गोल्ड हॉलमार्किंग (Gold Hallmarking) अनिवार्य होने से घर में रखी पुरानी ज्वैलरी बेच पाएंगे या नहीं, जानिए यहां
गोल्ड हॉलमार्किंग (Gold Hallmarking): आज के बाद ज्वैलर्स बगैर हॉलमार्किंग वाली सोने की ज्वैलरी नहीं बेच पाएंगे. हॉलमार्किंग के नियम को चरणबद्ध तरीके से पूरे देश में लागू किया जाएगा.
highlights
- केंद्र सरकार ने आज यानी 16 जून 2021 से सोने पर हॉलमार्किंग अनिवार्य कर दिया है
- पुरानी ज्वैलरी को गलाकर नई ज्वैलरी में बदलने पर उसे हॉलमार्क किया जा सकता है
नई दिल्ली:
गोल्ड हॉलमार्किंग (Gold Hallmarking): केंद्र सरकार ने आज यानी 16 जून से सोने पर हॉलमार्किंग अनिवार्य कर दिया है. आज के बाद ज्वैलर्स बगैर हॉलमार्किंग वाली सोने की ज्वैलरी नहीं बेच पाएंगे. हॉलमार्किंग के नियम को चरणबद्ध तरीके से पूरे देश में लागू किया जाएगा. देश के 256 जिलों में आज से हॉलमार्किंग के नियम को लागू कर दिया जाएगा. सरकार के इस फैसले के बाद पुरानी ज्वैलरी बेचने की योजना बना रहे लोगों के सामने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि वह अब पुरानी ज्वैलरी को ज्वैलर्स को बेच पाएंगे या नहीं. इस पर सरकार ने कहा है कि ज्वैलर्स बगैर हॉलमार्क वाली पुरानी ज्वैलरी को ग्राहकों से खरीद सकते हैं. अगर कोई ज्वैलर पुरानी ज्वैलरी को गलाकर नई ज्वैलरी में बदल देता है तो उसे हॉलमार्क किया जा सकता है.
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केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल (Piyush Goyal) का कहना है कि अगस्त 2021 तक ज्वैलर्स से किसी भी तरह की पेनाल्टी नहीं ली जाएगी. इसके अलावा 40 लाख रुपये तक के सालाना कारोबार करने वाले ज्वैलर्स को अनिवार्य हॉलमार्किंग से छूट भी दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि ज्वैलर्स को 1 सितंबर तक पुराने स्टॉक पर हॉलमार्क पाने के लिए समय दिया गया है और तक कोई माल जब्त नहीं किया जाएगा. हॉलमार्किंग अनिवार्य हो जाने के बाद अब देश में सिर्फ 22 कैरेट, 18 कैरेट और 14 कैरेट की ज्वैलरी ही बिक सकेगी.
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क्यों जरूरी है हॉलमार्किंग
आपको बता दें कि हॉलमार्किंग वह तरीका है जिससे सोने की शुद्धता प्रमाणित होती है. भारतीय स्टैंडर्ड को गोल्ड में मार्क करने को हॉलमार्किंग कहा जाता है. कैरेट के जरिए भारतीय स्टैंडर्ड को सोने के ऊपर अंकित किया जाता है. बगैर हॉलमार्किंग के गोल्ड ज्वैलरी (Gold Jewellery) खरीदने पर अगर उसे बेचने जा रहे हैं तो आपको कम भाव मिल सकता है. दरअसल, आपके पास सोने की शुद्धता का कोई भी सर्टिफिकेट नहीं है इसलिए हो सकता है कि जब आप 22 कैरेट की ज्वैलरी को बेचने जा रहे हों तो आपकी ज्वैलरी 18 कैरेट की निकल आए. ऐसे में आपको मोटा नुकसान हो सकता है. इन्हीं सब दिक्कतों को देखते हुए हॉलमार्किंग कराना बेहद जरूरी है.
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