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बीज विधेयक 2019: नकली बीज बेचने पर 1 साल जेल, 5 लाख तक जुर्माना

बीज विधेयक 2019: विधेयक का मकसद किसानों को बेचे जाने वाले बीज की गुणवत्ता का विनियमन करना और अच्छी गुणवत्ता के बीज का आयात निर्यात करने के साथ-साथ गुणवत्तापूर्ण बीजों के उत्पादन और आपूर्ति को सुगम बनाना है.

Updated on: 15 Nov 2019, 09:00 AM

नई दिल्ली:

Seed Bill 2019: संसद की आगामी शीतकालीन सत्र में केंद्र सरकार बीज विधेयक 2019 पेश कर सकती है जिसमें नकली बीज बेचने पर एक साल की जेल की सजा या पांच लाख रुपये तक जुर्माना या दोनों का प्रावधान किया गया है. सरकार ने विधेयक के मसौदे पर बहरहाल लोगों से सुझाव मांगा है. इस विधेयक का मकसद किसानों को बेचे जाने वाले बीज की गुणवत्ता का विनियमन करना और अच्छी गुणवत्ता के बीज का आयात निर्यात करने के साथ-साथ गुणवत्तापूर्ण बीजों के उत्पादन और आपूर्ति को सुगम बनाना है.

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बगैर पंजीकृत बीज बेचने पर 1 साल की जेल
विधेयक के मसौदे के अध्याय-8 में 'अपराध व सजा' शीर्षक के तहत शामिल प्रावधानों के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति किसी बीज के आनुवांशिक शुद्धता मानक के संबंध में गलत जानकारी देता है या लगत ब्रांड बताता है या किसी नकली बीज या नकली ट्रांसजेनिक वेरायटी के बीज की आपूर्ति करता है या बिना पंजीकृत कोई बीज बेचता है तो उसे एक साल जेल की सजा हो सकती है या पांच लाख रुपये तक जुर्माना भरना पड़ सकता है या दोनों भुगतना पड़ सकता है.

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विधेयक के प्रावधानों के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति कानून का उल्लंघन करता है और बगैर पंजीयन प्रमाण पत्र के किसी प्रकार का बीज आयात करता है या बेचता है या आपूर्ति करता है या भंडारण करता है या अधिनियम के तहत गठित समिति, राज्य बीज समिति, पंजीकरण उप समिति, बीज प्रमाणन एजेंसी, बीज गुणवत्ता जांच अधिकारी या अधिकार प्राप्त अधिकारी या बीज विश्लेषक के कार्य में बाधा डालता है तो 25,000 रुपये से लेकर एक लाख रुपये तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है. विधेयक के मसौदे के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति ऐसा बीज बेचता है जिसमें भौतिक शुद्धता, अंकुरण या स्वास्थ्य के मानकों का अनुपालन नहीं होता है और अधिनियम के तहत आवश्यक रिकॉर्ड नहीं रखता है तो उसे 25,000 रुपये से लेकर एक लाख रुपये तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है.

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केंद्र सरकार ने मौजूदा बीज अधिनियम 1966 को बदलकर नया बीज कानून बनाने के मकसद से 10 अध्यायों के इस बीज विधेयक 2019 का मसौदा तैयार किया है और माना जाता है कि संसद के शीतकालीन सत्र में ही इसे संसद में पेश किया जाएगा. बहरहाल सरकार ने इस विधेयक के इस मसौदे पर विशेषज्ञों की राय मांगी है। कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि देश में आमतौर पर किसान ज्यादातर फसलों के बीज अपने पास रखते हैं और जो बीज बाजार में बिक रहे हैं उनमें से भी ज्यादातर प्रमाणिक नहीं होते हैं.