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Azim Premji: 21 साल की उम्र में हाथ में ली Wipro की कमान, बना दी 83 हजार करोड़ की कमान

IT कंपनी विप्रो (Wipro) के चेयरमैन अजीम प्रेमजी (Azim Premji) 30 जुलाई को रिटायर हो जाएंगे. 31 जुलाई को उनके स्थान पर उनके बेटे रिशद प्रेमजी कंपनी की कमान संभालेंगे.

Updated on: 07 Jun 2019, 03:51 PM

highlights

  • विप्रो (Wipro) के चेयरमैन अजीम प्रेमजी 30 जुलाई को रिटायर हो जाएंगे
  • 31 जुलाई को उनके स्थान पर उनके बेटे रिशद प्रेमजी कंपनी की कमान संभालेंगे
  • प्रेमजी ने 53 साल में कारोबार 7 करोड़ से बढ़ाकर 83 हजार करोड़ रुपये पहुंचा दिया

नई दिल्ली:

देश की दिग्गज IT कंपनी विप्रो (Wipro) के चेयरमैन अजीम प्रेमजी (Azim Premji) 30 जुलाई को रिटायर हो जाएंगे. अजीम प्रेमजी ने गुरुवार को अपने रिटायरमेंट की घोषणा की है. 31 जुलाई को उनके स्थान पर उनके बेटे रिशद प्रेमजी कंपनी की कमान संभालेंगे.

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21 साल में संभाली ली कंपनी की कमान
अजीम प्रेमजी ने सिर्फ 21 साल की उम्र में कंपनी की कमान संभाल ली थी. प्रेमजी ने 53 साल में कंपनी का कारोबार 7 करोड़ से 12 हजार गुना बढ़ाकर 83 हजार करोड़ रुपये तक पहुंचा दिया. शुरुआती समय में वेजिटेबल ऑयल और साबुन का बिजनेस करने वाली विप्रो (Wipro) को आज IT, FMCG क्षेत्र की दिग्गज कंपनियों में नाम आता है. प्रेमजी ने 1970 में साबुन और तेल का बिजनेस छोड़कर सॉफ्टवेयर में हाथ आजमाया.

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निदेशक मंडल में रहेंगे अजीम प्रेमजी
अजीम प्रेमजी पांच साल तक गैर कार्यकारी निदेशक और संस्थापक चेयरमैन के रूप में निदेशक मंडल में बने रहेंगे. उनके बेटे रिशद प्रेमजी कंपनी के कार्यकारी अब चेयरमैन का पदभार संभालेंगे. कार्यकारी निदेशक ए जेड नीमचवाला कंपनी के सीईओ और प्रबंध निदेशक का काम करेंगे. 70 के दशक में अजीम प्रेमजी अमेरिकन कंपनी सेंटिनल कंप्यूटर कॉरपोरेशन के साथ जुड़ गए. प्रेमजी ने 1980 में IT कंपनी विप्रो की शुरुआत की. आज विप्रो को देश की तीसरी बड़ी IT कंपनी का रुतबा हासिल है.

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साधारण परिवार में हुआ था जन्म
अजीम प्रेमजी का जन्म 24 जुलाई 1945 को मुंबई के साधारण बिजनेसमैन मोहम्मद हाशिम प्रेमजी के घर हुआ था. पिता का वेजिटेबल ऑयल और साबुन का बिजनेस था. 1947 में भारत-पाकिस्तान के विभाजन के बाद मोहम्मद अली जिन्ना ने हाशिम प्रेमजी को पाकिस्तान में बसने और वित्त मंत्री बनाने की पेशकश भी की थी, लेकिन हाशिम प्रेमजी ने जिन्ना की पेशकश को ठुकराकर भारत में रहने का निर्णय लिया था.