होंने कहा कि हालांकि, अगर आप भारतीय आंकड़े को देखें, तो भारतीय आबादी में इस महामारी की गंभीरता और घातकता पश्चिम की तुलना में बहुत कम है.
यहां उनसे हुई बातचीत के खास अंश प्रस्तुत हैं-
प्रश्न : क्या भारत ने कोरोनावायरस के खतरे को कम कर दिया है और मौजूदा आंकड़े दिखाते हैं कि देश एक सुरक्षित जोन में प्रवेश कर रहा है?
उत्तर : भारत ने कोरोनावायरस के खतरे को कम करने के लिए शानदार काम किया है और मौजूदा आंकड़े दर्शाते हैं कि भारत एक सेफ जोन में प्रवेश कर रहा है.
प्रश्न : भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए किस तरह के आर्थिक प्रोत्साहन की आवश्यकता होगी?
उत्तर : भारतीय अर्थव्यवस्था को संकट से उबारने और विकास के पुनरुद्धार की नींव रखने के लिए समन्वित राजकोषीय और मौद्रिक नीति निर्धारण की आवश्यकता होगी. सरकार को छोटे, मध्यम और बड़े उद्यमों में औद्योगिक उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए एक विशाल वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करना होगा. वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से भारत के तेल आयात लागत के कम होने की उम्मीद है, जिससे सरकार को अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा करने का मौका मिलेगा. तेल की बचत से प्राप्त 20 अरब डॉलर(जीडीपी का 0.3 प्रतिशत) को उद्योग के लिए प्रोत्साहन पैकेज के रूप में आवंटित करना जरूरी है.
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सरकार को एक विशिष्ट क्षेत्र की जरूरतों के अनुरूप निवेश से जुड़े और नौकरी से जुड़े इंसेटिव के साथ आगे आना होगा. राशि को एक बड़े बुनियादी ढांचे के लिए निर्धारित किया जाना चाहिए, क्योंकि निर्माण उद्योग में कृषि के बाद सबसे अधिक श्रम शक्ति लगी होती है. हमें एक्सप्रेसवे, नहरों, बिजली संयंत्रों, बंदरगाहों, गोदामों, किफायती आवास आदि जैसे महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे के निर्माण में निवेश करने की आवश्यकता है. एसएमई और स्टार्टअप्स को निश्चित ही विनिर्माण, सेवा और नवाचार के लिए फंड मिलना चाहिए। भारत सरकार कोविड-19 की विशिष्ट जरूरतों जैसे परीक्षणों, बायोमेडिकल आपूर्ति, अस्पताल में भर्ती और टीकाकरण के लिए अग्रिम खरीद अनुबंधों के माध्यम से इसे बढ़ावा दे सकती है.
प्रश्न : तीन मई के बाद लॉकडाउन को कितने दिन तक जारी रहना चाहिए और इससे बाहर आने की रणनीति क्या होनी चाहिए?
उत्तर : मुझे लगता है कि भारत को तीन मई के बाद से लॉकडाउन को खोलना शुरू कर देना चाहिए और जून के अंत तक, हमें पूरी तरह से ऑपरेशनल हो जाना चाहिए. सरकार को निगरानी और सुरक्षा उपायों के साथ अर्थव्यवस्था को दोबारा शुरू करना चाहिए. लॉकडाउन खुलने से जीवनशैली में कुछ परिवर्तन की जरूरत होगी, जो हमें निश्चित ही अपनानी चाहिए. सरकार को लगातार सोशल डिस्टेंसिंग उपायों को बरकरार रखना चाहिए और भीड़ को एकत्रित नहीं होने देना चाहिए. मॉल, सिनेमा, रेस्तरां को बंद रहना चाहिए, और बड़े खेल समारोहों की इजाजत भी नहीं देनी चाहिए. मास्क पहनने, सार्वजनिक स्थलों के नियमित सेनेटाइजेशन, आम सतहों को संक्रमणमुक्त करने का काम और सार्वजनिक जगहों पर लोगों के तापमान की स्क्रीनिंग को अनिवार्य किया जाना चाहिए. जांच की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए, जिसमें आम जनता की भी शामिल किया जाए, खासतौर से बिना लक्षण वाले मामलों को.
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प्रश्न : कोविड-19 को लेकर इतनी घबराहट क्यों है? क्या यह उचित है?
उत्तर : इस बारे में ज्यादा भय पश्चिमी मीडिया की रिपोर्ट्स से फैला हुआ है, जहां अमेरिका, इटली, स्पेन इत्यादि देशों में लोगों की हुईं मौतों के बारे में बताया गया है. हालांकि अगर आप भारतीय आंकड़े को देखेंगे, तो आप पाएंगे कि भारतीय आबादी में इस महामारी की गंभीरता और घातकता पश्चिम की तुलना में बहुत कम है.
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