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एयर इंडिया विनिवेश के लिए बिड डेडलाईन 14 दिसंबर तक बढ़ाई गई

सरकार एयर इंडिया पर भारी भरकम कर्ज की जिम्मेदारी पर भी और लचीला रुख दिखाते हुए ये फैसला लिया है.  इस नीलामी की बोली जमा करने की अंतिम तिथि 30 अक्टूबर है.

Updated on: 29 Oct 2020, 07:43 PM

दिल्ली:

सार्वजनिक क्षेत्र की विमानन कंपनी एयर इंडिया को खरीदने की इच्छुक कपनियों के लिए बोली लागाने की समयसीमा को 14 दिसंबर तक बढ़ा दी गई है. आपको बता दें कि कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखकर ये फैसला लिया गया है.  28 दिसंबर तक एयर इंडिया विनिवेश प्रक्रिया को पूरा करने की योजना है. एयर इंडिया विनिवेश के बिडिंग पैरामीटर में बदलाव करने का फैसला किया गया है, एंटरप्राइज वैल्यू पर बोली आमंत्रित की गई है. सरकार एयर इंडिया पर भारी भरकम कर्ज की जिम्मेदारी पर भी और लचीला रुख दिखाते हुए ये फैसला लिया है.  इस नीलामी की बोली जमा करने की अंतिम तिथि 30 अक्टूबर है.

बोली के लिए और समाय देने के साथ सरकार संभावित निवेशकों को एयर इंडिया पर 60,074 करोड़ रुपये के कर्ज के मामले में अधिक लचीलापन दिखाते हुए ये फैसला लिया है. वर्तमान निविदा दस्तावेज के अनुसार खरीदार को एयर इंडिया का एक तिहाई बोझा उठाना होगा. शेष कर्ज राशि को एक विशेष उद्देशीय निकाय के हवाले किया जायेगा. सरकार कर्ज को लेकर निवेशक के प्रति और लचीला रुख अपना सकती है और निवेशक को इस शर्त में ढील दी जा सकती है.

एयर इंडिया विशिष्ट वैकल्पिक व्यवस्था (एआईएसएएम) ने एयरलाइन बोली लगाने की समयसीमा को 14 दिसंबर तक बढ़ाने के वास्ते सहमति जता दी है. इससे संभावित निवेशकों को प्राथमिक सूचना ज्ञापन (पीआईएम) में किये जा रहे बदलावों के बारे में जानकारी हासिल करने के लिये अधिक समय मिल जायेगा. निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) द्वारा इस साल जनवरी में जारी किये गये रुचि पत्र आमंत्रण में 31 मार्च 2019 को एयर इंडिया का कुल कर्ज 60,074 करोड़ रुपये बताया गया.

विमानन कंपनी के खरीदार को इसमें से 23,286.5 करोड़ रुपये का कर्ज अपने ऊपर लेने कीशर्त है. शेष कर्ज एयर इंडिया एसेट हाल्डिंग्स लिमिटेड (एआईएएचएल) के हवाले कर दिया जायेगा. सरकार इस राष्ट्रीय विमानन कंपनी में अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचना चाहती है। इसमें एयर इंडिया की उसकी अनुषंगी एयर इंडिया एक्सप्रेस लिमिटेड में 100 प्रतिशत हिस्सेदारी और एयर इंडिया एसएटीएस एयरपोर्ट सविर्सिज प्रा. लि. में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी भी शामिल है.