logo-image

ऑटो इंडस्ट्री (Auto Industry) में क्या है मंदी की प्रमुख वजह, पढ़ें पूरी खबर

ऑटो इंडस्ट्री में मंदी के हालात को देखते हुए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार चौतरफा हमले का सामना करना पड़ सकता है. वहीं दूसरी ओर कई तरह की समस्याओं का सामना कर रही ऑटो इंडस्ट्री राहत की उम्मीद लगाए बैठी है.

Updated on: 14 Aug 2019, 02:33 PM

नई दिल्ली:

बेरोजगारी, नोटबंदी, GST के बाद बिगड़े आर्थिक हालात की वजह से विपक्ष की आलोचना झेल चुकी मोदी सरकार एक बार फिर विपक्ष के निशाने पर आ सकती है. ऑटो इंडस्ट्री में मंदी के हालात को देखते हुए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार चौतरफा हमले का सामना करना पड़ सकता है. वहीं दूसरी ओर कई तरह की समस्याओं का सामना कर रही ऑटो इंडस्ट्री राहत की उम्मीद लगाए बैठी है. ऑटो इंडस्ट्री अपने सबसे खराब दौर में किस वजह से पहुंची. आइये उन तथ्यों की जांच परख करने की कोशिश करते हैं.

यह भी पढ़ें: ऑटो इंडस्ट्री में हाहाकार, डेढ़ साल में 286 शोरूम बंद, 2 लाख नौकरियां गईं

GST ज्यादा होने से बिक्री में गिरावट
केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए उन पर लगने वाली GST को तो घटा दिया है लेकिन अन्य गाड़ियों पर अभी अधिक GST है. अन्य गाड़ियों और उनके पार्ट्स पर 28 फीसदी जीएसटी लगने से गाड़ियों की लागत में बढ़ोतरी हो गई है. यही वजह है कि 6 माह से देश में वाहनों की बिक्री में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक देशभर में कई कंपनियों ने गाड़ियों का उत्पादन बंद कर दिया है.

यह भी पढ़ें: जम्मू-कश्मीर के बाद अर्थव्यवस्था को दुरुस्त करने पर फोकस करेंगे नरेंद्र मोदी (Narendra Modi), ये है मास्टर प्लान

कर्ज देने वाली कंपनियां संकट में
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, खुदरा बाजार में मारूति की जितनी गाड़ियों की बिक्री होती है, उसमें से करीब एक तिहाई कारों के लिए कर्ज नॉन बैंकिंग फाइनैंशल कंपनी (NBFC) मुहैया कराते हैं. बता दें कि छोटे शहरों में NBFC के जरिए गाड़ियों की खरीद के लिए कर्ज दिए जाते हैं. NBFC छोटे शहरों में कर्ज प्रदाता के तौर पर एक प्रमुख साधन माना जाता है. चूंकि मौजूदा समय में ज्यादातर NBFCs के वित्तीय संकट में फंसी हुई है और वे कर्ज की वसूली भी नहीं कर पा रही हैं. यही वजह है कि NBFC की लोन देने की क्षमता कम हो गई है. इसीलिए उन्होंने फिलहाल गाड़ियों आदि के लिए कर्ज देना कम कर दिया है.

यह भी पढ़ें: अब इस बिजनेस में हाथ आजमाएंगे पूर्व भारतीय क्रिकेट कप्तान महेंद्र सिंह धोनी

लोगों को नए इंजन का इंतजार
कंपनियों को 1 अप्रैल 2020 तक वाहनों में BS-6 इंजन लगाना अनिवार्य होगा. फिलहाल कंपनियां BS-4 इंजन लगा रही हैं. बता दें कि BS-6 से डीजल वाहनों से 68 फीसदी और पेट्रोल वाहनों से 25 फीसदी नाइट्रोजन ऑक्साइड का उत्सर्जन कम होगा. यही वजह है कि लोग BS-6 वाली गाड़ियों का इंतजार कर रहे हैं, जिसकी वजह से भी मांग में कमी देखने को मिल रही है.

यह भी पढ़ें: रिलायंस जियो (Reliance Jio) की इन योजनाओं से वोडाफोन आइडिया और एयरटेल में भय का माहौल

फसलों की बुआई में कमी भी एक वजह
फसलों की बुआई का भी ऑटो सेक्टर से सीधा नाता है. दरअसल, बीते रबी फसल की पैदावार में कमी और मौजूदा खरीफ फसल की बुआई में कमी की वजह से ग्रामीणों की आय में कमी आशंका है. इसके अलावा ट्रक में लोड को लेकर मोदी सरकार द्वारा बनाए गए सख्त नियमों की वजह से भी मांग कम होने की आशंका है.