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आयकर विभाग ने 1.40 लाख करोड़ रुपये से अधिक के रिफंड जारी किए

आयकर विभाग ने ट्वीट के जरिए बताया है कि केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (Central Board of Direct-CBDT) ने एक अप्रैल 2020 से 1 दिसंबर 2020 के बीच 59.68 लाख से अधिक करदाताओं को 1,40,210 करोड़ रुपये से अधिक के रिफंड जारी किए हैं.

Updated on: 02 Dec 2020, 03:52 PM

नई दिल्ली:

आयकर विभाग (Income Tax Department) ने चालू वित्त वर्ष में अब तक 59.68 लाख करदाताओं को 1.40 लाख करोड़ रुपये से अधिक के रिफंड जारी किए हैं. आयकर विभाग ने बताया कि इसमें व्यक्तिगत आयकर (पीआईटी) रिफंड की राशि के रूप में 38,105 करोड़ रुपये शामिल हैं, जबकि 1.02 लाख करोड़ रुपये से अधिक के कॉरपोरेट कर रिफंड जारी किए गए हैं.

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आयकर विभाग ने ट्वीट के जरिए बताया है कि केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (Central Board of Direct-CBDT) ने एक अप्रैल 2020 से 1 दिसंबर 2020 के बीच 59.68 लाख से अधिक करदाताओं को 1,40,210 करोड़ रुपये से अधिक के रिफंड जारी किए हैं. कुल 57,68,926 मामलों में 38,105 करोड़ रुपये के आयकर रिफंड जारी किए गए और कुल 1,99,165 मामलों में 1,02,105 करोड़ रुपये के कॉरपोरेट कर रिफंड जारी किए गए.

‘भारत को हर साल बहुराष्ट्रीय कंपनियों, व्यक्तियों के कर चोरी से 10.3 अरब डॉलर के कर का नुकसान’

भारत को बहुराष्ट्रीय कंपनियों की ओर से कर नियमों के दुरूपयोग और व्यक्तिगत स्तर पर लोगों के कर चोरी करने से हर साल 10.3 अरब डॉलर (लगभग 75,000 करोड़ रुपये) के कर का नुकसान हो रहा है. स्टेट ऑफ टैक्स जस्टिस की शुक्रवार को जारी एक रपट के मुताबिक वैश्विक स्तर पर देश हर साल कुल 427 अरब डॉलर से अधिक के कर का नुकसान उठा रहे हैं. इसकी बड़ी वजह अंतरराष्ट्रीय कॉरपोरेट कर और व्यक्तिगत कर में चोरी करना है. रपट में कहा गया है कि इतनी राशि से दुनियाभर में हर साल करीब 3.4 करोड़ नर्स का वार्षिक वेतन दिया जा सकता है.

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भारत के संदर्भ में रपट में कहा गया है कि इस कर चोरी से देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 0.41 प्रतिशत यानी 10.3 अरब डॉलर की कर का नुकसान उठाना पड़ रहा है. इसकी वजह वैश्विक स्तर पर हर साल की जाने वाली कर चोरी है. रपट के मुताबिक इसमें 10 अरब डॉलर का कर नुकसान बहुराष्ट्रीय कंपनियों से जबकि 20 करोड़ डॉलर का नुकसान व्यक्तियों के कर चोरी से हो रहा है. इसके सामाजिक प्रभाव की बात की जाए तो यह सरकार के कुल स्वास्थ्य बजट के 44.70 प्रतिशत के बराबर और शिक्षा बजट के 10.68 प्रतिशत के बराबर की राशि है. इससे 42.30 लाख नर्सों को सालभर का वेतन दिया जा सकता है.