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Coronavirus (Covid-19): पटरी पर लौटा फैक्टरियों का काम-काज, मजदूरों की वापसी का इंतजार

Coronavirus (Covid-19): कारोबारी बताते हैं कि कपड़े, बर्तन व घरों में इस्तेमाल होने वाले टिकाऊ सामान की मांग इस समय कम है क्योंकि महामारी के समय लोग सिर्फ दैनिक उपयोग की वस्तुओं की खरीदारी कर रहे हैं .

Updated on: 23 Jul 2020, 08:30 AM

नई दिल्ली:

Coronavirus (Covid-19): कोरोना (Coronavirus Epidemic) के गहराते कहर के बीच कल-कारखानों में काम-काज पटरी पर लौट चुका है, लेकिन कारोबारियों को फिलहाल नए ऑर्डर मिलने और मजदूरों की वापसी का इंतजार है. खासतौर से गार्मेंट और एपैरल सेक्टर में मांग सुस्त रहने से कपड़ा उद्योग में कारोबारी सुस्ती बनी हुई है. कारोबारी बताते हैं कि कपड़े, बर्तन व घरों में इस्तेमाल होने वाले टिकाऊ सामान की मांग इस समय कम है क्योंकि महामारी के समय लोग सिर्फ दैनिक उपयोग की वस्तुओं की खरीदारी कर रहे हैं और बाकी वस्तुओं की खरीदारी को आगे के लिए टाल रहे हैं.

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सभी दुकानें नहीं खुलने से कम आ रहे हैं ऑर्डर
हालांकि सभी सेक्टरों की फैक्टरियों काम-काज शुरू हो गया है और उनमें नए ऑर्डर मिलने व श्रमिकों की वापसी का इंतजार किया जा रहा है. दिल्ली के मायापुरी इंडस्ट्रियल वेलफेयर एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी नीरज सहगल ने बताया कि सारी फैक्टरियां खुल गई हैं, लेकिन बाजारों में अभी सारी दुकानें नहीं खुली हैं, इसलिए नए ऑर्डर कम मिल रहे हैं. वहीं, फैक्टरियों में श्रमिकों का भी अभाव है, लेकिन गार्मेंट सेक्टर के कारोबारी बताते हैं कि मजदूरों को भी फैक्टरियों में काम-काज सुचारू होने का इंतजार है.

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निटवेअर एंड अपेरल मन्युफैक्चर्स एसोसिएशन ऑफ लुधियाना के प्रेसीडेंट सुदर्शन जैन ने बताया कि हौजरी व रेडीमेड गार्मेट की गर्मी के सीजन की खरीदारी इस साल कोरोना महामारी के कारण बुरी तरह प्रभावित रही, आगे त्योहारी मांग भी सुस्त है. नए ऑर्डर मिलने लगेंगे तो मजदूर व कारीगर भी घरों से लौट आएंगे. मजदूरों व कारीगरों को मालूम है कि इस समय कितना काम है जब काम बढ़ेगा, तो वे खुद लौट आएंगे, बल्कि जहां काम मिल रहा वहां मजदूर लौट रहे हैं. पंजाब का लुधियाना गार्मेंट और होजरी कारोबार के मामले में उत्तर भारत की प्रमुख औद्योगिक नगरी है। लेकिन सुदर्शन जैन बताते हैं कि औसतन फैक्टरियां इस समय 30 फीसदी क्षमता से ही चल रही है, क्योंकि गार्मेंट सेक्टर की घरेलू व निर्यात मांग सुस्त है. खाने-पीने की चीजों के अलावा अन्य सारे सेक्टरों में मांग की सुस्ती बनी हुई.

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दिल्ली के ओखला चैंबर ऑफ इंडस्ट्रीज के चेयरमैन अरुण पोपली ने बताया कि काम नहीं होने से कई फैक्टरियां बंदी की कगार पर है. उन्होंने बताया कि विभिन्न सेक्टरों में औसतन 25 फीसदी काम रह गया है, जिससे बिजली और पानी के बिल समेत फैक्टरियों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करना मुश्किल हो गया है। उन्होंने कहा कि छोटी-छोटी फैक्टरियों का बुरा हाल है. आवश्यक वस्तुओं के कारोबार से जुड़े साहिबाबाद इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के प्रेसीडेंट दिनेश मित्तल ने कहा कि तमाम फैक्टरियों में काम-काज पहले से बेहतर स्थिति में है, लेकिन मजदूरों की कमी महसूस की जा रही है. उन्होंने कहा कि आवागमन के साधन नहीं होने की वजह से मजदूर गांवों में टिके हुए हैं, अन्यथा उनकी वापसी शुरू हो गई होती. वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि अर्थव्यवस्था में सुधार के लक्षण दिखने लगे हैं. वित्तमंत्री ने यूएसआईबीसी इंडिया आइडिया समिट के वेबिनार में बिजली की खपत में वृद्धि, बैंकों से लेन-देन, टोल संग्रह और पीएमआई आदि का जिक्र करते हुए कहा कि अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत मिलने लगे हैं.