logo-image

Gold Monetisation Scheme: गोल्ड मॉनेटाइजेशन स्कीम से सरकार को हुआ हजारों करोड़ का नुकसान, जल्द हो सकता है बड़ा फैसला

Gold Monetisation Scheme: मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक केंद्र की नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सरकार गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम में बदलाव कर सकती है.

Updated on: 27 Feb 2020, 01:45 PM

नई दिल्ली:

गोल्ड मॉनेटाइजेशन स्कीम (Gold Monetisation scheme): केंद्र की नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सरकार गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम में बदलाव कर सकती है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार को इस स्कीम से फायदा नहीं मिल रहा है और अभी तक सरकार को अबतक करीब 1,500 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सोने के दाम बढ़ने से नुकसान और बढ़ सकता है. वहीं अब सरकार इस स्कीम की समीक्षा करने जा रही है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस स्कीम के ऊपर सरकार का औसत खर्च 18 फीसदी से 19 फीसदी हो चुका है.

यह भी पढ़ें: Gold Monetisation Scheme: घर में रखे सोने से कमाई का मौका, जानिए गोल्ड मॉनेटाइजेशन स्कीम की ABCD

क्या है गोल्ड मॉनेटाइजेशन स्कीम

मॉनेटाइजेशन स्कीम के तहत लोगों को सरकार से मान्यता प्राप्त टेस्टिंग और कलेक्शन सेंटर पर जाकर सोने को जमा करना पड़ता है. इसके तहत पहले सोने की शुद्धता की जांच करके सर्टिफिकेट जारी किया जाता है. उसके बाद प्राधिकृत बैंक में गोल्ड डिपॉडिट अकाउंट खोलकर सोने को जमा कराया जा सकता है. बता दें कि आपके द्वारा जमा किए सोने पर आपको सालाना ब्याज सरकार की ओर से दिया जाता है. मैच्योरिटी पर जमा किए गए सोने के बदले में आप नगद या फिर सोना वापस ले सकते हैं. इस स्कीम में निवेशकों को फिक्स्ड रिटर्न मिलता है.

यह भी पढ़ें: AGR Dues: एजीआर बकाया भुगतान मामले में वोडाफोन आइडिया ने मोदी सरकार से लगाई गुहार

स्कीम में क्या है जमा की अवधि

गोल्ड मॉनेटाइजेशन स्कीम में छोटी अवधि से लेकर मध्यम और लॉन्ग टर्म के लिए गोल्ड डिपॉजिट (Gold Deposit) करने की सुविधा है. छोटी अवधि के लिए गोल्ड डिपॉजिट की अवधि 1 से 3 साल के लिए है. इस अवधि के गोल्ड डिपॉजिट पर मिलने वाले ब्याज की दर बैंकों के ऊपर निर्भर है. वहीं दूसरी ओर मीडियम और लॉन्ग टर्म अवधि वाले गोल्ड डिपॉजिट पर ब्याज दर फिक्स्ड रहता है. गोल्ड डिपॉजिट पर मिलने वाले ब्याज दर को रिजर्व बैंक (RBI) तय करता है. मौजूदा समय में मीडियम टर्म के लिए गोल्ड डिपॉजिट पर

वहीं लॉन्ग टर्म के लिए गोल्ड डिपॉजिट की अवधि 12 से 15 साल के लिए है और इस पर 2.5 फीसदी ब्याज है. यहां यह बताना जरूरी है कि निवेशक मीडियम टर्म और लॉन्ग टर्म के गोल्ड डिपॉजिट स्कीम से बाहर निकल सकते हैं. हालांकि उसके लिए निवेशकों को ब्याज पर पेनाल्टी अदा करना पड़ेगा. मीडियम टर्म के लिए लॉक-इन पीरिडयड 3 साल और लॉन्ग टर्म के लिए लॉक-इन पीरियड 5 साल है. इस स्कीम के तहत निवेशक न्यूनतम 30 ग्राम तक सोना जमा कर सकते हैं. हालांकि जमा करने की ऊपरी सीमा तय नहीं की गई है.

यह भी पढ़ें: खुशखबरी! स्वास्थ्य की सभी समस्याओं से निपटने के लिए 1 अप्रैल से नई स्‍टैंडर्ड हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी

क्या है टैक्स के नियम

गोल्ड मॉनेटाइजेशन स्कीम के तहत होने वाली आय पूरी तरह से टैक्स फ्री है. इस स्कीम के तहत जमा गोल्ड से मिलने वाले ब्याज पर किसी भी तरह का कैपिटल गेन टैक्स, वेल्थ टैक्स या इनकम टैक्स नहीं देना होता है. परिपक्वता अवधि पूरी होने पर जमा सोने के साथ-साथ ब्याज टैक्स फ्री निकाल सकते हैं. अगर आप पूरी रकम चाहते हैं तो भी कोई टैक्स देनदारी नहीं बनेगी.

यह भी पढ़ें: 7th Pay Commission: होली से पहले लाखों कर्मचारियों को सरकार का तोहफा, बढ़ जाएगी इतनी सैलरी

गोल्ड मॉनेटाइजेशन स्कीम की कमियां

दरअसल, इस स्कीम के तहत आपके द्वारा जमा किये गोल्ड को पिघलाकर सरकारी भंडार में शामिल कर लिया जाता है. ऐसे में अगर आप मैच्योरिटी के समय अपने ही सोने को वापस चाहते हैं तो भूल जाइए. उस स्थिति में सरकार की ओर से आपके द्वारा जमा किए सोने की शुद्धता के आधार पर उतनी ही मात्रा का सोना दे दिया जाता है. इस स्कीम के तहत सिर्फ शुद्ध सोने को ही जमा किया जाता है. इस स्कीम की शुरुआत 2015 में तत्कालीन नरेंद्र मोदी की सरकार ने की थी.